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मुख्यमन्त्री ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पंचायतों तथा स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण सम्बन्धी निर्णय का स्वागत किया

Posted on 11 May 2010 by admin

लखनऊ - उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने माननीय सर्वाेच्चसर्वोच्च न्यायालय द्वारा पंचायतों और स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए की गई आरक्षण की व्यवस्था को सही ठहराने पर इस निर्णय का स्वागत किया है।

मुख्यमन्त्री ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की सूचना मिलते ही अपने आवास पर उच्च अधिकारियों तथा न्याय विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने इस फैसले को दृष्टिगत रखते हुए आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

सुश्री मायावती ने कहा कि आजादी के 63 वर्ष पूरा होने के बाद भी कांग्रेस एवं लगभग सभी अन्य पार्टियों की उदासीन रवैये के चलते पूरे देश में पिछड़े वर्गों की शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति अब भी दयनीय बनी हुई है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के सर्वांगीर्ण विकास के लिए उन्हें आरक्षण की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने मण्डल आयोग की संस्तुतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा होने की स्थिति की पुष्टि की थी।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि उनकी सरकार पिछड़ों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए कटिबद्ध है और उनके हितों के लिए पूरी तरह संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों की विभिन्न जातियां लम्बे समय से देश की मुख्य धारा से दूर रहीं। मण्डल कमीशन ने इनके उत्थान के लिए विभिन्न सिफारिशें की। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि लम्बे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी व अन्य सभी पार्टियों की सरकारों ने मण्डल कमीशन की सिफारिशों को लम्बे समय तक ठण्डे बस्ते में डाले रखा। उन्होंने कहा कि यदि मण्डल कमीशन की संस्तुतियों को लागू करने के लिए पूरे देश में यदि आन्दोलन न होता तो शायद यह सिफारिशें लागू भी नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से पिछडे़ वर्गों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया और उनके शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के बारे में न कभी कुछ सोचा और न ही उनके लिए कुछ किया।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि वह शुरू से ही अन्य पिछड़े वर्गों के प्रति संवेदनशील रही हैं और जब उन्हें पहली बार 1995 में सत्ता में आने का मौका मिला, तो उन्होंने पिछड़े वर्गों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का स्वतन्त्र रूप से गठन किया। इसके साथ ही इन वर्गों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की। उन्होंने कहा कि उनके हर शासनकाल में उन्होंने पिछड़े वर्गों के हितों का पूरा-पूरा ध्यान रखा है। जबकि पूर्व की सरकारों ने पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए ऐसा कोई कदम नहीं उठाया।

सुश्री मायावती ने कहा कि चौथी बार सत्ता में आने पर उन्होंने पिछड़े वर्गों में से अति पिछडे़ वर्गों की 16 जातियों (कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़, माझी मछुवा, लोनिया, नोनिया, तथा लोनिया-चौहान, धनकर) को अनुसूचित जाति/जनजाति की सूची में आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था को बनाये रखते हुए शामिल करने की मांग की थी, ताकि एस0सी0/एस0टी0 का आरक्षण प्रभावित न हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए 20 मार्च, 2008 को प्रधानमन्त्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया था। लेकिन अब तक इस पर केन्द्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि उनकी सरकार पिछड़े वर्गों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभािन्वत कर रही है। पिछड़े वर्ग की क्रीमी लेयर की सीमा तीन लाख रूपये से बढ़ाकर पांच लाख रूपये करने का निर्णय लिया है, ताकि अधिक से अधिक इन वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग के छात्रों के कल्याण के लिए पूर्वदशम छात्रवृत्ति, दशमोत्तर छात्रवृत्ति तथा शुल्क प्रतिपूर्ति की योजनाएं लागू की गई लेकिन छात्रवृत्ति की इन योजनाओं में दो हजार करोड़ रूपये से अधिक की बकाया धनराशि प्रदेश सरकार को अब तक उपलब्ध नहीं करायी गई है। केन्द्र सरकार के रवैये से साफ जाहिर है कि वह पिछड़े वर्गों के हितों के प्रति कितनी संवेदनशील है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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