गैस एजेन्सी मालिक कार्ड धारकों के साथ करते है धोखा
नगर में भले ही 6 गैस एजेिन्सया हो, लेकिन सुविधा के नाम पर टोटा ही रहता है। उपभोक्ताओ को जहां सुबह से ही लम्बी लाइने लगाकर काफी मसक्कत के बाद भी मालिको के द्वारा समझा दिया जाता है कि गैस के कागजात लेकर आओ तभी गैस मिल पायेगी, वहीं सायद जो उपभोक्ता भी नही है उनके लिये गैस मालिक दस का बीस लेकर गैस उपलब्ध करा देते है। सुबह होते ही मण्डिंयों की तरफ व्यापारी बड़ी उत्सुकता से मण्डी में आते है, और अपनी प्यास बुझाने के लिये मण्ड़ी परिसर में स्थित ठेले, होटलो पर पहुंच कर अपनी जरूरतों को पूरा करते है। वहीं सुबह से ही गैस सिलेण्डर से लदी गाड़िया मण्डियों में चूहे की तहर दूकान-दूकान, ठेले-ठेले पर खड़ी नज़र आती है। इन बातों को जब उपभोक्ता ने समाजिक समितिओ के माध्यम से अधिकारी से मिल कर कही तो आधिकारी बड़े बडे़ दावे कर आश्वासन दे तो देते है, लेकिन गैस मालिक इसकी परवार न किये बगैर सुबह से ही चिल्लर ठेलों पर गैस पहुंचाते नज़र आते है। क्या अधिकारी इन फुटकर दुकान पर मनमानी ढं़ग से गैसोे को नही देख पाते क्यों कि सुबह 6 बजे से ही गैस मालिक गैस मण्डी परिसर में लगे ठेलो पर बेचवा देते है, उच्चाधिकारी नीन्द से ही नही उठे रहते। आदि बाते जानने के लिये राहत टाइम्स के सम्बाददाता ने जब एक ठेले दूकान दार से जानना चाहा तो राजाराम, पिण्टू, मनोज आदि ने एक जुट होकर बताया कि हम सबो से 500 से 600 रूप्या लेकर हिन्दुस्तान गैस एजेन्सी, अमेठी गैस एजेन्सी, आदि छोटे एजेन्सी मालिक इस तहर की गैस हम लोगों को उपलब्ध कराते रहते है अब यह जानने में कोई सकोच नही है कि इस मण्डी परिसर में ऐसे दूकानदार कब और किसकी इजाजत से इस परिसर में आते है, जबकि दूकानदारो ने यहां तक बताया कि 20 से 30 रूप्या प्रति ठेले से सचिव व ठेकेदार की मिली भगत से वसूला जाता है। ……..क्या अधिकारी इस तरह से बिक रहे गैस अधिकारी को मालूम ही नही हो पाते, सायद इसका खुलासा करवाने के लिये कार्ड धारक उपभोक्ता अपनी िशकायत उच्चाधिकारी से करने को मजबूर हो गये है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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