भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ द्वारा संस्थान के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम दाखिले की प्रक्रिया में भारी फेरबदल की बात आप से बतायी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब साक्षात्कार तथा ग्रुप डिसकसन हेतु तैयार किये गये टीम के सदस्यों के नाम दूसरे सदस्य परस्पर नहीं जान रहे हैं। कहा जा रहा है कि ऐसा होने पर पूरी प्रक्रिया कम पारदशीZ तथा अपनी सुविधाओं के अनुसार संचालित करने योग्य बन गई है जिसमें कभी भी टीम के सदस्य बदले जा सकते हैं। साथ ही अब अभ्यर्थियों को जी0डी0 तथा साक्षत्कार में दिये जा रहे अंकों का नियम भी परिवर्तित कर दिया गया है। पहले ये अंक परीक्षक टीम द्वारा मौके पर ही दिये जाते थे पर नये नियम के अनुसार अब सारी कापियॉ तथा दस्तावेज एकत्र कर संस्थान में लाये जायेंगे तथा इनका केन्द्रीय स्तर पर परीक्षण होगा। जानकारों का कहना है कि इस व्यवस्था में गड़बड़ी करना आसान हो जाता है जहॉ अन्त में सुविधानुसार अभ्यर्थियों के अंक कम या ज्यादा किये जा सकते है।
ये जानकारी नेशनल आर0टी0आई0 फोरम को मिलने पर इसकी तरफ से अनुपम पाण्डेय द्वारा भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ के जन सूचना अधिकारी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचनायें मांगी गई हैं। फोरम द्वारा मानव संसाधन मन्त्रालय से भी इस गम्भीर विशय पर तत्काल न्यायोचित कार्य करने हेतु पत्राचार भी किया गया है।
इस समाचार के कतिपय समाचार पत्रों में प्रकािशत होने पर संस्थान के चेयरमैन, एडमिशन डा0 हिमांशू राय द्वारा इसे सिरे से नकारते हुये एक समाचारपत्र में कहा गया था कि इस समाचार में “लेशमात्र भी सत्यता नहीं है।´´ पायनियर, लखनऊ, 13/04/2010। अब हमारे पास ऐसे दस्तावेज उपलब्ध हैं जो इस बात को स्पश्ट करते हैं कि इस प्रकार के परिवर्तन हुये हैं। मैं इन्हें इस मेल के साथ संलग्न कर रही हूं। इसके बावजूद संस्थान द्वारा इस प्रकार इस प्रकरण को एकदम से नकारे जाने से सन्देह नििश्चत तौर पर बढ़ जाता है। अत: मैं आपसे आग्रह करूंगी कि आप इस विशय पर दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया जानते हुये इसे आम जन की जानकारी हेतु प्रकािशत करने का कश्ट करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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