ब्लाक दूबेपुर अन्तर्गत बन्धुवॉ कला (हुसैनगंज ) क्षेत्र में चल रहे ऑगन बाड़ी केन्द्रों का कोई पुरसा हाल नहीं हैं पूरे दूबेपुर ब्लाक में ऑगन बाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे हैं ,लेकिन अधिकांश कागजों पर चल रहे हैं बन्धुवॉ कला में संचालित लगभग पॉच ऑगन बाड़ी केन्द्रों को देखा गया जिसमें एकाध को छोड़ कर सब कागजों पर चल रहे हैं। लगभग सभी केन्द्रो पर बच्चों की संख्या कम पाई गई । केन्द्रो पर कागजी खाना पूर्ति मुख्य सेविका और सीउीपीओ की मिली भगत से कर ली जाती है। सूत्र बताते हैं कि प्रत्येक ऑगन बाड़ी केन्द्रो से सीडीपीओ स्वयं व मुख्य सेविकाओं के माध्यम से तीन से चार सौ रूप्ये प्रति माह लेती हैं और सब कुछ ओके कर दिया जाता है। ऑगन बाड़ी के कार्य कत्रियों को प्रति माह 1750 रूप्ये मानदेय के रूप मेें मिलता है। यह ऑगन बाड़ी कार्य कत्रियॉ मानदेय में से कहॉ तीन-चार सौ रूप्ये दे सकती हैं। इसी कारण इस विभाग के आला अधिकारी कार्यकत्रियों से बच्चों को मिलने वाला पुश्टाहार बाजार में बेचवाती है। इसी कारण बच्चों एवं धात्रियोंं को मिलने वाला पुश्टाहार बाजार में खुले आम बिकता है। ब्लाक की मुख्य सेविका जो सीडीपीओ के मार्ग दशZन में चलती हैं, वह ऑगन बाड़ी कार्यकत्रियों को गलत काम करने को मजबूर करती हैं। इसी कारण ऑगनबाड़ी कार्य कत्रियॉ भी सीडीपीओ के पास उनका हिस्सा पहंचाकर एक माह के लिए नििश्चन्त हो जाती हैं। यह कार्य प्रत्येक माह जारी रहता है।
रजिस्टर कुछ बोलता है और केन्द्र कुछ और कहता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी भी विकास भवन मेंं बैठ कर विभाग के क्रिया कलापों में चार च्ॉाद लगा रहे है। अभी कुछ दिन पहलें कूरेभार के कुछ ऑगनबाड़ी केन्द्रों का औचक निरीक्षण किया और असिलियत का पता लगा, और उन्होने कार्य वाही भी किया। इसी तरह दूबेपुर में भी अनवरत निरीक्षण किया जाय तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाय। पत्रकारों की टीम जब इन केन्द्रों पर गई तो जो अिालियत खुल कर आई वो केन्द्रों की तस्वीरों से साफ झलकता है। जब यह हाल नगर से सटे विकास खण्ड का हाल है तो जिले के अन्य ब्लाको का हाल क्या हाल होगा। नगर में भी यही हाल है। कार्य कत्रियॉ ऑगनबाड़ी केन्दो्र पर आ कर गप्प बरजी करती है। और चली जाती हैं एकाध केन्द्रों पर कुछ बच्चे अवश्य मिले जो ऑगन बाड़ी केन्द्रों को जीवित किए है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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