जिले में चलने वाली बाल विकास पुष्टाहार परियोजना का सबसे बुरा हाल है। सी डी पी ओ कुड़वार का एक मात्र लक्ष्य धन की उगाही है । कई केन्द्रों का दौरा करने के बाद अधिकांश केन्द्र बन्द मिले। जो केन्द्र खुले थे उनमें बच्चे नहीं मिले जब इस बावत कार्यकत्रियो से पूछा गया तो, तो कार्यकत्रियों का कहना था की जब विभाग के द्वारा दिया जाने वाला पोषाहार तथा हाट कुक योजना में आने वाले धन में बाल विकास परियोजना का आधा धन तो सी0 डी0 पी0 ओ0 एवं सुपरवाइजर ले लेती हैं तो आधे पैसे में कैसे संचालन किया जा सकता है। नाम न छापने की शर्त पर एक कार्यकत्री ने बताया कि बहुत से केन्द्र ऐसे है जहां सी0डी0पी0ओ0सीधे पैसा लेती है। बाकी केन्द्रों की वसूली मुख्य सेविकाओं के द्वारा होती है। यदि ये वसूली पूर्णरूप से बन्द जाए तो आंगनबाड़ी केन्द्रो के संचालन में पारदर्शिता निश्चित तौर पर होगी।परन्तु ऐसा होना मुश्किल है। इस तरह के समाचार प्रतिदिन छपते ही रहते हैं। बच्चों ,गर्भवती धात्री व बालिकाओं को दिया जाने वाला पोशाहार धड़ल्ले से बाजारों में बिक रहा है। सीडीपीओ के कार्य शैली पर अंकुश लग सके तथा कुड़वार परियोजना के अन्तर्गत चलने वाली आंगनबाड़ी कंन्द्रों को मानक के अनुरूप बनाया जा सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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