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विश्व बैंक पोषित नेशनल हाइड्रोलाॅजी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए उ0प्र0 भूगर्भ जल विभाग को पूरे भारत में मिला प्रथम स्थान

Posted on 14 July 2020 by admin

प्रदेश में भूजल जल संचयन, संरक्षण तथा समुचित उपयोग के लिए  जन-जागरूकता जरूरी -जलशक्ति मंत्री

परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए जलशक्ति मंत्री ने की भूगर्भ  जल विभाग के अधिकारियों की सराहना

लखनऊ: 13 जुलाई, 2020 प्रदेश में भूजल संचयन प्रबंधन तथा गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए उ0प्र0 भूगर्भ जल विभाग के प्रयासों तथा नेशनल हाइड्रोलाॅजी परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा जून में जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश को देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार केरल को दूसरा तथा दामोदर रैली कारपोरेशन को तीसरा स्थान मिला है।  नेशनल हाइड्रोलाॅजी प्रोजेक्ट भारत सरकार की विश्व बैंक पोषित एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इस परियोजना के तहत एक राष्ट्रीय स्तर का जल सूचना केन्द्र विकसित किया जाना है। इस सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम के तहत विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र की कुल 49 क्रियान्वयन एजेन्सियां काम कर रही हैं।

यह जानकारी आज यहां प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग द्वारा भूजल संचयन एवं गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त करने के लिए भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों एवं कर्मियों की प्रशंसा की। उन्होंने भूगर्भ जल स्तर को बचाने तथा डार्क जोन में गये क्षेत्रों को पुनः मूलरूप में वापस लाने के लिए निरंतर कार्य किये जाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री मा0 योगी आदित्यनाथ जी के कुशल मार्गदर्शन में परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप भूगर्भ जल विभाग को यह कामयाबी मिली है। उन्होंने अटल भूजल योजना को भी प्राथमिकता देने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश अब उत्तम प्रदेश बनने की राह की ओर चल पड़ा है।

डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने बताया की उत्तर प्रदेश एक विशाल जनसंख्या वाला प्रदेश है। इसके कई क्षेत्रों तथा विकास खण्डों में भूजल स्तर बहुत तेजी से गिरा है और कई विकास खण्ड डार्क जोन में चले गये हैं। इन विकास खण्डों को पुनः मूल स्वरूप में वापस लाना विभाग के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी बताया कि जल संचयन, प्रबंधन व सतही जल के बेहतर उपयोग के लिए सभी लोगों को जागरूक किये जाने की भी आवश्यकता है।

डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने बताया कि भारत सरकार एवं विश्व बैंक द्वारा नियमित रूप से नेशनल हाइड्रोलाॅजी परियोजना की माॅनीटरिंग की जाती है इसके आधार पर पूरे देश की रैंकिंग जारी की जाती है। गत वर्ष उत्तर प्रदेश की रैंकिंग 11 थी। उत्तर प्रदेश को नंबर-1 बनाने के लिए भूगर्भ जल विभाग की विभिन्न गतिविधियों की नियमित समीक्षा की गयी। इसके साथ ही एक सटीक रणनीति अपनाते हुए इस परियोजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया गया, जिसके फलस्वरूप भारत सरकार द्वारा जारी ताजा रैंकिंग में उ0प्र0 भूगर्भ जल विभाग को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने उ0प्र0 भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों को इस रैंक को कायम रखते हुए और बेहतर किये जाने की अपील की।

नेशनल हाइड्रोलाॅजी परियोजना के संचालन से जुड़े तकनीकी पहलुओं की जानकारी देते हुए भूगर्भ जल निदेशक श्री वी0के0 उपाध्याय ने बताया कि नेशनल हाइड्रोलाॅजी परियोजना के अन्तर्गत भूगर्भ जल विभाग द्वारा मध्यम गहराई के 171 नं0 पीजोमीटर स्थापित किये गये हैं। विभाग के पास मौजूदा समय में 6000 उथले पीजोमीटर का नेटवर्क है।

श्री उपाध्याय ने बताया कि इन 1150 पीजोमीटर पर डिजीटल वाटर लेवल रिकार्डर लगाये गये हैं। इनके माध्यम से 12 घण्टे के अन्तराल पर रियल टाइप भूजल स्तर प्राप्त किये जा सकेंगे। जो भविष्य में भूजल आंकलन के लिए अत्यन्त उपयोगी होंगे। इसके माध्यम से सटीक भूजल स्तर से भूजल संसाधन आंकलन को और अधिक प्रमाणिक बनाया जा सकेगा। विभाग द्वारा घाघरा बेसिन व अन्य नदियों के जल में आर्सेनिक की मात्रा का अध्ययन भी कराया जा रहा है

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