भारतीय जनता पार्टी ने ध्वस्त कानून व्यवस्था पर मुख्यमन्त्री से श्वेत पत्र की मांग की और कानून व्यवस्था के ध्वस्तीकरण के लिये सीधे मुख्यमन्त्री और सरकार की कार्यशैली को ही जिम्मेदार ठहराया। प्रदेश उपाध्यक्ष प्रवक्ता हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि मुख्यमन्त्री हर दूसरे-तीसरे माह पुलिस अधिकारियों से कानून व्यवस्था सुधारने की अपील करती हैं और न सुधरने पर नतीजा भुगतने की चेतावनी भी देती हैं। लेकिन कानून व्यवस्था सुधरने के बजाय लगातार हर माह बिगड़ ही रही है। मुख्यमन्त्री ने तीन वर्ष के कार्यकाल में किसी भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को ध्वस्त कानून व्यवस्था के लिये दण्डित नहीं किया है। उन्होंने स्वयं ही थाने बिकने की बात कही थी। लेकिन थाना बेंचने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। थाने बिके तो जिले भी बिके होंगे। आखिरकार संस्थाओं की बिक्री की शुरूआत किसने की ?
श्री दीक्षित ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार की सर्वोच्च संवैधानिक जिम्मेदारी है। बसपा इसी वायदे के साथ सत्ता में आई थी। लेकिन सरकार बनाने के बाद उसने राज्य पुलिस को माफिया संरक्षण और अपराधियों के हित संवर्द्धन में लगाया। राज्य पुलिस बसपा की निजी पलटन बन गई। हत्या, अपहरण, बलात्कार, डकैती, भूमि-भवन पर कब्जों की घटनायें बढ़ती गईं। महिला उत्पीड़न, दलित उत्पीड़न भी बढ़े और कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई।
प्रवक्ता ने कहा मुख्यमन्त्री को इसकी पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। कानून व्यवस्था के ध्वस्तीकरण के लिये सरकार ही जिम्मेदार है। यू0पी0 में जंगलराज है। सरकार को अपराधों की भारी बढ़त और अराजकता पर सभी तथ्यों के साथ श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। मुख्यमन्त्री जी नोट करें जनता घोर अराजकता और जंगलराज को और अधिक बर्दास्त नहीं कर सकती।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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