कुशभुवनपुर सामाजिक सेवा संस्थान द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय कथा के छठवें दिन देवेश शास्त्री ने श्रोताओं को प्रेम के महत्व को बतलाते हुए कहा कि `मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा Þ:अनुराग से परमात्मा का साक्षात्कार होता है क्यों कि सीता जी ने गौरी का पूजन अनुराग से किया ,तो प्रभु राम मिल गये `पूजा कीन्ह अधिक अनुरागा, निज अनुरूप सुभग वर मांगा`। अवध को बैराग्य, काशी को ज्ञानधाम एवं जनकपुरी को भक्तिधाम कहा गया है। श्री रामायणी ने बतलाया कि प्रेम कें अभाव में प्रभु का साक्षात्कार नहीं हो सकता । श्री बम -बम महराज ने कृश्ण सुदामा प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि सुदामा ने प्रेम से अपने प्रभु को तीन मुट्ठी टूटा चावल ही दिया था जिसके बदले भगवान ने उन्हें दो लोकों का स्वामी बना दिया।वहीं प्रेम दास रामायणी ने` `बरबस राम सुमन्त पठावा ` चौपाई की विस्तृत व्याख्या करते हुए बताया कि श्रीराम के प्रेम में कोल , भीलों , किरात आदि बनवासी भी मगन हो गये थे। कथा में आगे जब उन्होनें `जब-जब राम अवध सुधि करहीं ,तब-तब वारि बिलोचन भरहीं` चौपाई की व्याख्या की तो पांण्डाल में बैठे प्रत्येक श्रोता की आंखों में ऑसू आ गये। श्री रामायणी ने जब भजन ` सॉसों का क्या भरोसा रूक जाए कब कहॉ पर ,चुन ले गुणों के मोती बिखरे जहॉ- जहौं पर गाया` तो श्रोता मन्त्र मुग्ध हो गये। कथा में मुख्य वाणिज्य प्रबन्धक रेलवे नई दिल्ली देव मणि द्विवेदी , पंकज श्रीवास्तव आयकर आयुक्त कानपुर, पं0 ज्ञान प्रकाश शुक्ल, आर0 के0 सिंह सी0ओ0, बाबू रवि शंकर एडवोकेट, राम िशरोमणि वर्मा, सुशील त्रिपाठी, शिवा कान्त मिश्र, राजेन्द्र कुमार यादव , अनिल मिश्र, केश कुमार मिश्र, राकेश श्रीवास्तव, जय नाथ मिश्र,अशोक मिश्र आदि ने व्यास पीठ की आरती कर प्रसाद ग्रहण किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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