सत्ता पर अपना दबदबा कायम रखने के लिए कांग्रेस, भाजपा एवं अन्य पार्टियों ने आजादी के बाद जाति के आधार पर जनगणना नहीं होने दी-सुश्री मायावती
उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने देश में कांग्रेस एवं भाजपा समेत लगभग सभी दलों को अन्य पिछड़े वगाZेंZ का विरोधी बताते हुए कहा कि आजादी के बाद से केन्द्र में शासन करने वाली विपक्षी पार्टियों ने सदियों से उपेक्षित अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों की एक सोची समझी रणनीति के तहत जातीय जनगणना न कराकर उन्हें तमाम अधिकारों से वंचित रखा। उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग जिसमें बड़ी संख्या में धार्मिक अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक पिछडे़पन के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि एक साजिश के तहत इनकी सही संख्या की गणना न कराकर देश के बहुत बड़े समाज को विकास की मुख्य धारा से अलग रखा, जिससे देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित रहा।
मुख्यमन्त्री ने प्रधानमन्त्री को आज ही पत्र भेजकर अन्य पिछड़े वर्गों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए जाति के आधार पर जनगणना कराने का अनुरोध किया है।
सुश्री मायावती ने कहा कि सभी विपक्षी दलों की पिछड़ी जातियों के प्रति जातिवादी मानसिकता को दृष्टिगत रखते हुए इस वर्ष में होने वाली जनगणना को जातीय आधार पर कराने का मुद्दा संसद में जोर-शोर से उठाने तथा दबाव बनाने के लिए, उन्होंने अपने सांसदों को निर्देश दिये थे। इसके अनुपालन में बी0एस0पी0 के सांसदों ने संसद में सबसे पहले जाति आधारित जनगणना का मुद्दा उठाया। अब अन्य पार्टियोंं में इसका श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत भाजपा एवं अन्य विपक्षी पार्टियां यदि पिछड़े वर्गों की हितैषी होती तो आजादी के बाद जितनी बार जनगणना हुई है, उसमें पिछड़ी जातियों की वास्तविक संख्या पता लगाने के लिए जातीय आधार पर जनगणना कराने का फैसला लेतीं और इन आंकड़ों के आधार पर अन्य पिछड़ा वगोंZ के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित करती।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि आजादी के बाद केन्द्र की सत्ता में रही सरकारों ने अन्य पिछड़े वर्गों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने के लिए जाति के आधार पर जनगणना जानबूझ नहीं करायी, ताकि ये लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और संगठित न हो सकें। उन्होंने कहा कि चूंकि इन पिछड़े वर्गों में धार्मिक अल्पसंख्यकों की एक बहुत बड़ी संख्या भी शामिल है, जिन्हें केन्द्र की सत्ता में रही सरकारों ने हमेशा उपेक्षित किया और अपना राजनीतिक वर्चस्व बनाये रखने के लिए वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि आजादी के लगभग 63 वषाZें के बाद भी पूरे देश में अन्य पिछड़े वर्गों की शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
सुश्री मायावती ने कहा कि योजनाबद्ध विकास की रणनीति बनाने के लिए विभिन्न वगोंZ की जनसंख्या की सही जानकारी और उनके शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की जानकारी होना जरूरी है। यह तथ्य है कि हमारे देश में जो जातियां सामाजिक और शैक्षणिक रूप से भी पिछड़ी हैं, वह आर्थिक रूप से भी पिछड़ी हुई हैं। इसीलिए विकास की पहुंच से दूर खासतौर से अन्य पिछड़े वगोंZ के उत्थान के लिए इनकी सही-सही संख्या की जानकारी जरूरी है, जो केवल जाति-आधारित जनगणना के आधार पर ही सम्भव है। उन्होंने कहा कि लम्बे समय से सत्ता पर काबिज पार्टियों को जातिगत आधारित जनगणना का डर शुरू से रहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग अपनी अधिक जनसंख्या के आधार पर नौकरियों तथा राष्ट्रीय सम्पदा में अधिक हिस्से की मांग करेंगे, जिससे इन वगोंZ को काफी समय से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी सभी पार्टियों की इस सोच से इनकी पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता पूरी तरह उजागर हो जाती है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि कांग्रेस एवं बी0जे0पी0 समेत लगभग सभी अन्य पार्टियों की उदासीन रवैये के चलते पूरे देश में पिछड़े वर्गों की शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति अब भी दयनीय बनी हुई है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के सर्वागींर्ण विकास के लिए उन्हें आरक्षण की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने मण्डल आयोग की संस्तुतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा होने की स्थिति की पुष्टि की थी।
सुश्री मायावती ने कहा कि वह शुरू से ही अन्य पिछड़े वर्गों के प्रति संवेदनशील रही हैं और जब उन्हें पहली बार 1995 में सत्ता में आने का मौका मिला, तो उन्होंने पिछड़े वर्गों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का स्वतन्त्र रूप से गठन किया। इसके साथ ही इन वर्गों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की। उन्होंने कहा कि उनके हर शासनकाल में उन्होंने अन्य पिछड़े वर्गों के हितों का पूरा-पूरा ध्यान रखा है, जबकि पूर्व की सरकारों ने अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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