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शिक्षा मौलिक अधिकार के रुप में लागू हो

Posted on 24 April 2010 by admin

देश में अगर सही मानों में नरेगा, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू कर दिया जाएं तो अशिक्षा दूर होने के साथ-साथ भ्रष्टाचार भी समाप्त हो जाएगा। जनता के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम एक हथियार है जिसका इस्तेमाल करके सरकरी या गैर सरकारी संगठनों से किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। कोई भी सामान्य नागरिक सम्बंधित फाइलों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त कर सकता है और उनका अवलोकन या निरीक्षण भी कर सकता है। सूचना का अधिकार अधिनियम में एक सामान्य नागरिक को एक सांसद और विधायक के समान अधिकार प्राप्त है। सूचना और शिक्षा का अधिनियम एक दूसरे के पूरक है और एक सिक्के के दो पहलू है। शिक्षा को मौलिक अधिकार के रुप में लागू होना चाहिए।

आज यहां यू पी प्रेस क्लब में मीडिया नेस्ट और यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम “मीडिया फार चिल्ड्रन´´ में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम´ विषय पर बोलते हुए आर टी आई विशेषज्ञ अफजाल अंसारी ने कहा कि भारत में कोई भी कानून बना दीजिए लेकिन अगर जनता का उससे सीधा जुड़ाव नहीं होगा तो वह सफल नहीं हो सकता है। उसमें पारदर्शिता और निगरानी प्रणाली लाजमी है। उन्होंने याद दिलाया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में छह से चौदह वर्षZ के बीच के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था है और कानून का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपए जुर्माना अदा करना पड़ सकता है। यही नहीं जुर्माना अदा न करने पर प्रति दिन दस हजार का दण्ड़ भरना पड़ता है। अंसारी ने बताया कि देशभर में शिक्षा के लिए 171 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता है। साथ ही 781ए हजार स्कूल, 5 लाख अध्यापक और 7 लाख टायलेट्स भी चाहिए। हर 60 बच्चों पर 3 और 101 बच्चों पर 5 अध्यापकों की जरुरत है। उन्होंने कहा कि देश में 5 लाख अध्यापकों में से डेढ़ लाख तो उत्तर प्रदेश में ही चाहिए। उन्होंने कहा कि धारा 25 के अन्र्तगत निगरानी प्रणाली की व्यवस्था है और सरकार को इसके त्वरित क्रियान्वयन के प्रति गम्भीर होना पड़ेगा। यह अधिनियम हमारा एक शस्त्र है और इसे राष्ट्रहित में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। समय से सूचना मिलना महत्वपूर्ण है और धारा 25 में प्रावधान है कि सरकार समय पर सूचना उपलब्ध कराएं। यह अधिनियम लोकतन्त्र को सशक्त और मजबूत करने की प्रक्रिया निधारिZत करता है। इसका गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। लोकतन्त्र में लोंगो की सहभागिता होनी चाहिए। लोकतन्त्र में सूचना का अधिकार इसलिए जरुरी है ताकि सरकार में जनता की सहभागिता हो सके और पारदर्शिता कायम भी रह सके। इस अधिनियम में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और लोंगो की भागीदारी होनी चाहिए।

बुन्देल खण्ड़ विकास मंच के अध्यक्ष बदन सिंह ने कहा कि शिक्षक, बच्चें और अभिभावक दिशाहीन है और आज भी बच्चों के साथ भेदभाव किया जाता है। उन्होंने कहा कि उनके मंच ने तीन जिलों-झांसी, ललितपुर और जालौन में “शिक्षा अधिकार यात्रा´´ का आयोजन करके पाया कि शिक्षा की िस्थित चिन्ताजनक है। अध्यापक किराए पर रखे जाते है, अध्यापक आते ही नहीं है, स्कूल खुलते नहीं है, टायलेट्स है नहीं और बालिकाओं की शिक्षा का तो कोई पुरसाहाल ही नहीं है।

इस अवसर पर यूनीसेफ के अगस्टीन वेलियथ ने कहा कि शिक्षा का विकास सामाजिक कार्य है और सबको एकजुट होकर करना चाहिए।

इस अवसर पर मीडिया नेस्ट की महामन्त्री और वरिष्ठ पत्रकार कुलसुम तल्हा ने कहा कि हम मीडिया के लोग समाज की समस्याओं को उजागर करके उसका समाधान निकालने में अहम भुमिका निभा सकते है। उन्होंने कहा कि `चिल्ड्रन ऑवर´ अपनी तरह का एक निराला कार्यक्रम है जिसको यूनीसेफ के सहयोग से एक विख्यात पत्रकार संगठन मीडिया नेस्ट आयोजित करता है जिसमें बच्चों और महिलाओं के उत्थान के लिये काम किया जाता है। इस कार्यक्रम में बच्चों और महिलाओं की समस्याओं को उठाया जाता है और उसके समाधान के उपाय खोजे जाते है.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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