लखनऊ - गरीबी दूर करने के लिए प्रदेश मे 11 वर्षो से संचालित हो रही स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना ही एक मात्र योजना है, जो ग्रामीण झेत्रो से पलायन रोकने और रोजगार उपलब्ध कराने मे महती भूमिका अदा कर रहीं है। स्वयं सहायता समूह के गठन एवं उन्हे समय पर ऋण तथा प्रशिझण दिलाने मे कोताही करने वाले कर्मचारियो के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही करने के निर्देश देते हुए ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद ने उक्त उद्गार व्यक्त किए।
प्रसाद ने कहा कि मनरेगा सिर्फ जीविका उपार्जन करा सकता है, लेकिन सरकारी मशीनरी दूसरे प्रांतो से सबब नही ले रही है ग्रामीण स्वयं सहायता समूहो को विपरण की समस्या से निजात दिलाने के लिए 20 लाख की लागत से 479 सरस हाट का निर्माण कराया जा रहा है ताकि ग्रामीण दस्तकार अपनी हुनर को जीवित रखकर अपनी परंपरा को देश भर मे फैला सके।
प्रदेश मे अबतक 4,03861 समूह गठित किए गये है जिसमे से 1,32436 समूहो को वित्त पोषित करा कर 13 लाख परिवारो को रोजगार दिया गया है।
प्रसाद ने स्वयं सहायता समूहो के ऋण देने के मे बैंको की भूमिका पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बैंक नये साहूकारो के रूप मे कार्य कर रहे है वह अपनी सामाजिक भूमिका भूल रहें है। गरीबी की अम्मा बेरोजगारी है, बेरोजगारी के समाप्त होते ही गरीबी स्वम् समाप्त हो जाएगी।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री कृष्ण ग्राम्य विकास आयुक्त संजीव कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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