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चुनाव चिन्ह हाथी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं - श्री सतीश चन्द्र मिश्र

Posted on 08 April 2010 by admin

बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा सांसद श्री सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा है कि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल होने के कारण बी0एस0पी0 भारत निर्वाचन आयोग के हर उस दिशा-निर्देश का पालन करने के लिए तैयार है, जो स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में आवश्यक हो। उन्होंने कहा कि पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी को जब्त करने सम्बन्धी यचिकाओं के क्रम में, गत 12 अगस्त, 2009 को पार्टी ने निर्वाचन आयोग में जो जवाब दिया था, वह बिल्कुल सही था और बी0एस0पी0 आज भी उस पर कायम है। श्री मिश्र आज नई दिल्ली में भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष बी0एस0पी0 के चुनाव चिन्ह हाथी को जब्त करने सम्बन्धी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पार्टी का पक्ष रख रहे थे।

श्री मिश्र ने कहा कि इस सम्बन्ध में दायर की गई याचिका पर विचार करने से पूर्व निर्वाचन आयोग को यह निर्णय करना होगा कि लोकतान्त्रिक मूल्यों की स्थापना तथा निर्वाचन आयोग द्वारा नियमानुसार निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र चुनाव कराने की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए यह याचिका पोषणीय है भी या नहीं।

राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि स्वागत की मुद्रा में हाथी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हैं। उन्होंने इन आरोपों को भी गलत बताया कि प्रदेश में स्थापित की गई हाथी की प्रतिमाएं बी0एस0पी0 के चुनाव चिन्ह से मिलती हैं। बी0एस0पी0 ने चुनाव आयोग को दिये अपने जवाब में कहा कि स्वागत की मुद्रा में खड़े यह हाथी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं और स्वागत की मुद्रा में खड़े इन हाथियों और पार्टी के चुनाव चिन्ह के बीच में कोई समानता नहीं है। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 को हाथी बतौर चुनाव चिन्ह आवंटित किये जाने से पूर्व कांग्रेस ने लखनऊ और इलाहाबाद में हाथी पार्क की स्थापना सार्वजनिक ढंग से की थी। उन्होंने कहा कि अगर बी0एस0पी0 के चुनाव चिन्ह पर आपत्ति की जा रही है तो इसी आधार पर एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते बी0जे0पी0 को भी अपने चुनाव चिन्ह के रूप में कमल का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि यह सीधे धार्मिक एवं पौराणिक कथाओं से जुड़ता है।

श्री मिश्र ने निर्वाचन आयोग के समक्ष कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा का उल्लेख करते हुए कहा है कि इस पार्टी के नेता हाथ हिलाकर अभिवादन करते हैं। इससे भी आदर्श आचार संहिता का सीधा उल्लंघन होता है। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमन्त्री तथा सपा अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक धन की करोड़ों रूपये की धनराशि खर्च कर लखनऊ में लगभग 7-8 किलो मीटर के साइकिल पथ का निर्माण कराया, ताकि लोग साइकिल को याद रख सकें जो कि समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह है। उन्होंने कहा कि क्या साइकिल निर्माताओं या साइकिल की सवारी करने वालों को साइकिल पर चढ़ने से महज इसलिए रोका जा सकता है कि साइकिल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का और आन्ध्र प्रदेश में तेलगु देशम् पार्टी का चुनाव चिन्ह है।

श्री मिश्र ने कहा कि एन0सी0पी0 का चुनाव चिन्ह घड़ी है। इसका उपयोग कार्यालय के प्रत्येक कक्ष में किया जाता है और इसे प्रत्येक नागरिक द्वारा पहना जाता है। सी0पी0आई0 का चुनाव चिन्ह किसान से जुड़ता है, जबकि सी0पी0आई0(एम0) का जुड़ाव हंसिया और हथौडे़ से है। आर0जे0डी0 का चुनाव चिन्ह लालटेन है, जिसका उपयोग गांवों में किया जाता है। इसी प्रकार यही तर्क राष्ट्रीय लोक दल के चुनाव चिन्ह हैण्डपम्प पर भी लागू होता है, जिसका उपयोग ग्रामीण भारत में बहुतायत से किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन आधारों पर इन पार्टियों के चुनाव चिन्ह भी जब्त किये जाने चाहिए।

श्री मिश्र ने कहा कि प्राचीन एवं आधुनिक भारत तथा दुनिया में हाथी के महत्व को जानते हुए भी भारत के निर्वाचन आयोग ने बहुजन समाज पार्टी को हाथी चुनाव चिन्ह आवंटित किया था। उन्होंने कहा कि पुराणों, धार्मिक परम्पराओं और इतिहास में हाथी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद में भी लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के ठीक ऊपर हाथी की मूर्ति स्थापित है। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 का चुनाव चिन्ह हाथी को जब्त करने की याचिकाएं विचार करने योग्य नहीं हैं, क्योंकि याचिका-कर्ताओं द्वारा उठाये गये बिन्दु निराधार हैं।

राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि याचिकाएं जनहित में नहीं हैं और ये राजनीतिक दलों द्वारा प्रेरित हैं, जो बी0एस0पी0 के बढ़ते कद से अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की कि इन याचिकाओं को रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रतिमाओं की स्थापना से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता, क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा किये जाने के बाद आचार संहिता लागू होती है और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक यह रहती है।

श्री मिश्र ने कहा कि एक शहर में हाथी की मूर्तियां और वो भी पाकों के अन्दर या स्मारकों के अन्दर पूरे मतदाताओं को प्रभावित करेंगी, यह समझ से परे है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने न तो कोई ऐसा आदेश और न ही ऐसी कोई नीति बनाई है जो कि किसी मुख्यमन्त्री व अन्य किसी की व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति करती हो। स्मारक, भवन या पार्क समाज सुधारकों की याद में निर्मित किये गये हैं तथा उनकी मूर्तियां उन्हें आदर व सम्मान देने के लिए स्थापित की गई हैं। लोग इन समाज सुधारकों के महान व्यक्तित्व से प्रेरणा ग्रहण करते हैं, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन दलित, वंचित और गरीब वगों के उत्थान के लिए लगा दिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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