लखनऊ - आज अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पद्म श्री डा0 पी0 पुष्पांगदन महानिदेशक एमिटी इन्स्टीट्यूट फार हर्बल एवं बायोटेक-प्रोडेक्ट्स डेवलपमेन्ट ने कहा है कि देश के जैव संसाधनों की पहुंच को नियमित करने की आवश्यकता हैं, जिससे जैविक संसाधनों के उपयोग से धर्नाजन के साथ ही ज्ञान भी प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि विनास हो रही प्रजातियों के संरक्षण एवं पुर्नवास पर विशेष ध्यान देकर उन्हें नष्ट होने से बचाया जा सकता है। इस अवसर पर उन्होंने स्मारिका का विमोचन एवं 20 मई को फोटो ग्राफी प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सान्त्वना पाने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार भी वितरित किया।
पद्म श्री डा0 पी0 पुष्पांगदन ने यह विचार 22 मई 2010 को अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर डा0 राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय लखनऊ में जैव विविधता विकास और गरीबी निवारण विषय पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जैव विविधता वहुविंधा विशेष है जिसके कार्य व कार्यकलाप अनेक हैं। इनके साझेदार केन्द्र सरकार, राज्य सरकार स्थानीय स्वशासित संगठन के संस्थान एवं उद्योग हैं।
जैव विविधता विकास और गरीबी निवारण पर बोलते हुए प्रमुख सचिव वन श्री चंचल कुमार तिवारी ने कहा कि वैसे तो प्रत्येक वर्ष यह दिवस मनाया जाता है, परन्तु इस वर्ष इसे गरीबी से जोड़ा गया है। हमें इस पर विचार करना होगा कि हमारे पास का पर्यावरण कैसे स्वच्छ रहे और इसके साथ ही हमारे बीच रहने वाले जीव जन्तुओं की प्रजातियां, जो हमें किसी न किसी रूप में लाभ पहुंचाती रहती है उनका विनास न होने पायें।
डा0 राम मनोहर लोहिया विधि संरक्षण के कुलपति प्रोफेसर बलराज चौहान ने बताया कि जैव विविधता का हमारे जीवन शैली पर बहुत प्रभाव पड़ता है अत: हमारा कर्तव्य बनता है कि जैव विविधता के संरक्षण व संवर्धन पर निरन्तर ध्यान रखे। उन्होंने कहा कि जीव प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है। उन्हें बचाने का प्रयास हमें करना होगा।
प्रमुख वन संरक्षक श्री डी0 एन0 एस0 सुमन ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण एवं सौंदर्यीकरण हेतु सड़कों के किनारे खाली पड़ी भूमि एवं पार्कों की भूमि में शोभाकार व छायादार वृक्ष सामाजिकी वानिकी योजना के अन्तर्गत लगाये जा रहे है।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए श्री वृजलाल अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक लखनऊ ने कहा कि अधिकांश उपयोग में आने वाले अनेक अनाज हमारे बीच से गायब हो गये, जिनसे हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता था और वह औषधि के रूप में उपयोग होते थे। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार वन्य जीव एवं पशु-पक्षियों की प्रजातियां भी कम देखने मे आ रही है। उन्होंने कहा कि हमें जंगलों से मिलने वाले लाभ के बारे में पूर्णतया जानकारी है। वनों के विकास से वन्य जीवों के रहने का स्थान विकसित होगा।
संगोष्ठी में देश/प्रदेश के दूर दराज से आये वैज्ञानिक शिक्षाविद, समाज सेवी एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकरी मौजूद रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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