सरकार के तीन वर्ष : प्रदेश का काला अध्याय
लखनऊ - बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल के तीन वर्ष प्रदेश के इतिहास के कलंकपूर्ण अध्याय रहे हैं। इस अवधि में प्रदेश विकास के क्षेत्र में मीलों दूर पीछे ढकेल दिया गया है। राज्य की अर्थव्यवस्था दिवालिएपन के कगार पर पहुंच गई है। राजकोष के भयंकर दुरूपयोग के चलते जनता की गाढ़ी कमाई पत्थरों, पार्को, स्मारकों और बसपा नेताओं की प्रतिमाओं पर खर्च की जा रही है। अनुत्पादक मदों पर व्यय से विकास कार्य ठप्प हैं। प्रदेश की सरकार ने संवैधानिक प्रतिष्ठानों के निरन्तर अवमूल्यन और लोकतन्त्र को लांछित करने का काम किया है। विपक्ष के प्रति असम्मानपूर्ण आचरण, जनान्दोलन का बर्बर दमन और माफियाओं का संरक्षण इस सरकार ने जिस बेहियायी से किया हैं, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है।
जबसे प्रदेश में बसपा सरकार बनी है कानून व्यवस्था का संकट निरन्तर गहराता गया है। राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश मानवाधिकारों के हनन, दलितों के उत्पीड़न, महिलाओं पर अत्याचार तथा कुप्रबंधन के मामलों में शीर्ष स्तर पर स्थान पाता रहा है। भयमुक्त समाज का नारा देने वाली सरकार में सिर्फ वही व्यक्ति भयमुक्त है जिस पर किसी अपराधी की निगाह किसी कारणवश न पड़ी हो। सरकार में शामिल कई मन्त्री संगीन धाराओं में आरोपित हैं और बसपा के विधायकों, सॉसदों में तो माफियाओं की भरमार है। अपराधियों की छंटनी के नाटक में मुख्यमन्त्री को वांछित वसूली न दे सकने वाले अपराधी ही चििन्हत हो रहे हैं। बड़े अपराधी तो उनकी निगाह में गरीबों के मसीहा होते हैं। इन मसीहाओं ने सरकारी संरक्षण में लूट, वसूली, कोठी-प्लाट पर कब्जा, हत्या, अपहरण की वारदातों को ऐसा अंजाम दिया कि प्रदेश में जंगलराज कायम हो गया है। पुलिस थानों में गरीब और सामान्य जन की सुनवाई नहीं हो रही है। खुद पुलिसतन्त्र में अराजकता का हाल यह है कि स्वयं डीजीपी के आदेश भी नहीं माने जाते हैं, पुलिस बल के प्रयोग के लिए आए कारतूस और हथियार अराजकतत्वों, नक्सलियों, माओवादियों को बेचे जा रहे है।
तीन साल में प्रदेश में मिलावट, जमाखोरी और नकली शराब के धंधे को फलने-फूलने का पूरा मौका दिया गया है। मिलावट का रोग अब पराग दूध जैसे सरकारी उपक्रमों तक पहुंच गया है। जहरीली शराब ने सैकड़ों लोगों की जाने ले ली है। मंहगाई की मार से जनता बुरी तरह त्रस्त हैं। सरकार ने खुद वैट पर सैट लगाकर इसे बढ़ाया है। समाजवादी पार्टी ने इसके खिलाफ 19 जनवरी और 27 अप्रैल, 2010 को आन्दोलन किए जिसमें जनता ने भारी संख्या में भागीदारी की। इसकी सफलता से बौखलायी सरकार ने समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न की कार्यवाही शुरू कर दी है। झूठे मामलों में गिरफ्तारी, उनके घरों पर दबिश डाली जा रही है और घरवालों तक को थानों पर बुलाकर बिठाया जा रहा है। समाजवादी पार्टी प्रदेश सरकार को इससे बाज आने की चेतावनी देती है।
मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने प्रदेश के बुनियादी ढांचे को ही बिगाड़ कर रख दिया है। सड़क, बिजली, पानी के क्षेत्र में हाहाकार मचा हुआ है। बसपा सरकार के समय इसीलिए उद्योग क्षेत्र में पूंजीनिवेश शून्य है। जो उद्योग धंधे लगे भी है, वे बन्दी के कगार पर हैं। मजदूर बेकार हो रहे है। कुप्रबंधन एवं कोई नीति न होने के कारण पावर कारपोरेशन को अब तक 33750 करोड़ का घाटा हो चुका है। गांवों में दो घंटे भी बिजली नहीं आती है। अब तो राजधानी क्षेत्र में भी कटौती होने लगी है। मन्त्री खुद बिजली चोरी की बात स्वीकार करते है पर अपने विभाग पर उनका कोई नियन्त्रण नहीं है। समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमन्त्री श्री मुलायम सिंह यादव ने गद्दी छोड़ते समय सरकारी खजाने में 24 हजार करोड़ रूपया छोडे़ थे। बसपा सरकार ने राजकोष को लूट कर तीन वर्षो में प्रदेश को कंगाल बना दिया है।
किसानो के प्रति तो इस सरकार का शुरू से ही सौतेला व्यवहार रहा है। इस सरकार ने आते ही गन्ना, धान और गेहूं की खरीद में घपलेबाजी को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। न्यूनतम समर्थन मूल्य ऐसे घोषित किए गए जिनसे लागत भी नही निकलती है। बीज, खाद, सिंचाई पर कोई ध्यान नहीं दिए जाने से बाजार कालाबाजारियों के कब्जे में चला गया और किसान कर्ज में डूबता गया हैं। खरीद केन्द्रों में लूट मची हुई है। बिचौलिए और भ्रष्ट अफसर चॉदी काट रहे हैं। किसानों की कृषि भूमि एक्सप्रेस वे के नाम पर हड़पी जा रही है और उसे पूंजीपतियों को कम दामों पर देकर ऊंचा कमीशन कमाया जा रहा है।
सरकार की योजनाएं दिखाने भर की हैं। गरीबों का इससे बड़ा मजाक क्या होगा कि इन्दिरा आवास, अम्बेडकर ग्राम योजना, कांशीराम आवास योजना के नाम पर घटिया निर्माण और असुरक्षित आवास ही बने हैं और उनके आवंटन में भी लेन देन की शिकायतें आ रही हैं। दलितों के साथ यह बेहूदा मजाक है। गरीबों को राशन, किरोसिन कुछ भी नही मिलता है। दरअसल, इस सरकार की जो भी योजना बनती है उसके पीछे कमीशन और ठेके का खेल भी जुड़ा रहता है। गरीबों, दलितों, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के हित में जो तमाम योजनाएं श्री मुलायम सिंह यादव के मुख्यमन्त्रित्वकाल में प्रारम्भ हुई थी, वे सब सरकारी उपेक्षा की शिकार हो गई हैं। अल्पसंख्यक समाज के नौजवान इस सरकार मे सबसे ज्यादा उत्पीड़न के शिकार बने है। आतंकवादी बताकर सैकड़ों निर्दोष लोगों की गिरफ्तारियां एवं फर्जी इन्काउंटर किए गए है।
प्रदेश की बर्बादी केन्द्र की कांग्रेस के साथ राज्य की बसपा सरकार की मिलीभगत से ही हुई है। मंहगाई की बढ़त उन्हीं की देन है। मुख्यमन्त्री के आय से अधिक सम्पत्ति का मामला हो या करोड़ों के नोटों की मालाओं का, वसूली और कोठी कब्जे का या तमाम बेनामी संपत्ति बटोरने का, हर मामले में केन्द्र सरकार का इसे संरक्षण मिलता रहा है। मुख्यमन्त्री बदले में कांग्रेस को समर्थन दे रही है। महिला आरक्षण बिल में पिछड़ा वर्ग और अल्पसख्यकों का कोटा निर्धारित किए जाने तथा जाति आधारित गणना के मुद्दों पर मुख्यमन्त्री का रवैया ढुलमुल है। उन्होने मनरेगा जैसी केन्द्रीय योजनाओं में भी घपलों को प्रोत्साहित किया है पर केन्द्र सरकार उसकी जॉच नहीं करती है। इस सम्बन्ध में राज्यपाल महोदय की भूमिका भी मूकदर्शक की रही है। उन्होने प्रदेश की असंवैधानिक, जन विरोधी, विकास विरोधी तथा भ्रष्ट सरकार के विरूद्ध शिकायतो पर कोई कार्यवाही न कर अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया है।
समाजवादी पार्टी प्रदेश की बदहाली पर चिन्ता एवं प्रशासन की सत्तारूढ़ दल के एजेंन्ट बन जाने की भूमिका पर गहरा क्षोभ जताते हुए तथा पिछले तीन वर्षो में आम जनता को जिन त्रासद स्थितियों से सरकारी रीति-नीति के कारण गुजरना पडा है, उसकी तीव्र शब्दों में भत्र्सना करती हैं। समाजवादी पार्टी गांधी जी के शान्तिपूर्ण अहिंसक आन्दोलन में विश्वास रखती है। वह जनान्दोलन के द्वारा ही प्रदेश में परिवर्तन लाने का संकल्प व्यक्त करती है और प्रदेश के करोड़ों लोगों से इसमें सहयोग एवं समर्थन का आवाह्न करती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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