उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। सरकार का अपराधियों पर कोई नियन्त्रण नहीं रह गया है। भयमुक्त समाज का दावा करने वाली बसपा सरकार में सिर्फ अपराधी ही भयमुक्त हैं और जिन पर अपराध नियन्त्रण का दारोमदार है वे स्वयं भय और आतंक के सौदागर बन जा रहे हैं। मुख्यमन्त्री मायावती अफसरों को नतीजा देने या सजा भुगतने के बयान तो खूब देती हैं किन्तु उनकी बातें अफसर एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दे रहे है। दोनों एक दूसरे की भाशा का अर्थ समझने लगे हैं। अफसर जानते हैं कि बेहतर नतीजे देने का अर्थ मायावती के लिये चुनाव में धांधली कराना, विपक्षियों का उत्पीड़न करना तथा वसूली व कोठी कब्जा करने में सहयोग करना है अन्यथा उन्हें प्राइजपोस्टिंग से वंचित होना पड़ेगा।
कानून व्यवस्था में गिरावट के हालात ये हैं कि अकेले मेरठ रेंज में 225 और सहारनपुर में 91 खून होने का रिकार्ड बन चुका है। जम्मू कश्मीर से यह संख्या दुगनी है। साढ़े चार माह में पिश्चमी उत्तर प्रदेश के 7 जिलो में 316 कत्ल का दिल दहलाने वाला रिकार्ड मुख्यमन्त्री की समीक्षा बैठकों की पोलपट्टी खोल कर रख दे रहा है। फिर वे से किस मुंह से कहती है कि कानून व्यवस्था के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं कर सकती है।
जब से मुख्यमन्त्री संगीन जुर्मो वालें अपराधी को सज्जन पुरूश का खिताब बांटने लगी हैं तमाम अपराधी उनके खेमे में पहुंचकर आशीर्वाद प्राप्त करने लगे हैं। इन सज्जन पुरूशों की सेवायें ऊपर के इशारे पर पुलिस के आला अधिकारी भी लग गए हैं। नतीजतन मेरठ के सबसे व्यस्त और पाश इलाके बेगमबाग में एक बड़े कारोबारी नरेन्द्र कर्णवाल, उनकी पत्नी और दो बच्चों की बेरहमी से गला काटकर हत्या कर दी गई। हत्यारों ने पूरा घर खंगाल मारा। पुलिस इस लूट की अपने ही ऐंगिल से जॉच करना चाहती है।
पिश्चमी उत्तर प्रदेश सहित पूरे राज्य के जितने बड़े अपराधी हैं सब बसपा के संरक्षण में हैं। हत्या, लूट, डकैती और वसूली के अभियुक्त या तो बसपा के पदाधिकारी हैं या फिर विधायक, मन्त्री या निगमों के पदाधिकारी बनकर अपने कारनामो को अंजाम दे रहे है। मुख्यमन्त्री ने पिछले दिनों पार्टी से अपराधियों की सफाई का हवाई बयान दिया था लेकिन आज तक एक भी अपराधी की सूची सार्वजनिक नहीं कर सकी हैं। अब उनका कहना है कि उनके मन्त्रियों या विधायकों में कोई अपराधी रह ही नहीं गया है। जनता को बरगलाने और आंखों में धूल झोकंने का यह निन्दनीय प्रयास है। महामहिम राज्यपाल को अब बगैर देर किए इस सरकार के साथ माफिया-अफसर की गिरोहबन्दी को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार को मायावती सरकार बर्खास्त करने की जल्द से जल्दी सिफारिश करने में देर नही करनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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