समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा मुख्यमन्त्री मायावती ने तीन सालों में अपनी संपत्ति 87 करोड़ रूपए से अधिक की बना ली हैं। उनकी यह स्वीकृति वैसे आंशिक सत्य ही है क्योंकि मुख्यमन्त्री ने अपनी बादलपुर की संपत्ति को इसमें जोड़ा ही नहीं है। देश-विदेश में बेनामी संपत्ति और कालेधन का भी हिसाब वे छुपा गई है। हर्षद मेहता, तेलगी, जयललिता और मधुकोडा जैसे तो इनके आगे शर्माते नज़र आयेगें। लोग हैरान हैं कि मुख्यमन्त्री को ऐसा कौन सा जादुई चिराग हासिल हो गया है कि बिना कोई व्यवसाय किए उनकी संपत्ति दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। इनके खजाने में वर्ष प्रतिवर्ष हीरे मोती और जवाहरात की खेप लगती जाती है। समृद्ध एवं पूंजीवादी देश अमेरिका के गरीब राष्ट्रापति बराक ओबामा समाजवादी भारत के एक राज्य की मुख्यमन्त्री माया का मायाजाल को देखकर जरूर हैरत में पड़ जाएगें।
सुश्री मायावती ने राजनीति की शुचिता को ध्वस्त कर दिया है। लोकशाही में ऐसा दुस्साहसपूर्ण आचरण विश्वसनीयता को ही तार-तार करता है। मुख्यमन्त्री की संपत्ति की ताजा जानकारी ने फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का स्रोत शीर्ष पर है। बसपा सरकार ने लूट और वसूली तन्त्र को छूट दे रखी है। इसके चलते ही उन्होने घोषित कर दिया है कि बसपा में कोई विधायक दागी नहीं है। उनके जन्म दिन पर वसूली के लिए इंजीनियर के निर्मम हत्यारे, अपहरण और यौन शोषण के दुराचारी सब सज्जन पुरूष हैं। बसपा को बड़े समाज दुश्मनों का पनाहघर बनाकर बसपा सुप्रीमों ने जनता को भरमाने और प्रदेश को विकास के बजाए विनाश के रास्ते पर ले जाने का निन्दनीय खेल खेला है।
उत्तर प्रदेश की जनता की लूट से सम्पन्न बनी सुश्री मायावती को केन्द्र सरकार और कांग्रेस का निरन्तर सहयोग मिल रहा है। इसके चलते इस सरकार की काली कमाई और काले कारनामों की भी अनदेखी हो रही है। सीबीआई मुख्यमन्त्री को क्लीनचिट क्यों कर दे सकती हैर्षोर्षो महामहिम राज्यपाल, आयकर विभाग और सीबीआई का यह दायित्व बनता है कि वे भ्रष्टाचार की रोकथाम करें। पर यहां तो भ्रष्टाचार का परनाला बह़ रहा है और कोई नाक पर रूमाल रखता भी नज़र नहीं आता है। लोकतन्त्र के लिए यह स्थिति अत्यन्त भयावह हैं। जनता के बीच नेतृत्व की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह का लगना अच्छी सम्भावनाओं का संकेत नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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