उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने राष्ट्रीय राजमार्गों के सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को सहयोग देने से मना करने के सम्बन्ध में कतिपय समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार को भ्रामक और तथ्यों से परे बताया है। प्रवक्ता ने कहा कि समाचार से यह आभास हो रहा है कि जैसे राज्य सरकार ने अपने स्तर से निर्णय लेते हुए प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय राजमार्गों के सम्बन्ध में स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट वापस लेने के लिए केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मन्त्रालय को अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास एनएचएआई से कराने के सम्बन्ध में केन्द्र ने फैसला लेकर राज्य सरकार के स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट को वापस कर दिया।
सरकारी प्रवक्ता ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि वास्तविकता तो यह है कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मन्त्रालय ने प्रदेश सरकार द्वारा गत 5 नवम्बर, 2009 को भेजे गये एम0ओ0यू0 को बगैर हस्ताक्षर किए इस टिप्पणी के साथ वापस कर दिया कि प्रश्नगत राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एन0एच0ए0आई0) द्वारा ही किया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सोलह राज्यों मे से केवल उत्तर प्रदेश के बारे में इस प्रकार का निर्णय लिया, जो कि केन्द्र सरकार एवं योजना आयोग द्वारा लिये गये नीतिगत निर्णय के सर्वथा प्रतिकूल है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा इन राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास एन0एच0ए0आई0 के माध्यम से कराये जाने के परिणाम स्वरूप स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट पर हस्ताक्षर करने का औचित्य समाप्त हो जाने के कारण ही राज्य सरकार ने इस एग्रीमेन्ट को भारत सरकार से वापस लेने का फैसला लिया है।
इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार द्वारा 500 किमी0 लम्बे एकल/इन्टरमीडिएट/दो लेन राष्ट्रीय राजमार्गों को एन0एच0डी0पी0 फेज-4ए तथा इससे आगे की परियोजनाओं के लिए बी0ओटी0 के आधार पर पेव्ड शोल्डर द्वारा दो लेन उच्चीकरण/सृदढ़ीकरण परियोजनाओं हेतु योजना आयोग भारत सरकार तथा भूतल परिवहन, राजमार्ग मन्त्रालय द्वारा इन परियोजनाओं का कार्य राज्य सरकार के माध्यम से कराये जाने के सम्बन्ध में परियोजनावार एम0ओ0यू0 तथा अम्ब्रेला स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट का माडल ड्राफ्ट तैयार किया गया तथा इस परियोजना से जुड़ी 16 राज्य सरकारों को प्रेषित करते हुए इसे हस्ताक्षरित करने का अनुरोध किया गया।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार के स्तर पर इस सम्बन्ध में कई बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें योजना आयोग के सलाहकार श्री हिल्दया भी शामिल हुए थे। इन बैठकों में स्पष्ट रूप से यह तथ्य उभर कर आया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकारण प्रश्नगत परियोजनाओं को क्रियािन्वत किये जाने की स्थिति में नहीं है। अत: एम0ओ0यू0 के माध्यम से एन0एच0 डी0पी0-4ए व इससे अग्रेतर परियोजनाओं के कार्य राज्य सरकार के माध्यम से कराया जायेगा। भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित एम0ओ0यू0 पर न्याय एवं वित्त विभाग का परामर्श प्राप्त किया गया तथा इस सम्बन्ध में 06 अक्टूबर, 2009 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुयी थी, जिसमें राज्य सरकार के अधिकारियों के अलावा केन्द्रीय योजना आयोग के सलाहकार भी सम्मिलित हुए थे। तत्पश्चात मुख्यमन्त्री जी के अनुमोदन के बाद 06 मागोंZ के सम्बन्ध में मैमोरेण्डम ऑफ अन्डरस्टैण्डिंग (एम0ओ0यू0) हस्ताक्षरित कर भारत सरकार को भेजा गया था।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित अम्ब्रेला स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट पर भी समय-समय पर भारत सरकार द्वारा बैठकें आयोजित की गई। सलाहकार, योजना आयोग, भारत सरकार के सलाहकार श्री गजेन्द्र हिल्दया की अध्यक्षता में 30 अक्टूबर, 2009 को हुयी बैठक में कम्पीटिंग रोड के सम्बन्ध में उन्होंने अवगत कराया था कि राज्य सरकार द्वारा बनाये जा रहे अथवा प्रस्तावित एक्सप्रेसवे या स्टेट हाईवे का स्पष्ट उल्लेख करते हुए वर्ष के प्रारम्भ में भारत सरकार को अवगत करा दिया जाये, ताकि वे माडल कन्सेशन एग्रीमेन्ट के कम्पीटिंग रोड की परिभाषा में न आ सके।
यह भी उल्लेखनीय है कि वित्त एवं न्याय विभाग से प्राप्त परामर्श तथा मुख्यमन्त्री जी के द्वारा अनुमोदन के बाद स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट हस्ताक्षरित कर शासन द्वारा 13 जनवरी, 2010 को केन्द्रीय सड़क पविहन एवं राजमार्ग मन्त्रालय, के सचिव को भेजा गया। इस पत्र में यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि प्रदेश सरकार की संस्थायें यथा यूपीडा द्वारा 07 एक्सप्रेस-वे तथा उपसा द्वारा 25 राजमार्गों का विकास पी0पी0पी0 माडल के आधार पर किये जाने हेतु चयनित कर अिग्रम कार्यवाही प्रारम्भ की जा चुकी है। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार द्वारा पी0पी0पी0 के आधार पर न्यू ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे तथा राज्य राजमार्ग परियोजनाएं विकसित करने का निर्णय लिया गया है तथा भारत सरकार द्वारा नॉन कम्पीटिंग रोड की बाध्यता रखी गई है। यद्यपि इससे सरकार पर बाइबिलिटी गैप फण्डिंग (वी0जी0एफ0) का कम वित्तीय भार तो अवश्य पड़ेगा, परन्तु इससे उपभोक्ताओं को भविष्य में और अच्छी सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा।
ज्ञातव्य है कि अधिशासी अभियन्ता (एन0एच0 डी0पी0-4ए) सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मन्त्रालय, भारत सरकार ने अपने पत्र दि0 23.02.2010 द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा शासनादेश दि0 05.11.09 द्वारा भेजे गये एम0ओ0यू0 को बिना हस्ताक्षरित किये हुए वापस करते हुए यह अवगत कराया गया है कि मन्त्रालय में सक्षम अधिकारी द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अब प्रश्नगत मार्गों का विकास भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जायेगा। भारत सरकार द्वारा कदाचित् 16 राज्यों में से केवल उ0प्र0 के बारे में इस प्रकार का निर्णय लिया जाना उचित नहीं था। क्योंकि यह निर्णय भारत सरकार की बैठकों एवं योजना आयोग द्वारा लिए गये नीतिगत निर्णय के प्रतिकूल है।
चूंकि भारत सरकार ने राज्य सरकार द्वारा हस्ताक्षरित एम0ओ0यू0 को वापस करते हुए प्रश्नगत मार्ग का विकास राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से कराये जाने का निर्णय लिया है, अत: उक्त विर्णत स्थिति में स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट को हस्ताक्षरित किये जाने का औचित्य नहीं रह गया। फलस्वरूप मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती के अनुमोदन के उपरान्त इस एग्रीमेन्ट को भारत सरकार से वापस लिये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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