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बुन्देलखण्ड के लिए घोषित पैकेज से उत्तर प्रदेश को कोई अतिरिक्त सहायता नहीं मिल रही है

Posted on 14 May 2010 by admin

उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती के निर्देश पर मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता ने आज झांसी में केन्द्रीय योजना आयोग एवं केन्द्र सरकार के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में बुन्देलखण्ड पैकेज के सम्बन्ध में राज्य सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने पैकेज से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं के वित्तीय समायोजन तथा पैकेज क्रियान्वयन की प्रगति पर गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र द्वारा बुन्देलखण्ड के लिए घोषित पैकेज से उत्तर प्रदेश को कोई अतिरिक्त सहायता नहीं मिल रही है।

श्री गुप्ता ने बैठक में प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा बुन्देलखण्ड पैकेज से सम्बन्धित जो योजनाएं/परियोजनाएं राष्ट्रीय वर्ष क्षेत्र प्राधिकरण (एन0आर0ए0ए0) द्वारा अनुमोदित हैं एवं भारत सरकार के सम्बन्धित मन्त्रालयों को भेजी जा चुकी हैं, उनके सम्बन्ध में बजट स्वीकृति की वचनबद्धता हेतु अनुरोध किया। उन्होंने बुन्देलखण्ड पैकेज के सम्बन्ध में विभिन्न बिन्दु उठाते हुए पैकेज से सम्बन्धित कार्यो को मानसून से पहले शुरू कराने के साथ-साथ बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पेयजल समस्या के स्थायी समाधान के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

मुख्य सचिव ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किये गये 3506 करोड़ रूपये के विशेष पैकेज की ओर केन्द्र सरकार के अधिकारियों का ध्यान खासतौर से आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि इस पैकेज से यह बात पूरी तरह साफ हो गई है कि केन्द्र द्वारा उत्तर प्रदेश को कोई अतिरिक्त धनराशि नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने वित्तीय प्रबन्धन करते हुए विशेष पैकेज में 1910.24 करोड़ रूपये की धनराशि की व्यवस्था कनवर्जेन्स और वर्तमान में संचालित केन्द्रीय योजनाओं से करने की बात कही है।

श्री गुप्ता ने कहॉ कि जहॉ तक पैकेज में 1595.76 करोड़ रूपये की अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता (ए0सी0ए0) दिये जाने का मामला है, वह धनराशि तो व्यवस्था के तहत उत्तर प्रदेश को मिलनी ही है। इसके बावजूद ए0सी0ए0 के तहत अभी तक राज्य सरकार को मात्र 332.28 करोड़ रूपये ही अवमुक्त किये गये हैं। उन्होंने अवशेष धनराशि को तत्काल अवमुक्त किये जाने का अनुरोध करते हुए मनरेगा के अन्तर्गत राज्य सरकार को मिलने वाली 471 करोड़ रूपये की धनराशि को भी शीघ्र अवमुक्त किये जाने पर बल दिया।

बैठक में केन्द्रीय योजना आयोग की सदस्य सचिव श्रीमती सुधा पिल्लै, कृषि मन्त्रालय के तकनीकि विशेषज्ञ डॉ0 जे0 एस0 सामरा, भारत सरकार के अन्य सम्बन्धित मन्त्रालयों के अधिकारी तथा उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आर0 के0 शर्मा, ग्राम्य विकास, लघु सिंचाई, कृषि, वन, सिंचाई, दुग्ध विकास, भूमि विकास एवं जल संसाधन आदि पैकेज से सम्बन्धित विभागों के प्रमुख सचिव/सचिव, बुन्देलखण्ड तथा चित्रकूटधाम मण्डलों के मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

मुख्य सचिव ने चालू योजनाओं में केन्द्रांश के रूप में मिलने वाली 1,318.59 करोड़ रूपये की धनराशि का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें से समादेश क्षेत्र विकास के अन्तर्गत लोवर राजघाट परियोजना में सिर्फ 22 करोड़ रूपये की सहायता प्राप्त हुई है। इसके अलावा कतिपय परियोजनाओं में अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता का उपयोग दो वर्ष में होना है, लेकिन भारत सरकार द्वारा पूरी धनराशि अवमुक्त कर दी गई है। इसलिए केन्द्रीय सहायता में आवश्यकतानुसार समायोजन हेतु योजना आयोग द्वारा राज्य सरकार को अधिकृत किया जाना चाहिए।

श्री गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कृषि, पशुधन, उद्यान, मण्डी परिषद, सिंचाई एवं लघु सिंचाई की परियोजनाएं राष्ट्रीय वषाZ क्षेत्र प्राधिकरण (एन0आर0ए0ए0) को भेजी गई है। बुन्देलखण्ड पैकेज के अधीन इन योजनाओं को शीघ्र ही स्वीकृति दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी बिन्दु उठाया कि पैकेज में वाटरशेड मैनेजमेंट के लिए 810 करोड़ रूपये की धनराशि रखी गई है। इसके उपयोग के लिए राज्यांश का प्राविधान नहीं है। इसके बावजूद भी सम्बन्धित केन्द्रीय मन्त्रालय द्वारा 10 प्रतिशत राज्यांश की अपेक्षा की जा रही है। उन्होंने मांग की कि केन्द्रीय योजना आयोग इसका समाधान करे। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न मदों के लिए पैकेज में इंगित धनराशि से आवश्यकतानुसार अन्य मदों के लिए समायोजन का अधिकार राज्य सरकार को देने का भी अनुरोध किया।

मुख्य सचिव ने केन्द्रीय योजना आयोग से पैकेज में सम्मिलित मदों में राज्य द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार क्रियान्वयन की अनुमति देने की भी अपेक्षा की। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि िस्प्रंकलर पर विभिन्न श्रेणी के लाभार्थियों को सौ फीसदी अथवा 75 फीसदी अनुदान राशि दी जाती है जबकि पैकेज में मात्र 40 प्रतिशत अनुदान की दर से धनराशि का प्राविधान किया गया है। उन्होंने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पेय जल की समस्या के समाधान के लिए केन्द्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा संसाधन उपलब्ध कराने पर जोर दिया।

श्री गुप्ता ने बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत कुछ केन्द्रीय योजनाओं में इस क्षेत्र की परिस्थितियों को देखते हुए मानकों में छूट/शिथिलता किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेष सरकार द्वारा यह स्पश्ट किया गया है कि जिन कार्यक्रमों को उत्तर प्रदेष सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के तहत कराया जा रहा है, उन्हीं के अनुरूप केन्द्रीय योजनाओं को बुन्देलखण्ड में लागू कराया जाये। इसी क्रम में उन्होंने मनरेगा के तहत इच्छुक परिवारों को रोजगार दिये जाने के 100 दिन की अधिकतम सीमा को शिथिल करने हेतु भारत सरकार से अपेक्षा की, ताकि क्षेत्र की आवश्यकता और परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए वित्तीय वर्ष में जो परिवार/व्यक्ति काम करना चाहें, उन्हें काम उपलब्ध हो सके। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के कारण कार्यो पर सामग्री का प्रयोग अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक होता है इसलिए मनरेगा में अनुमन्य श्रम-सामग्री का अनुपात 60:40 को शिथिल किया जाये।

मुख्य सचिव ने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थायी रोजगार के साधन भी सृजित होने चाहिए। इसके लिए अवस्थापना विकास के साथ-साथ भारी और लघु उद्योगों, खासतौर पर खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पर्यटन के विकास की भी असीम सम्भावनाएं हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राश्ट्रीय औद्यानिक मिषन के तहत बुन्देलखण्ड के लिए पैकेज में किया गया प्राविधान पिछले वर्श की तुलना में कम है। इसलिए इसमें अतिरिक्त आवंटन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड पैकेज में सम्मिलित कार्यो की लागत का आकलन लगभग दो वर्ष पूर्व हुआ था, जिसके आधार पर इन कार्याें को वर्तमान लागत में पूरा करना सम्भव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए इन कार्यो के लिए केन्द्र सरकार को अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत करनी चाहिए।

श्री गुप्ता ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्रस्तावित कार्यो के साथ-साथ छोटे-बड़े चेक डैम के निर्माण को शामिल किये जाने का अनुरोध किया ताकि पिछले पांच वर्षो से सूखाग्रस्त घोशित इस क्षेत्र में जल संरक्षण एवं जल संचयन किया जा सके। उन्होंने केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना के प्रस्ताव पर षीघ्र कार्यवाही की आवष्यकता पर बल देते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कृशि को बढ़ावा देने के लिए राश्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा किये जाने वाले निवेष में कई गुना वृद्धि करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह बेहद कम है, इसलिए केन्द्र सरकार को इस पर विषेश ध्यान देना चाहिए।

इस मौके पर योजना आयोग के सदस्यों तथा भारत सरकार के वरिश्ठ अधिकारियों ने राज्य सरकार के अधिकारियों को बैठक में उठाये गये लगभग सभी मुद्दों पर विचार करने का आष्वासन दिया। इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव ने कहा कि केन्द्र सरकार के अधिकारियों द्वारा बैठक में उठाये गये विभिन्न बिन्दुओं तथा बुन्देलखण्ड पैकेज पर दिया गया आष्वासन पूर्ण रूप से सकारात्मक नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार की ओर से बैठक में उठाये गये विभिन्न बिन्दुओं के सम्बन्ध में बताया गया कि इनके सम्बन्ध में योजना आयोग की आगामी 1 जून को सम्पन्न होने वाली बैठक में विचार किया जायेगा।

श्री गुप्ता ने इस अवसर पर सभी विभागीय अधिकारियों तथा दोनों मण्डलों के आयुक्तों को निर्दे दिये कि वे पूरी गति से कार्यान्वयन में जुट जायें तथा आगामी वर्षा से पहले अधिक से अधिक कार्यो को पूरा कर लें, ताकि इसका लाभ जल संचय व सिंचाई के लिए उठाया जा सके। उन्होंने यह भी स्पश्ट किया कि इन कार्यो की प्रगति की हर माह समीक्षा की जायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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