समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा 13 मई को बहुजन समाज पार्टी की सरकार के तीन साल पूरे हो गये हैं। अपनी उपलब्धियों की मुख्यमन्त्री ने किताबें खुद ही बंटवाई है क्योंकि कहीं कोई उनकी उपलब्धियां खोज ही नहीं पा रहा है। बड़े जोरशोर से उन्होने 500 अपराधियों को अपनी पार्टी से निकालने का ऐलान किया था, वे उनकी सूची ही नहीं जारी कर सकीं है। बसपा में सारे अपराधी मन्त्री, विधायक और सॉसद बने घूम रहे हैं। जिन पर संगीन धाराओं के मुकदमें हैं वे राज्यमन्त्री का दर्जा लेकर निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष बने हुए हैं। जनता बिजली, पानी, खाद, बीज के लिए बेहाल है। मंहगाई की मार से त्रस्त है लेकिन मुख्यमन्त्री और उनके कृपापात्र वसूली, लूट से घर भरते रहे हैं। लुटी-पिटी जनता को करोड़ों की माला का जलवा दिखाया गया है। उत्तर प्रदेश बबाZदी के रास्ते पर हैं, इस ओर लोगों का ध्यान न जाए इसलिए उन्हें भरमाने के लिए अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापनों, होर्डिगों, काला जादू, नाटक-नौटंकी तथा आल्हा गायन के कार्यक्रमों पर अब धन बहाया जा रहा है।
वस्तुत:उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल के तीन वर्ष कुशासन, भ्रष्टाचार के पर्याय रहे है। राजनीति इससे बुरी तरह कलंकित हुई है क्योंकि लोकतन्त्र की सभी मर्यादाएं इस अवधि में तार-तार हुई है। संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा में निरन्तर अवमूल्यन हुआ है। विपक्ष के प्रति सम्मान दिखाना तो दूर, हर तरह से उसे दबाने, लांछित करने और उसके प्रति रागद्वेष की कार्यवाही करने में ही शासन-प्रशासन लगा रहा है। सुश्री मायावती ने अपने कारनामों से प्रदेश का विकास ठप्प कर विनाश की पहल की है। तीन साल से मिलावट, जमाखोरी औेर अपराधों के तमाम मामलों में किसी पर प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई। जहरीली शराब के बसपा संरक्षित धंधे में सैकड़ों जाने चली गई हैं। सरकारी कृपा से हर तरह का गलत धंधा तस्करी, अपहरण से लेकर लूट, हत्या सब कुछ बसपा विधायको, मन्त्रियों एवं सॉसदों के संरक्षण में ही पनपा है। महिलाओं की सरेआम इज्जत लुटती रही है।
किसान बेहाल है। उसको न तो उपज की लागत के बराबर मूल्य मिल रहा है नहीं उसको साहूकारों और बैंको के कर्जे से छुटकारा मिला। गेहूं, धान एवं गन्ना की खरीद में न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ खरीद केन्द्रो में लूट पर कोई अंकुश नहीं लग सका है। किसानों की कृषि भूमि एक्सप्रेस वे के नाम पर जबरन छीनी जा रही है। राज्य का औद्योगिक विकास पूरी तरह ठप है। मिले बन्द हो रही है, मजदूर बेकार हो रहे है।
यह अत्यन्त दुर्भाग्य की बात है कि मुख्यमन्त्री प्रदेश की प्रगति के संसाधन जुटाने के बजाए केन्द्र से ज्यादा से ज्यादा धन उगाही के लिए फिक्रमन्द रहती हैं। केन्द्र को इसके लिए चिटि्ठयां लिखने में ही शक्ति खर्च कर रही हैं। शासन-प्रशासन अपने दायित्व से विमुख सुश्री मायावती की राजनीतिक लिप्सा, धन संग्रह एवं निजी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बन गया है। जनता अब इस सरकार से जल्दी से जल्दी निजात पाना चाहती है। समाजवादी पार्टी ऐसी जन विरोधी, विकास विरोधी एवं लोकतन्त्र विरोधी सरकार के प्रति गहरा क्षोभ व्यक्त करती है और सरकार रीति नीति की घोर निन्दा करती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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