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मा0 सर्वोच्च न्यायालय व मा0 उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ द्वारा अतिक्रमण हटाने के निर्देशों के तहत ही पिपराघाट लखनऊ की अवैध बस्ती को खाली कराया गया

Posted on 04 June 2010 by admin

नदी की भूमि पर अवैध रूप से बसे हुए अधिकांश लोग भारतीय मूल के नागरिक नहीं थे अवांछनीय तत्वों द्वारा अवैध बस्ती हटाने की कार्रवाई का दुष्प्रचार करके सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश राजधानी में अतिक्रमण विरोधी अभियान आगे भी जारी रहेगा

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि एक विशेष याचिका के प्रकरण में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा तालाब, वाटर बॉडी आदि की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त रखने तथा समस्त तालाब, वाटर बॉडी को सुरक्षित रखने के आदेश दिये गये हैं। सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश कानून के रूप में लागू है। इसके अलावा मा0 उच्च न्यायालय लखनऊ खण्डपीठ ने एक अन्य मामले में भी सार्वजनिक भूमि को अतिक्रमणमुक्त करने एवं सुरक्षित रखने के निर्देश दिये हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन के साथ-साथ लोगों की जान-माल के नुकसान को बचाने के उद्देश्य से लखनऊ के पिपराघाट के जलप्लावित क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया जाना अपरिहार्य हो गया था। जलप्लावित क्षेत्र में होने के कारण मानसून के समय इस क्षेत्र के डूबने एवं इसके फलस्वरूप जानमाल की छति होने की आशंका बराबर बनी रहती थी। प्रवक्ता ने कहा कि अतिक्रमण हटाये जाने के उपरान्त लामार्टीनियर कॉलेज से रेलवे लाइन तक गोमती नदी के बांये तट बंध तथा गोमती नदी के जल प्रवाह के बीच लगभग 50 एकड़ का खुला क्षेत्र उपलब्ध हुआ है।

प्रवक्ता ने कहा कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के आदेशों के अनुसार जिला प्रशासन तथा एल0डी0ए0 द्वारा समय-समय पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाये जा रहे हैं। इसी क्रम में जिला प्रशासन लखनऊ द्वारा 02 जून को किये गये सर्वे में पिपराघाट पर बसे हुए लोगों की सूची तैयार की गई और पूछताछ के दौरान लगभग 80 से 90 प्रतिशत लोग खुद ही जगह खाली करके अन्यत्र चले गये, क्योंकि इनमें से अधिकांश लोग भारतीय मूल के नहीं थे। इस बस्ती में पॉलीथीन की झुग्गी-झोपड़ी तथा कच्चे मकान थे। कोई भी पक्का निर्माण नहीं था। इससे स्पष्ट है कि यहां के निवासी भारतीय मूल के नहीं थे।

प्रवक्ता ने बताया कि मा0 न्यायालयों के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा पूरे शहर में अतिक्रमण विरोधी अभियान की कार्रवाई संचालित की जाती है। पिपराघाट की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई इसी का हिस्सा है और अतिक्रमण विरोधी अभियान आगे भी जारी रहेगा। उल्लेखनीय है कि गोमती नदी के जल बहाव के बीच के जल प्लावित लगभग 10 एकड़ भूमि पर लगभग 150 व्यक्तियों द्वारा अतिक्रमण किया गया था।

प्रवक्ता ने कहा कि कुछ अवांछनीय तत्व दुष्प्रचार करके एक साजिश के तहत इस अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके साथ ही विरोधी पार्टी के लोग राज्य सरकार की छवि धूमिल करने के साथ ही मा0 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना करने का प्रयास भी कर रहे हैं। उन्होंने अतिक्रमण हटाने के दौरान कुछ लोगों पर जुल्म-ज्यादती की घटना को आधारहीन एवं भ्रामक बताया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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