उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे भ्रश्टाचार के परनाले की दुर्गन्ध अब असहनीय होती जा रही है। बसपा राज में वसूली का खुला खेल अभियन्त्रण विभागों में मुख्यमन्त्री और मन्त्रियों की राह पर चल रहा है। इससे अभियन्ताओं की जिन्दगी खतरे में है। कुछ पहले ही जान गंवा चुके है। फरवरी 2008 से अब तक 4 अभियन्ता मारे जा चुके हैं और 10 पर हमले हो चुके हैं। अभियन्ताओं की एसोसिएशनों की तमाम गुहार के बावजूद उनकी सुरक्षा को लेकर यह सरकार कहीं गम्भीर नहीं दिखती है। हर तरफ जंगलराज है।
गत सोमवार की रात लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता श्री गोविन्द सिंह यादव की झॉसी में निर्मम हत्या कर दी गई। इससे पूर्व बलिया में सिचांई विभाग के मुख्य अभियन्ता के साथ सत्तारूढ़ विधायक के भाई ने मारपीट की जिसकी एफ0आई0आर0 तक दर्ज नहीं की गई। पुलिस महानिदेशक के हस्तक्षेप पर भी कोई कार्यवाही न होना जताता है कि अपराधी तत्वों को बसपा की सरकार में किस तरह खुला संरक्षण मिल रहा है। औरैया में इंजीनियर मनोज गुप्ता की हत्या के पीछे मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती के जन्मदिन पर चन्दा उगाही को लोग अभी भूले नहीं हैं।
प्रदेश की वर्तमान सरकार में ठेकों का काम धड़ल्ले से चल रहा है, जिसके कमीशन में पंचम तल में मुख्यमन्त्री कार्यालय तक का हिस्सा जमा किए जाने की चर्चाएं हैं। ज्यादातर ठेकेदार माफिया किस्म के हैं जो अपने आतंक से ठेका लेकर काम बिना पूरा किए भुगतान के लिए दवाब बनाते हैं। इन ठेकेदारों के संरक्षक बसपा के मन्त्री और विधायक हैं। इसलिए ये अभियन्ताओं को धमकाने के साथ उन पर हमला करने से भी बाज नहीं आते हैं। इंजीनियरों के दर्द की कहीं सुनवाई नहीं है। कभी कभी दिखावे के लिए निरीक्षण या समीक्षा के दौरान उन्हें ही बलि का बकरा बनाकर निलिम्बत या बर्खास्त कर दिया जाता है।
बिजली, सिंचाई, जल निगम, सेतु निगम, लोक निर्माण विभाग में तो इस कदर माफियाओं का आतंक हो गया है कि ईमानदार अभियन्ता कुछ जिलों में जाना ही नहीं चाहते हैं या विभागीय निर्माण कार्यो से दूर रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं। समाजवादी पार्टी का मानना है कि मुख्यमन्त्री की इस लूट वसूली की व्यवस्था के चलते प्रदेश का विकास अवरूद्ध हो गया है। समाजवादी पार्टी की मॉग है कि बसपा सरकार के जनविरोधी और विकास विरोधी असंवैधानिक कार्या का महामहिम राज्यपाल को संज्ञान लेना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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