समाजवादी पार्टी के नेता विरोधी दल विधानसभा िशवपाल सिंह यादव ने कहा केन्द्र की कांग्रेस सरकार और प्रदेश की बसपा सरकार दोनों ही दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसख्ंयक विरोधी है। इनका भयादोहन कर सत्ता में किसी तरह काबिज रहना ही इनकी राजनीति है। कांग्रेस ने पूना पैक्ट में दलितों के तमाम हक छीनकर डा0 अम्बेडकर के बहुत दबाव पर केवल सुरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की ही सुविधा दी। प्रदेश में दलित मुख्यमन्त्री के राज में दलितों की कहीं सुनवाई नहीं। दलित उत्पीड़न की सर्वाधिक घटनाओं के लिए उत्तर प्रदेश बदनाम है। पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को भी उपेक्षा और तिरस्कार का खून का घूंट पीना पड़ रहा है।
फरवरी,2011 में भारत सरकार जनगणना कराने जा रही है। इसमें जातिवार गणना से भारत सरकार साजिशन इंकार कर रही है। वर्ष 1931 में जातिवार जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही पिछड़ों के नाम पर बरायनाम योजनाएं बन रही हैं जबकि मण्डल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के बाद विभिन्न जातियों में राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक आधार पर काफी बदलाव आए है। कई अन्य जातियों को पिछड़े वर्ग में शामिल किया गया है। ऐसी स्थिति में पिछड़ों के कल्याण के और विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इन जातियों के ठोस एवं विश्वसनीय आंकड़ें एकत्र किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
समाजवादी पार्टी पिछड़ों के हितों के प्रति सदैव जागरूक और संवदेनशील रही है। उसका स्पष्ट मत है कि जिस तरह मुस्लिम आबादी की गणना होती है उसी तरह पिछड़ी जाति की भी गणना होनी चाहिए। जब उन्हें भी आरक्षण दिया जा रहा है तो उनकी गणना में आपत्ति क्योंर्षोर्षो पिछड़ी जातियों की सही गणना से ही शासन सत्ता तथा शिक्षा रोजगार में उनकी उचित भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों में पिछड़े वर्ग की जातिगत गणना की सिफारिश की गई है फिर भी केन्द्र सरकार ऐसा न करके आरक्षण के मुद्दे को लेकर न्यायालयों का उल्लंघन कर रही है।
केन्द्र सरकार और उसको समर्थन देकर टिकी प्रदेश की बसपा सरकार दोनों का पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक विरोधी चरित्र तो अभी संसद में पेश महिला आरक्षण बिल पर भी उजागर हुआ है। इस मांग को समाजवादी पार्टी ने जोरदार ढंग से उठाया है। दोनों दलों की नूराकुश्ती से यह मामला भी ठण्डे बस्ते में पड़ गया है। सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा आयेाग की संस्तुतियों को भी न तो केन्द्र सरकार और नहीं प्रदेश सरकार लागू करना चाहती है। हम चाहते है भारत में नई जनगणना में जाति के भी आंकड़े हों ताकि विकास में सभी वर्गो, जातियों की भागीदारी समानुपातिक ढंग से सुनिश्चित हो सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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