दास्ताने-ए-दूबेपुर, बाल बिकास परियोजना की कुछ इस तरह दिखी जब पत्रकारों की एक टीम दूबेपुर बाल विकास परियोजना के सच को जानने के लिए निकली, लगभग 20 केन्द्रों की हकीकत कैमरे की नज़र में कैद किया तो परिणाम चौकाने वाला निकला। दूबेपुर बाल-विकास-परियोजना के मात्र 02 केन्द्रों की हकीकत कुछ इस तरह दिखीर्षोर्षो दादूपुर प्रार्थमिक विद्यालय में दो आगनबाड़ी केन्द्रों में मात्र 09 बच्चे, यानी प्रति केन्द्र साढ़े चार बच्चे, दो कार्यकत्री व एक सहायिका मौजूद मिली-पूछने पर कार्यकत्रियों ने अपनी भड़ास मुख्य सेविका व बाल विकास अधिकारी पर उतारना शुरू कर दिया यानी पिछले बशोZ में क्या बीता और आज क्या बीत रहा है। कार्यकत्रिया खुलकर पत्रकारों से वार्ता में अपनी व्यथा बतायी। बाकी बचे 18 केन्द्रों की हकीकत अगले अकों में दिखाई पड़ेगी। पोशाहार के एवज में प्रति केन्द्रों से वसूली होती है, कौन कौन वसूलता है, उन्ही कार्यकत्रियों की आवाजों में रिकार्ड किया गया। विभाग का आडिट कैसे होता है, पोशाहार कैसे मिलता है, हाट-कुक्ड में क्या करना पडता है आदि जानकारी अगले अंको मेें पढ़ने केा मिलेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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