समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार ने किसानों को तबाह करनी की कसम खा रखी है। अपने पूरे कार्यकाल में इसने किसानों को न तो कभी फसलों का लागत मूल्य दिलाया है और न हीं सरकारी संस्थाओं की लूट से बचाया है। गन्ना, गेहूं, धान और आलू के किसान सभी उसके शिकार बने हैं। हॉ, उसने पूंजीपतियों, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और अफसरशाही को इस बात की खुली छूट दे दी है कि वे जितना कर सकते हैं, शोषण करके उसे कर्जदार बनाकर आत्महत्या के लिए मजबूर कर दें।
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है किन्तु अब तक मात्र 70 से 80 हजार टन गेंहंू की खरीद हो पाई है। खरीद का समर्थन मूल्य 1100 रूपये प्रति िक्वटंल जारी किया गया है। राज्य पूल में गेंहंू, चावल का भण्डारण खत्म कर दिया गया है। इसका नतीजा यह हुआ कि अब भारतीय खाद्य निगम पर निर्भरता बढ़ गई है और खाद्य निगम किसानों का गेहंू लेने से इसलिए इंकार कर रहा है कि यह उसके मानक का नहीं है। गेंहूं के दाने पूरी तरह से पुष्ट नहीं हो पाने और सिकुडने का वजह बनाया जा रहा है।।
किसान को लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है जो कम से कम 1500 रूपए िक्वटंल होना चाहिए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव बराबर इतने न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग करते रहे है। दूसरे खाद्य निगम की मनमानी की वजह से किसान को अपना गेहूं बिचौलियों और बड़ी कम्पनियों के हाथो 900 रूपए तक में बेचना पड़ रहा है। यही गेहूं उपभोक्ता को मंहगा बेचकर नौकरशाही की मिलीभगत से मुनाफा कमाने की साजिश है।।
गेहूं किसानों के साथ जैसा व्यवहार किया जा रहा है उसमें तो कर्ज के बोझ से लदे किसान को जिन्दगी चलाना मुश्किल हो जाएगा। किसानों पर चौतरफा मुसीबते हैं। खाद्य निगम उनको वापस लौटा रहा है, गेहूं खरीद केन्द्र पूरी तरह खुले नहीं है। बिजली विभाग की लापरवाही से जर्जर तारों के टूटने और खेतों के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजरने से आए दिन किसानों के खेतों में आग लगने की घटनाएं हो रही है। प्रशासनिक अधिकारी अपनी लापरवाही छुपाने के लिए क्षतिग्रस्त सम्पत्ति का कम आकंलन कर रिपोर्ट भेजते हैं।
किसानों के साथ इस तरह की उपेक्षा का बर्ताव करने वाली सरकार के पास इस बात का कोई जबाब नहीं है कि गरीब की थाली में तो अन्न नही,ं वहीं सरकारी गोदामों में लाखों टन गेहंू दो साल से सड़ क्यों रहा हैर्षोर्षो सरकारी राशन वितरण प्रणाली से गरीब को गेहूं नहीं मिल रहा है।
दरअसल, केन्द्र की कांग्रेस और प्रदेश की बसपा सरकारें दोनों गांव किसान से कोई रिश्ता नहीं रखती है। वे पूंजीपतियों एवं राष्ट्रीय कम्पनियों की मदद से जीने वाली पार्टियां है। समाजवादी पार्टी उन्हें सचेत करना चाहती है कि वे अपनी गलत नीतियां सुधारे, किसानों को इतना ज्यादा परेशान न करें कि वे अराजकता की शरण में चले जाए। किसान अन्न का देवता है, उसका सम्मान करना सीखना ही होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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