लखनऊ - उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में बसपा सरकार ने सबसे ज्यादा गड़बड़ी की है। माध्यमिक परीक्षाएं, जिन स्थितियों में शिक्षा माफियाओं की मर्जी मुताबिक हुई हैं, उससे प्रदेश की साख बहुत घटी है। नकल का भयंकर रोग यू0पी0 बोर्ड की परीक्षाओं पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। पीएमटी परीक्षाओं का भी यही हश्र रहा है।
लेकिन सबसे ताजा प्रकरण बी.एड. परीक्षाओं से सम्बंधित है जिससे लाखों छात्र-छात्राओं का भविष्य जुड़ा हुआ है। इस सरकार की प्रशासनिक पंगुता के कारण पहले तो प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए अंक सीमा (45 या 50 प्रतिशत) को लेकर हाय तोबा मची। डेढ लाख छात्रों की जिन्दगी पर जब संकट आया तो हाईकोर्ट तक को हस्तक्षेप करना पड़ा। जब परीक्षा की नौबत आई तो पर्चा लीक हो गया। कई जगहों पर यह पर्चा दस-बीस हजार रूपयों में खुलेआम बिकने लगा।
बी.एड. की प्रवेश परीक्षा 1274 केन्द्रों पर 5 मई,2010 को होनी थी और इसमें 6 लाख 92 हजार अभ्यर्थी शामिल हो रहे थे। विभिन्न परीक्षा केन्द्रो में कल से ही दूर-दूर से आकर छात्र-छा़त्राओं ने डेरा डाल दिया था। बहुतों के अभिभावक भी साथ आए थे। इन सबकों परीक्षाएं ऐन मौके पर रद्द होने से कितनी परेशानी हुई होगी, इसका अन्दाजा भला ऐसी कमरों में बैठे आला अफसरो को कैसे होगा ।
इस परीक्षा के पर्चे लीक होने के मामले की जॉच की औपचारिकता तो होगी ही पर इतना स्पष्ट है कि लखनऊ विश्वविद्यालय अपने कर्तव्य के निर्वहन में पूरी तरह अफसल रहा है और उसने इस परीक्षा को अपेक्षित गम्भीरता से नहीं लिया है। बस्तुत: सम्पूर्ण शिक्षातन्त्र बसपा राज में अस्त व्यस्त हो गया है। प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मन्त्रियों की दिलचस्पी अपनी मुख्यमन्त्री को प्रसन्न करने के लिए ज्यादा से ज्यादा धन उगाही और इस क्षेत्र में बसपाइयों की भर्ती की रही है। स्कूल कालेजों को मान्यता देने के नाम पर धन उगाही का खुला खेल चल रहा है। कुछ मन्त्रियों को तो स्वयं मुख्यमन्त्री भी अकेले माल हड़प करने पर हड़का चुकी हैं।
मुख्यमन्त्री की प्राथमिकता पत्थर, पार्क और स्मारक हैं। ऐसी सरकार से शैक्षिक माहौल में सुधार की आशा करना व्यर्थ है। इस सरकार को इसलिए भी हटा दिया जाए क्योंकि उसके मन्त्री ज्यादातर अपराधिक छवि वाले हैं और वे शिक्षा के नाम पर उसका धंधा करने में विश्वास रखने वाले लोग हैं। समाजवादी पार्टी बी.एड. के लाखों अभ्यथियों के साथ हुए दुव्र्यवहार की निन्दा करती है और पर्चा लीक होने के कांण्ड की निश्पक्ष तथा उच्च स्तरीय जॉच की मांग करती है। इसमें मन्त्रियों की लापरवाही की भी जॉच होनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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