लखनऊ - सभी व्यक्तियों का अपना अधिकार होता है जिसको मानवाधिकार कहते हैं। इसकी व्याख्या हमारे संविधान के मूल अधिकारों तथा मानवाधिकार अधिनियम की धारा-02 में की गई है। व्यक्ति चाहे वह कैदी हो, आम नागरिक हो, बीमार व्यक्ति हो, उसके जीवन, सम्मान, बराबरी के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।
यह उद्गार राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सेमा ने आज यहां प्रदेश मानवाधिकार आयोग भवन गोमती नगर में लखनऊ मण्डल के सिविल, पुलिस, चिकित्सा, जेल विभाग के अधिकारियों के एक जागरूकता कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जागरूकता स्थापना में कार्यपालिका के अधिकारियों को अपनी अग्रणी भूमिका निभाना चाहिए। उन्हें अपने कार्यों के प्रति विश्वास एवं ईमानदारी की भावना से कार्य को आगे बढ़ाना चाहिए।
मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति श्री विष्णु सहाय ने मानवाधिकार अधिनियम 1993 के विभिन्न बिन्दुओं पर प्रकाश डाला तथा कहा कि इसके प्रति जागरूकता उत्पन्न करना हमारा शासकीय ही नहीं संवैधानिक दायित्व है।
इस अवसर पर अपर पुलिस महानिदेशक मानवाधिकार श्री बी0 एम0 सारस्वत, पूर्व उप कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय प्रो0 रूप रेखा वर्मा, न्यायाधीश पी0 के0 श्रीवास्तव, पुलिस महानिदेशक (तकनीकी सेवा) श्री शैलेन्द्र सागर, आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में लखनऊ, लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारियों के अलावा सीतापुर, उन्नाव, हरदोई तथा लखनऊ मण्डल के पुलिस, चिकित्सा, जेल विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन विधि अधिकारी श्री मानवेन्द्र सिंह एवं जुगल किशोर तिवारी ने तथा आभार श्री अशोक कुमार वर्मा ने ज्ञापित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com