उत्तर प्रदेश की जनता से छल और धोखाघड़ी करने में मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती का कोई सानी नहीं। उनके तीन साल के मुख्यमन्त्रित्व काल में जर्जर कानून व्यवस्था, हत्या, अपहरण, लूट महिलाओं से बलात्कार, चेन स्नैचिंग, वृद्धों-व्यापारियों की हत्या, वकीलों पर बर्बर लाठीचार्ज, वसूली, प्लाट -कोठियों पर कब्जा इन सबसे ऊबी जनता जब सड़क पर उतरने लगी तो मुख्यमन्त्री अब अपराधियों को पार्टी से निकालने का स्टंट करने जा रही है। उनकी अनर्गल बयानबाजी अब जनता के गले नहीं उतरने वाली है। उन्हें अब तक अपराधियों को संरक्षण देने और उनके माध्यम से लूटी गई संपत्तियों का ब्यौरा देना ही होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि एक कुख्यात अपराधी को “गरीबों का मसीहा´´ उन्होंने किस आधार पर बनाया था। गोण्डा के तीन बसपा नेताओं को एक दिन निकालकर दूसरे दिन वापस क्यों ले लियार्षोर्षो क्या इसके पीछे लेनदन की उनकी पुरानी कहानी है
मुख्यमन्त्री पॉच सौ अपराधिक छवि के लोगों को पार्टी से बाहर रास्ता दिखाने का दावा करती हैं पर हकीकत यह है कि मुख्यमन्त्री पार्टी में सिर्फ उन्हें ही निकालने जा रही हैं, जिनसे अब उनके स्वार्थ नहीें सध रहे हैं। ये अपराधी बीते तीन साल से उनके संरक्षण में लूट, बलात्कार, हत्याओं का धंधा निर्भय होकर कर रहे थे। मुख्यमन्त्री के इशारे पर पूरा प्रशासन तन्त्र उनके बचाव में लगा रहा है। ईमानदारी से वे विधायकों-मन्त्रियों के बीच से अपराधियों की छंटनी ‘ाुरू करें तो इस भ्रश्ट सरकार को अल्पमत में आने में 24 घंटे भी नहीं लगेंगे। वह तो महज नाटकबाजी में पार्टी केे छुटभइयों को बाहर कर रही हैं, क्योंकि वे जघन्य काण्डों से उनके लिए लूट, वसूली और करोड़ों की माला के लिए नोट नहीं जुटा सकते हैंं। पुलिस रिकार्ड अगर सार्वजनिक कर दिए जाएं तो पता चलेगा कि बसपा अपराधियों की एकमात्र पसन्द रही है। इसके पदाधिकारी, विधायक, मन्त्री सभी भ्रश्टाचार और अपराधों में आकंठ डूबे हैं। मिलावटखोर, जमाखोर, और कालाबाजारिये चॉदी काट रहे हैं। इन पर कोई सरकारी एजेन्सी हाथ नहीं डालती है, फलत: गरीब आदमी मंहगाई की मार से पिस रहा है। पुलिस थाने खरीद बिक्री के चलते, जिसे स्वयं मुख्यमन्त्री मान चुकी है, निर्दोशों के लिए यातनागृह और अपराधियों के लिए पिकनिक स्पाट बन गए हैं। हिरासत में मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश इसीलिए टाप पर है।
इन स्थितियों में समाजवादी पार्टी की सलाह है कि मुख्यमन्त्री और ज्यादा फजीहत तथा जनाक्रोश से अपने को बचाने के लिए तत्काल राज्यपाल को जाकर अपना इस्तीफा दे आएं कि उनसे प्रदेश का ‘ाासन प्रशासन नहीं संभल रहा है। अब तक जितनी लूट वे कर सकती थी, कर चुकी हैं। इसमें जो उनके समर्थक-सहयोगी थे अब जनता उनको छोड़ने वाली नहीं। इसलिए उनकी संरक्षक होेने के नाते भी कुर्सी पर बैठे रहना अशोभनीय और अनैतिक होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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