जगदीशपुर के अन्तर्गत ग्राम मंगरौली में यूनानी चिकित्सालय को चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के सहारे चलाया जा रहा है। एक सर्वेक्षण के दौरान यह जानकारी मिली कि इस डाक्टर विहीन चिकित्सालय को वार्ड ब्वाय की जिम्मेदारी पर संचालित करने का जोखिम उठाया जा रहा है। शासन ने चिकित्सालय में डाक्टर व कम्पाउन्डर की नियुक्ति तो की है, लेकिन ये लोग महीने में केवल कुछ दिन ही अस्पताल में अपनी सूरत दिखाते है और थोड़े ही समय के बाद फिर वापस चले जाते है। बाकी के दिनों में यह अस्पताल चतुर्थ श्रेणी वार्ड व्वाय व कर्मचारियों के भरोसे छोड़ मरीजों के साथ खिलवाड़ करने का जो कृत्य किया जा रहा है वह अवैधानिक है। जिम्मेदार डाक्टर व कम्पाउन्डर की लापरवाही के कारण मरीज व तीमारदारों को जबरन ही न चाहते हुए भी ये लोग मानसिंक व शारीरिक रूप से शोशण करने में नही चूकते। क्या इतने संवेदनहीन डाक्टरों की नियुक्ति मानव सेवा के लिये ही की गई है। जनता अपने गांव से जगदीशपुर आने में लगभग 14 से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। एसे में समय से मरीज को इलाज हेतु गाँव में ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिये ही एसे चिकित्सालयों की स्थापना की जाती है परन्तु लापरवाह संवेदनहीन गैर जिम्मेदाराना कार्य एसे डाक्टरों के भरोसे छोड़ दी जायेगी तो मरीज का क्या होगा उसको तो भगवान ही जाने। इतना ही नही जब कोई तीमारदार चिकित्सा केन्द्र पर पहुचता है तो उसे यह बताया जाता है कि डा0 साहब नही है बाद में आना, और तो और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। अस्पताल के कर्मचारियों का खौफ इतना बना हुआ है कि ग्रामीण कुछ बोलने से कतराते है। सूत्र बताते है कि यहां कोई महिला चिकित्सक की तैनाती नही है जिसके कारण कोई महिला मरीज आती है तो अस्पताल के कर्मचारी उसके साथ छेड़छाड़ करने से नही चुकते। आखिर यह चिकित्सालय इस तरह से कब तक वार्ड व्वाय के सहारे चलता रहेगा, और मरीज और तीमारदार इनके द्वारा किये जा रहे दुव्र्यवहार से कब छुटकारा पायेगें। उन ग्रामीण जनता का क्या होगा जो गांव में छोलाछाप डाक्टरी करने वालों के चंगुल में फंस जाते है। जिम्मेदार चिकित्साधिकारी से गांव वालों ने मांग की है कि एसे लापरवाह डाक्टर को स्थानातरित कर विभागीय कार्यवाही की जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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