उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने संविधान निर्माता भारत रत्न परमपूज्य बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर की 119वीं जयन्ती पर प्रदेश वासियों को हादिZक बधाई एवं शुभकामनायें दी हैं।
अपने शुभकामना सन्देश में मुख्यमन्त्री ने कहा है कि बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर ने दलितों, वंचितों, शोषितों, पिछड़ों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिये आजीवन संघर्ष किया और इन वर्गों को आत्म-सम्मान का जीवन व सामाजिक न्याय दिलाने के लिये भारतीय संविधान में अनेक प्राविधान किये। गैर-बराबरी पर आधारित सामाजिक व्यवस्था के परिणामस्वरूप सदियों से अन्याय एवं उत्पीड़न का शिकार रहे इन वर्गों के लोगों के उत्थान के लिये बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर के योगदान को सदैव याद रखा जायेगा।
सुश्री मायावती ने कहा है कि बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर का परम उद्देश्य देश में गैर-बराबरी पर आधारित सामाजिक व्यवस्था को बदलकर समतामूलक समाज की स्थापना करना था। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डॉ0 अम्बेडकर के अधूरे सपनों को पूरा करना तथा उनके बताये हुए मार्ग पर चलना ही उस महान मानवतावादी के प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी।
लखनऊ। 14 अपै्रल को डा0 भीमराव अम्बेडकर का जन्मदिन है। भारत के संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए पूरा देश उनका कृतज्ञ है। यह दिन उनकी शिक्षाओं पर चलने का संकल्प लेने का है किन्तु कांग्रेस और बसपा ने इस दिन को भी अपने तुच्छ सत्ता स्वार्थ में विवादास्पद बना दिया है। कांग्रेस ने इस दिन रथ यात्राएं निकालने का तो बसपा ने देशव्यापी आन्दोलन चलाने का एलान किया है। यह बाबा साहेब के मिशन के साथ स्पश्ट धोखाधड़ी और उनका मजाक उड़ाना है। इसमें उनके साथ भाजपा भी खड़ी हो गई है, जिसका दलितों के इस महान नेता से कभी कुछ लेना देना नहीं रहा है।
मंहगाई, भ्रश्टाचार और आतंकवादी गतिविधियों से निबटने में पूर्णत: नाकारा साबित केन्द्र और राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और बसपा ने मिलीभगत के तहत डा0 अम्बेडकर केेे जन्म दिन पर ही उनको भुलाने और जनता को झूठे मुद्दों पर भरमाने का कपट पूर्ण कार्य है। इसकी जितनी निन्दा की जाए कम है। बसपा को तो इसके बाद अब दलितों का या दलित महापुरूशों का नाम लेने का भी कोई हक नहीं रह गया है।
आजादी के 63 वशZ बाद कांग्रेस और बसपा दोनों ढोंग कर रहे हैंं जब कि आजादी के पहले और आजाद भारत मेें भी कांग्रेस ने डा0 अम्बेडकर को सेंट्रल असेम्बली और लोकसभा में न जाने देने के लिए कुछ उठा नहीं रखा था। वह तो समाजवादियों के समर्थन से ही लोकसभा का चुनाव मुम्बई से जीत पाए थे। समाजवादी नेता डा0 राममनोहर लोहिया के साथ उनका वैचारिक जुड़ाव काफी आगे बढ़ गया था। बसपा ने डा0 अम्बेडकर की पहली सीख शिक्षा से ही किनारा कर रखा है। सुश्री मायावती और स्व0 कांशीराम बड़े फख्र से कहते रहे हैं कि उनके वोटर (दलित) निरक्षर हैं। केन्द्र ने शिक्षा अधिनियम लागू किया तेा उसको लागू करने के लिए मुख्यमन्त्री पैसों का रोना ले बैठी हैं। पाकोZ, स्मारकों एवं पत्थरों पर अरबों खर्च करने वाली सुश्री मायावती को बाबा साहब के मिशन पर एक पाई भी खर्च करना बर्दाश्त नहीं है।
बसपा सरकार ने बाबा साहब को अपमानित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। ऊंची- ऊंची प्रतिमाए मुख्यमन्त्री ने अपनी और स्व0 कांशीराम की लगवाई हैं। वे अपने मन्दिर बनवा रही हैं और खुद `देवी´ बनकर पुजवाने का काम करना चाहती हैं। जबकि डा0 अम्बेडकर की उपेक्षा की जा रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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