भारतीय जनता पार्टी ने बसपा सरकार पर कालपी की घटना का सच छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार हिन्दू आस्था से जुड़े प्रत्येक प्रश्न को वोट बैंक राजनीति से जोड़कर बहुसंख्यक समुदाय का उत्पीड़न कर रही है। प्रदेश उपाध्यक्ष प्रवक्ता हृदयनारायण दीक्षित ने आज मंगलवार को सम्वाददाताओं से वार्ता करते हुए कहा कि कालपी घटना की जांच के लिये पार्टी की उच्च स्तरीय 5 सदस्यीय जांच कमेटी को घटनास्थल से पहले ही रोक लिया गया।
श्री दीक्षित ने कहा कि बसपा सरकार की वोट बैंक राजनीति के कारण ही कालपी जैसी घटनायें प्रदेश में घटित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कालपी (जालौन) में श्री दुगाZ और शिव की मूर्तियों को खण्डित करने के बाद आहत श्रद्धालुओं द्वारा मात्र जांच और कार्रवाई की मांग करने वालों पर भी सरकार ने बलवा सहित अनेक गम्भीर आरोपों वाले मुकदमें दर्ज कराये हैं। मूर्तियों के खण्डित होने पर जनरोष स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। जनरोष के कारण उमड़े जनसमूह में बसपा विधायक सहित अनेक बसपाई कार्यकत्ताZ भी शामिल थे। प्रशासन ने उनके विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। सरकार ने मूर्तियां तोड़कर सौहार्द नष्ट करने वाले शरारती तत्वों की खोज भी नहीं की। ऐसा करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी थी लेकिन सरकार ने अभियुक्तों की गिरतारी की मांग करने वालों को ही अभियुक्त बना दिया। इनमें पूर्व विधायक अरूण मेहरोत्रा आदि नेता भी हैं।
श्री दीक्षित ने कहा कि कालपी की घटना का सच पता करने के लिये पार्टी ने पांच सदस्यीय जांच समिति घोषित की थी। पूर्व मन्त्री विधायक प्रेमलता कटियार के नेतृत्व में जांच समिति आज कालपी जाकर वास्तविक स्थिति का अध्ययन करने वाली थी। बसपा सरकार ने कालपी की घटना का सच छिपाने के लिये ही पार्टी की जांच समिति को रास्ते में ही रोक लिया। पार्टी के सामने आन्दोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। पार्टी जनआन्दोलन करेगी और सरकार को सच खोलने के लिये मजबूर करेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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