गेहूं खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1100 रूपये प्रति कुन्तल
किसानों से गेहूं की खरीद किसान बही, किसान क्रेडिट कार्ड तथा साधन सहकारी समितियों की पासबुक के आधार पर होगी
उत्तर प्रदेश मन्त्रिपरिशद ने बाई-सकुZलेशन द्वारा रबी क्रय वशZ 2010-11 में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अन्तर्गत गेहूं खरीद नीति को मंजूरी प्रदान कर दी है।
गेहूं खरीद के सम्बन्ध में मन्त्रिपरिशद द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार, भारत सरकार द्वारा घोशित गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य 1100 रूपये प्रति कुन्तल के आधार पर गेहूं क्रय किया जाएगा। मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत रबी खरीद वशZ 2010-11 में राज्य सरकार की एजेिन्सयों के लिए 39 लाख मी0टन गेहूं क्रय का कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम द्वारा भी एक लाख मी0टन गेहूं क्रय किया जाएगा। गेहूं क्रय की अवधि 01 अप्रैल, 2010 से 30 जून, 2010 तक प्रभावी रहेगी। यदि निर्धारित अवधि में क्रय केन्द्रों पर गेहूं की आवक बनी रहती है तो किसानों के हितों को दृिश्टगत रखते हुए निर्धारित लक्ष्य से अधिक गेहूं भी क्रय किया जायेगा।
रबी क्रय वशZ 2010-11 में पूरे प्रदेश में 4406 क्रय केन्द्र खोले जायेगे। खाद्य विभाग की विपणन शाखा 600 केन्द्र, उ0प्र0 सहकारी संघ 2200 केन्द्र, उ0प्र0 राज्य कृशि एवं औद्यो0 निगम 451 केन्द्र, उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ 639 केन्द्र, उ0प्र0 राज्य आवश्यक वस्तु निगम 200 केन्द्र तथा उ0प्र0 राज्य कर्मचारी कल्याण निगम द्वारा 68 केन्द्र संचालित किये जायेगे। इनके अलावा नैफेड द्वारा 200 तथा भारतीय खाद्य निगम द्वारा 48 केन्द्र संचालित किये जायेंगे। प्रदेश सरकार द्वारा क्रय एजेंसियों के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार खाद्य विभाग की विपणन शाखा द्वारा 12.50 लाख मी0टन0, उ0 प्र0 सहकारी संघ द्वारा 12 लाख मी0टन0, उ0 प्र0 राज्य कृशि एवं औद्योगिक निगम द्वारा 04 लाख मी0टन0, उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ द्वारा 05 लाख मी0टन, उ0प्र0 राज्य एवं आवश्यक वस्तु निगम द्वारा 2.50 लाख मी0टन, उ0प्र0 कर्मचारी कल्याण निगम तथा भारतीय खाद्य निगम द्वारा एक-एक लाख मी0टन तथा नेफेड द्वारा दो लाख मी0टन गेहूं की खरीद की जायेगी। इस प्रकार कुल 40 लाख मी0टन गेहूं खरीद का कार्यकारी लक्ष्य रखा गया है।
क्रय केन्द्र सामान्यत: प्रात: 08:00 बजे से संाय 05:00 बजे तक खुले रखे जायेगे, परन्तु सम्बन्धित जिलाधिकारी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार क्रय केन्द्र के खुलने व बन्द होने के समय में आवश्यक परिवर्तन कर सकेंगे। किसानों की सुविधा के उद्देश्य से राजपत्रित अवकाशों के अतिरिक्त गेहूं क्रय केन्द्र सामान्य कार्य दिवसों की भान्ति द्वितीय शनिवार तथा रविवार के अवकाश दिवसों में भी खुले रहेंगे। क्रय केन्द्र का निर्धारण एवं चयन इस प्रकार किया जायेगा कि किसी भी किसान को अपना गेहूं बेचने के लिए 7 कि0मी0 से अधिक दूरी तय न करनी पड़े। प्रत्येक कांटे पर अधिकतम 600 कुन्तल गेहूं क्रय की सीमा निर्धारित होगी। अधिक गेहूं की आवक होने पर जिलाधिकारी द्वारा केन्द्र पर कांटों की संख्या में वृद्धि की जायेगी। गेहूं की प्रतिस्पर्धा पूर्ण क्रय किये जाने के लिए मण्डी स्थलों पर आवश्यकतानुसार जिलाधिकारी के निर्देश पर क्रय केन्द्र खोले जायेगे। यदि मण्डी में गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे लगायी जायेगी तो मण्डी कर्मचारी इसकी सूचना सम्बन्धित क्रय एजेन्सी के केन्द्र प्रभारी को देंगे तथा उक्त एजेन्सी द्वारा गेहूं के समर्थन मूल्य पर क्रय कर लिया जायेगा।
किसानों से गेहूं की खरीद किसान बही, किसान क्रेडिट कार्ड तथा साधन सहकारी समितियों की पासबुक के आधार पर की जायेगी। चकबन्दी के तहत ग्रामों में चकबन्दी सम्बन्धी सुसंगत भूलेख व अन्य फोटोयुक्त पहचान पत्र के आधार पर की जायेगी। प्रत्येक गांव को किसी एक गेहूं क्रय केन्द्र से सम्बद्ध किया जायेगा। बड़े किसानों का गेहूं का क्रय टोकन पर्ची के माध्यम से किया जायेगा। छोटे और मझोले किसानों से खरीद भूलेख के आधार पर बिना किसी टोकन के होगी अर्थात् उन्हें टोकन व्यवस्था से मुक्त रखा जायेगा। प्रत्येक केन्द्र पर प्रत्येक रविवार तथा बुद्धवार केवल छोटे और मझोले किसानों के गेहूं की तौल अनुमन्य होगी। सप्ताह के अन्य दिनों में भी छोटे और मझोले किसानों को क्रय केन्द्र पर प्राथमिकता दी जायेगी। मण्डी स्थल में स्थापित सभी क्रय केन्द्र अनिवार्य रूप से असम्बद्ध रहेंगे, अर्थात् कोई भी कृशक बिना टोकन के ऐसे क्रय केन्द्रों पर कभी भी गेहूं बेच सकता है।
रबी विपणन वशZ 2010-11 में गेहूं क्रय का भुगतान केवल एकाउन्ट पेयी चेक द्वारा एक लाख रूपये की सीमा तक कृशकों को क्रय केन्द्र प्रभारी द्वारा किया जायेगा। एक लाख रूपये से अधिक धनरािश का भुगतान एकाउन्ट पेयी चेक द्वारा ही क्षेत्रीय लेखा कार्यालय अथवा अस्थायी भुगतान कार्यालय द्वारा किया जाएगा। समस्त क्रय एजेिन्सयां यह सुनििश्चत करेंगी कि किसानों को तत्परतापूर्वक एवं सुविधाजनक ढंग से भुगतान मिल सके। सम्बन्धित क्रय एजेन्सी के जिला स्तरीय अधिकारी/प्रबन्धक यह सुनििश्चत करेंगे कि क्रय केन्द्रों पर प्रयोग में लायी जाने वाली चेकबुक के प्रत्येक पेज पर केवल एकाउण्ट पेयी चेक की मोहर पहले से ही लगी हुई है।
क्रय एजेिन्सयों द्वारा स्थापित क्रय केन्द्रों पर किसानों के लिए सुविधायें उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य कृशि उत्पादन मण्डी परिशद की है। क्रय केन्द्रों पर कृशकों का बैठने के लिए शामियाना तख्त, दरी, पेयजल और कृशकों के जानवरों के लिए पानी क्रय केन्द्रों पर प्रकाश हेतु पेट्रोमैक्स, गेहूं साफ करने के लिए पर्याप्त संख्या में दो जाली वाले छन्ने, वशाZ से खाद्यान्नों को बचाने हेतु त्रिपालों आदि की व्यवस्था मण्डी समितियों द्वारा की जायेगी। मण्डी समिति द्वारा किसी केन्द्र पर उपयुZक्त व्यवस्था नहीं किये जाने की स्थिति में क्रय एजेिन्सयों द्वारा उपरोक्त की व्यवस्था स्वयं की जायेगी और इस पर व्यय की गई धनरािश की प्रतिपूर्ति पूरे जनपद के गेहूं खरीद पर देय मण्डी शुल्क की धनरािश से कर ली जायेगी।
प्रदेश में इस वशZ गेहूं की फसल की अच्छी सम्भावना को दृिश्टगत रखते हुए किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए सभी सम्भव प्रयास किये जाने की व्यवस्था की गई है। इसी उद्देश्य से बल्क परचेजर्स को कतिपय शतोंZ के साथ प्रदेश में गेहूं खरीद की अनुमति दी गई है। आई0टी0सी0 लि0 एवं अन्य सम्भावित बल्क परचेजर्स द्वारा किसानों को भारत सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 1100 रूपये प्रति0 कुन्तल की दर से न्यूनतम भुगतान किया जायेगा। यह भुगतान प्रत्येक किसान को अनिवार्य रूप से एकाउंट पेयी चेक के द्वारा किया जायेगा। बल्क परचेजर्स केवल अपने स्वयं के प्रयोग के लिए गेहूं क्रय करेंगे। वे इस आशय का शपत-पत्र भी देंगे कि वे इस गेहूं को अन्य संस्थाओं को नहीं बेचेंगे। पूर्व में जारी अधिसूचना दिनांक- 01 जून, 2008 द्वारा गेहूं की स्टाक सीमा निर्धारित की गई है। इसके अन्तर्गत थोक विक्रेता एवं कमीशन एजेंट एक-एक हजार कुन्तल गेहूं की स्टाक सीमा रख सकेंगे। आई0टी0सी0 एवं अन्य सम्भावित बल्क परचेजर्स को एक हजार कुन्तल की स्टाक सीमा से छूट प्रदान करते हुए उन्हें 50 लाख कुन्तल गेहूं का स्टाक रखने की अनुमति होगी।
राज्य सरकार ने गेहूं क्रय के प्रभावी अनुश्रवण की व्यवस्था भी की है। जिलाधिकारी द्वारा जनपद के किसी वरिश्ठ अधिकारी, जो अपर जिलाधिकारी स्तर के हों, उन्हें जिला खरीद अधिकारी नामित किया जायेगा। इसी प्रकार प्रत्येक उप जिलाधिकारी द्वारा तहसील/परगना के किसी वरिश्ठ अधिकारी को गेहूं क्रय पर्यवेक्षक नामित किया जायेगा। मण्डिया एवं उप-मण्डियों को गेहूं क्रय का मुख्य केन्द्र बिन्दु बनाया जायेगा। जिला स्तर पर जिला खरीद अधिकारी के पर्यवेक्षण में एक गेहूं खरीद नियन्त्रण प्रकोश्ठ की स्थापना होगी, जिसमें क्रय एजेंसियों द्वारा गेहूं क्रय कार्य की समीक्षा की जायेगी। इसके साथ ही क्रय के सम्बन्ध में प्राप्त िशकायतों पर प्रभावी रूप से कार्यवाही सुनििश्चत की जायेगी। नियन्त्रण प्रकोश्ठ कार्य दिवसों में कार्यालय समय में सक्रिय रहेगा, इसके अलावा अवकाश दिनों में यह प्रकोश्ठ प्रात: 10 बजे से अपराह्न 01 तक कार्य करेगा।
मण्डल स्तर पर मण्डलायुक्त द्वारा पाक्षिक रूप से गेहूं खरीद की समीक्षा की जायेगी। समीक्षा बैठक में गेहूं खरीद की प्रगति एवं उत्पन्न क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान भी सुनििश्चत किया जायेगा। सम्भागीय खाद्य नियन्त्रक एवं सम्भागीय खाद्य विपणन अधिकारी एवं जिला खाद्य विपणन अधिकारी द्वारा गेहूूं खरीद की नियमित समीक्षा किये जाने के साथ ही क्रय केन्द्रों का निरीक्षण भी किया जायेगा। इसके साथ ही यह भी सुनििश्चत किया जायेगा कि डिस्ट्रेस सेल की स्थिति उत्पन्न न हो और क्रय केन्द्रों पर गेहूं खरीद की समुचित व्यवस्था का अनुश्रवण होता रहे। वे यह भी सुनििश्चत करेंगे कि किसानों को गेहूं विक्रय उपरान्त मूल्य का पूरा भुगतान प्राप्त हो रहा है।
राज्य स्तर पर गेहूं खरीद की स्थिति के अनुश्रवण एवं समीक्षा के लिए जवाहर भवन लखनऊ में खाद्य नियन्त्रण कक्ष स्थापित किया गया है। खाद्य आयुक्त, नियन्त्रण कक्ष का दूरभाश व फैक्स न0- 0522-2286046 तथा विभागीय वेबसाइट ूूूण्बिेण्नचण्दपबण्पद है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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