लूट खसोट वसूली का नाम है आंगनबाड़ी केन्द्र
दूबेपुर आगंनबाड़ी कार्य कत्रियों की मिटिंग परियोजना कार्यालय पर न होकर सीडीपीओ आवास पर
बाल विकास परियोजना यानी छोटे बच्चों के शारीरिक मानसिक विकास और शैक्षिक विकास के लिए सरकार करोड़ो खर्च कर प्रदेश में उन नौ निहालो को योग्य बनाने में प्रारिम्भक प्रिशक्षण परन्तु ये दूबेपुर परियोजना पर नही होता दूबेपुर बाल विकास परियोजना अधिकारी मुख्य सेविका से परमोट होकर इस पद पर पहुंची है, सीडीपीओ ने अपनी नौकरी का अधिक समय मुख्य सेविका के पद पर रहकर कार्य करने के कारण आज सीडीपिओ के पद पर आसीन होने का बाद भी कार्य शैली मुख्य सेविका की तरह नही है। सायद यही कारण है कि बाल विकास परियोजना अधिकारी दूबेपुर कार्य कम सीडीपीओ के आव भाव में फोकस बनाने में अधिक खर्च करती है, आज दूबेपुर परियेाजना के 182 केन्द्रो का ओ हाल है जो जनपद के किसी परियेाजना का नही र्षोर्षो फिर भी परियोजना के सम्बन्ध में बात करने पर लच्छे दार बात करके तथ्यो को भटकाने के अलाव सही जबाब न देना आदत है, 182 केन्द्रों मे लगभग 40 केन्द्रो पर पत्रकारों की टीम पहुंची, स्थिती देख कर यही लग रहा था कि कि परियोजना का संंचालन बाल विकास अधिकारी न चलाकर कोई मुख्य सेविका चला रही है, तथा जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य राजस्व अधिकारी व जिला कार्यक्रम अधिकारी को दूबेपुर परियोना में हो रही लापरवाही केा सज्ञांन में लेकर एक जांच टीम न्यूक्त कर चलने दूबेपुर परियोजना में चलने वाल 182 केन्द्रो तथा सी0डी0पी0ओ0 के कार्य शैली की जांच होनी चाहिए, वर्ना यदि दूबेपुर की ं लापरवाही कही अन्य परियेाजना पर वायरस की तरह लग गया तो जनपद से बाल विकास परियेाजना का जो सन्देश प्रदेश को जायेगा, उससे प्रदेश सरकार को छवि धूमिल होगी। और आने वाले निकाय चुनाव में इसका खामियाजा प्रदेश सरकार को उठाना पड़ेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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