राज्य सरकार ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री मोहम्मद अनीस अंसारी को उत्तर प्रदेश उर्दZू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय का अन्तरिम कुलपति नियुक्त किया है। श्री अंसारी का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। श्री अंसारी विभिन्न प्रशासनिक पदों पर सफलतापूर्वक कार्य करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वह मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी रहे हैं।
श्री अंसारी जाने-माने शायर भी हैं। उनके उर्दू तथा देवनागरी लिपि के आठ संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इन मशहूर संग्रहों के नाम इस प्रकार है शहरे-सराब (1981), सूरज का सफर (1982), जंग और मोहब्बत के दरिम्यान (1986), अगले मौसम की खुशबू (1995), जिन्दगी वस्ल है (1997), तीसरे दिन का सूरज (2001), दर्द अभी महफूज नहीं (2008) और तेरे वास्ते रोता हूं जमीन (2009)।
जानेमाने शिक्षाविद् श्री अंसारी के लेख मशहूर उर्दू तथा अंग्रेजी पत्र/पत्रिकाओं यथा इकनोमिक एण्ड पोलिटिकल वीकली, नया दौर, कौमी आवाज, इर्तिका आदि में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। उर्दू अदब में योगदान के लिए उन्हें फिराक गोरखपुरी अवार्ड, उ0प्र0 उर्दू अकादमी अवार्ड, इिम्तयाज-ए-मीर अवार्ड, जयशंकर प्रसाद पुरस्कार, मौलाना मोहम्मद अली जौहर अवार्ड तथा उर्दू अदब अवार्ड सहित 17 महत्वपूर्ण सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
श्री अंसारी 1973 बैच के आई0ए0एस0 अधिकारी रहे हैं। उन्होंने प्रमुख सचिव श्रम, पंचयती राज, नियोजन, ग्राम्य विकास, ऊर्जा, पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया हैं। मृदु भाषी एवं मिलनसार श्री अंसारी एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में काफी लोकप्रिय रहे हैं। सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है।
श्री अंसारी ने उच्चशिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्राप्त की और 1969 से 1972 तक उन्होंने वहां संवैधानिक एवं प्रशासनिक विधि के शिक्षक के रूप में भी कार्य किया।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने उर्दू, अरबी तथा फारसी भाषाओं को बढ़ावा देने तथा अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को सहायता, सम्बद्धता और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश उर्दZू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया था। मुख्यमन्त्री ने विश्वविद्यालय का शिलान्यास 15 जनवरी, 2010 को अपने जन्मदिन के अवसर पर किया था। यह विश्वविद्यालय देश-विदेश के छात्रों को उर्दू, अरबी तथा फारसी भाषाओं में उच्च स्तरीय शोध एवं शिक्षा की सुविधा प्रदान करेगा।
यह विश्वविद्यालय लखनऊ-हरदोई रोड पर 181.72 करोड़ रूपये की लागत से 11.182 हेक्टेयर में बनाया जा रहा है। अरबी-फारसी संस्कृति से मेल रखते हुए अलंकृत डिजाइन पर आधारित इस विश्वविद्यालय में पांच मंजिला प्रशासनिक भवन, छ: मंजिला शैक्षणिक भवन, गेस्ट हाउस, कम्युनिटी सेण्टर, छात्रावास, बैंक, पोस्ट ऑफिस, कैन्टीन, शापिंग सेण्टर आदि निर्मित किये जायेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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