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झलकारी को एक प्रकाशक द्वारा नर्तकी की श्रेणी में रखने के खिलाफ कठोर कार्यवाही की माग

Posted on 09 April 2010 by admin

1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में झांसी के किले का एक फाटक धोखे से खोले जाने पर अंग्रेजी सेना से रानी लक्ष्मी बाई को सकुशल बाहर निकालने और स्वयं लक्ष्मी बाई बन कर मुकाबला करने वाली झलकारी को एक प्रकाशक द्वारा नर्तकी की श्रेणी में रखा गया है जो झलकारी बाई ही नहीं झांसी की रानी लक्ष्मी बाई स्वतन्त्रता दिलाने वाले शहीदों और बुन्देलखण्ड के इतिहास का घोर अपमान है जिसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।

jhalkari_bai-1आगरा के प्रकाशक द्वारा ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर वीरांगना झलकारी को अपमानित चरित्र के रूप में प्रदिशZत करने के सम्बन्ध में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग झांसी में तैनात रहे उप निदेशक िशवप्रसाद भारती ने आगरा के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर प्रकाशन जब्त करने और कानूनी कार्यवाही करने को लिखा है। उन्होंने बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति तथा झांसी, बान्दा, महोबा, चित्रकूट, जालौन तथा ललितपुर के जिलाधिकारियों को भी अपने-अपने क्षेत्र में प्रकाशन जब्त करने व कानूनी कार्यवाही करने की अपेक्षा की हैं।

चेतना प्रकाशन आगरा द्वारा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की एम0ए0 उत्तरार्द्ध इतिहास विशय के प्रथम प्रश्न पत्र “बुन्देलखण्ड का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास´´ विशय के लिये “चेतना 20 क्वेश्चन 2010´´ शीशZक क्वेश्चन पेपर पुस्तिका प्रकािशत की गई है। इसके पृश्ठ संख्या-5 से 18 तक खण्ड-अ में 75 वस्तु निश्ठ प्रश्न दिये गये है। प्रश्न 9 में “छत्रसाल के दरबार की प्रसिद्ध नर्तकी कौन थीर्षोर्षो´´ प्रश्न के सम्भावित चार उत्तर (अ) झलकारी बाई (ब) मस्तानी बाई (स) लैला (द) पद्यनी, में से (ब) को सही दशाZया गया है। इन उत्तरों में “झलकारी बाई´´ को भी नर्तकी दशाZया गया है जबकि झलकारी बाई नर्तकी नहीं बल्कि 1857 के स्वतन्त्रता की सुप्रसिद्ध वीरांगना थी।

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार झलकारी बाई झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की सेना में महिला सेनापति थी जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजी सेना से जमकर संघशZ किया था  और अंग्रेजों के दान्त खट्टे कर दिये थे। जब रानी की सेना का एक विश्वास घाती दूल्हा जू अंग्रेजों से मिल गया और एक फाटक खोल दिया तब अंग्रेजी सेना किले पर कब्जा करने की ओर घुस पड़ी थी। जब रानी की सेना के बहादुर सेनानी और वीरागनाएं मारी जा रही थी उस समय झलकारी ने स्वामिभक्ति की एक अद्भुत  मिशाल पेश करते हुये लक्ष्मी बाई की जान बचाई थी।

झलकारी बाई की शक्ल रानी लक्ष्मीबाई से हूबहूं मिलती थी, जब अंग्रेजी सेना किले में कब्जा करने वाली थी उस समय झलकारी बाई ने अपनी सूझबूझ और स्वामिभक्ति का परिचय देते हुये स्वयं रानी लक्ष्मी बाई बन कर अंग्रेजी सेना से संघशZ करती रही और असली झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को सकुशल बाहर निकाल दिया था। बाद में अंग्रेजी सेना द्वारा पकड़े जाने पर शहीद हो गई थी। झलकारी बाई के बलिदान को बुन्देलखण्ड का इतिहास कभी भुला नहीं सकता।

ऐसे त्याग और बलिदान की मिशाल पेश करने वाली वीरागंना को नर्तकी की श्रेणी में रखना झलकारी बाई का ही नहीं, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और बुन्देलखण्ड के इतिहास का घोर अपमान है। झलकारी बाई का विस्तृत इतिहास भारत सरकार के सूचना एवं प्रसरण मन्त्रालय, प्रकाशन विभाग द्वारा “झलकारी बाई´´ शीशZक से प्रकािशत पुस्तिका में भी देखा जा सकता है। भारत सरकार के पोस्ट एवं टेलीग्राफ विभाग द्वारा 22 जुलाई 2001 में “झलकारी बाई´´ पर डाक टिकट जारी किया गया है जिसमें स्पश्ट है कि झलकारी बाई को बुन्देलखण्ड की विभूतियों में प्रमुख स्थान प्राप्त है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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