बाल विकास पुश्टाहार विभाग के द्वारा जनपद में चलाये जा रहे ऑगनबाड़ी केन्दों को देखकर मिर्जा गालिब का ये शेर विभाग पर सही बैठता है। :बरबाद गुलिश्ता करने को बस एक ही उल्लू काफी है, हर शाख पर उल्लू बैठा हो तो हाल-ए-गूलिश्ता क्या होगा:। यह किसी एक परियोजना की बात नहीं बल्कि पूरे जनपद की परियोजनाओं की है। ऑगनबाड़ी केन्द्रों पर क्या हो रहा है, इस सच को आइना दिखानें के लिए बिगत कई दिनों से पत्रकारोंं की टीम विभिन्न परियोजनाओं पर चलने वाली ऑगन बाड़ी केन्द्रों का जायजा लिया तो जो बातें छन कर सामने आई उसमें ऑगनबाड़ी कार्यकत्रियॉ व सहायिकाओं का दोश नज़र नहीे आया। वसूली यदि बन्द हो जाय तो इस बात की गुंजाइस बढ़ जायेगी कि कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं कों काम करना पड़ेगा। तथा केन्द्रों को मानकों के अनुरूप करना पड़ेगा । क्योंकि यह सत्य है कि बाल विकास परियोजनाधिकारी ,मुख्य सेविकाओं पर दबाव बनाती हैन्तों मुख्य सेविकाएं कार्यकत्रियों पर रोब दिखाते हुए कई प्रकार के सवाल जैसे आडिट के नाम पर ,पोशाहार के नाम पर, हाटकुक के नाम पर नोचना शुरू कर देती हैं, तो कार्यकत्रियॉ इस बात से सन्तुश्ट हो जाती है कि अब मैं केन्द्र चाहे जैसे चलाउं कोई बोलने वाला नही है। क्यों कि मैने केन्द्र चलाने की सम्पूर्ण औपचारिकताएं निभा दी है। सत्रह सौ रूप्ये मानदेय पाने वाली कार्यकत्रियॉ और लगभग 850 रूप्ये पाने वाली सहायिकाएं जिसका मानदेय चार से छ: माह तक नही मिलता ,वहीं वीसों हजार पाने वाली मुख्य सेविकाए व बाल विकास परियोजनाधिकारी समय से वेतन उठाने के बाद भी अल्प मानदेय भोगी कार्यकत्रियों पर शासनादेश नही बल्कि अपने आदेश पर काम करने के लिए मजबूर करना /दूबेपुर परियोजना में ऐसे बहुत से केन्द्र हैं जहॉ मुख्य सेविकाएं गई ही नहीं।साल छ: महीने पर यदि किसी केन्द्र पर मुख्य सेविका पहुंचती हैं तो उसी केन्द्र पर दर्जनों केन्द्र की कार्यकत्रियों को बुला कर उनकी पंजिकाएं चेक करके अपना मुख्य कार्य करके चली जाती हैं। जब कि अब तो दूबेपुर बाल विकास परियोजनाधिकारी को विभाग ने वाहन भी उपलब्ध करा दिया है। परन्तु आज तक सभी 182 केन्द्रों तक नहीं पहुंच सकी। टीम के सवैZ के अनुसार दूबेपुर में जो भी ऑगनबाड़ी केन्द्र चल रहे है ैंउन केन्द्रों पर हालात बद से बदतर दिखाई पड़े। मीडिया ने अपने कैमरे में कैद किया तो दर्जनों केन्द्रों पर स्थिति कुछ इस प्रकार रही। अलीगढ़ केन्द्र में एक भी बच्चे नही मिले, लौहर पिश्चम में पंचायत भवन में 8 बच्चे , लौहर दक्षिण में 2 बच्चे, भाईं प्रथम में 2 बच्चे, भाईं द्वितीय में 2 बच्चे मिले , िन्हे टीम ने अपने कैमरे में कैद किया। सहायिकाओं एवं कार्यकत्रियों ने बात चीत मेंपूछा तो उन्होंने बताया कि बाल विकास परियोजना अधिकारी कभी यहॉ आईं हैं तो उनका जवाब था कि हमारे केन्द्र पर कभी नहीं आई हैं। प्रश्न यह उठता है कि जब जिम्मेदार बाल विकास परियोजना अधिकारी शहर स्थित :चुनहा::कार्यालय में बैठ कर 182 केन्द्रों काहिसाब किताब रखती हैं तो क्षेत्र में जाने का क्या प्रयोजन। जब कि इन्हें अपने क्षेत्र के ऑगन बाड़ी केन्द्रों को चुस्त दुरूस्त रखने के लिए विभाग ने निरीक्षण हेतु वाहन की सुविधा उपलब्ध करा रखी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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