पार्टी के ज़िम्मेदार पदाधिकारियों, मन्त्रियों, सांसदों, विधायकों की बैठक सम्पन्न
लखनऊ - बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री कुमारी मायावती जी ने पार्टी के लोगों का आज यहां आह्वान किया कि वे कांग्रेस, बी.जे.पी. व अन्य विरोधी पार्टियों की बाबा साहेब डा. अम्बेडकर-विरोधी सोच का पर्दाफ़ाश करने एवं बाबा साहेब की सोच-विरोधी महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने का तीव्र विरोध करने के लिये उनकी जयन्ती के दिन दिनांक 14 अप्रैल को देश-व्यापी आन्दोलन के तहत सभी ज़िला मुख्यालयों पर ज़ोरदार एक-दिवसीय धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम को पूरी तरह से सफल बनायें।
पार्टी के ज़िम्मेदार पदाधिकारियों, मन्त्रियों, सांसदों, विधायकों आदि की एक बैठक को सम्बोधित करते हुये बहन कुमारी मायावती जी ने कहाकि सभी विरोधी पार्टियों, ख़ासकर कांग्रेस पार्टी की नीति एवं व्यवहार हमेशा ही परम्पूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर विरोधी रहा है, जिस कारण ही बाबा साहेब को पूणा पैक्ट के लिये मजबूर किया गया तथा कांग्रेस पार्टी की सरकार द्वारा उनको भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित नहीं किया गया।
बहन कुमारी मायावती जी ने कहाकि और फिर अन्तत: भारत की आज़ादी के लगभग 43 वर्षो के बाद, जब केन्द्र में श्री वी.पी. सिंह के नेतृत्व में ग़ैर-कांग्रेसी गठबंधन वाली नेशनल फ्रन्ट की सरकार चल रही थी, जिसे बी.एस.पी. का भी समर्थन प्राप्त था, तब सन् 1990 में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जैसी हस्ती को, बी.एस.पी. के दबाव में भारत रत्न के सम्मान से अलंकृत किया गया। इस प्रकार बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के प्रति कांग्रेस पार्टी का रवैया हमेशा से ही उपेक्षापूर्ण व तिरस्कारी रहा है, और इतना ही नहीं, बल्कि बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के परिनिर्वाण के बाद, उनके मूवमेन्ट को पुनर्जीवित करने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी के प्रति भी कांग्रेस तथा अन्य विरोधी पार्टियों का रवैया तिरस्कार व उपेक्षा का रहा, जो अन्त तक जारी रहा। इसी कारण ही बड़े दु:ख के साथ यह कहना पड़ता है कि मान्यवर श्री कांशीराम जी का दिनांक 9 अक्तूबर, 2006 को देहान्त होने पर, उनके सम्मान में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र की सरकार ने एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक नहीं घोषित किया और इसी प्रकार, तब उत्तर प्रदेश में चल रही समाजवादी पार्टी की सरकार ने भी मान्यवर श्री कांशीराम जी के सम्मान में प्रदेश में एक दिन का भी राजकीय शोक नहीं घोषित किया।
और अब जबकि उत्तर प्रदेश में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की मानवतावादी सोच पर चलने वाली बी.एस.पी. की सरकार भव्य स्मारक, पार्क, विश्वविद्यालय, ज़िला इत्यादि बनवाकर उनको उचित आदर-सम्मान देने का प्रयास कर रही है तो कांग्रेस, बी.जे.पी. तथा अन्य विरोधी पार्टियों को यह सब बहुत बुरा लग रहा है और ये पार्टियां इसमें बाधा डालने की लगातार कोशिशें कर रही हैं। इन मामलों को कोर्ट-कचहरी तक में घसीटा जा रहा है, जहां इन विरोधी पार्टियों के वरिष्ठ व ज़िम्मेदार लोग इसका खुलकर विरोध करते नज़र आते हैं। इसलिये कांग्रेस, बी.जे.पी. तथा अन्य विरोधी पार्टियों की इन हरकतों की जितनी भी निन्दा की जाये, वह कम होगी।
बहन कुमारी मायावती जी ने कहाकि कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि बाबा साहेब को मान-सम्मान देने के मामले में विरोधी समाजवादी पार्टी का भी रवैया बहुत कुछ कांग्रेस पार्टी जैसा ही बाबा साहेब-विरोधी रहा है, जिस कारण ही उस पार्टी के लोग, बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के अनुयाइयों के लिये तीर्थस्थल की हैसियत रखने वाले लखनऊ के डा. अम्बेडकर स्मारक के बारे में उलूल-जुलूल बातें करते रहते हैं। ऐसे लोगों का भी तीव्र विरोध करना व उनका पर्दाफ़ाश करना बहुत ज़रूरी है।
बहन कुमारी मायावती जी ने कहाकि इसी प्रकार, अपने देश की महिलाओं के बारे में भी कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार की सोच बाबा साहेब डा. अम्बेडकर-विरोधी है। बाबा साहेब सर्वसमाज की महिलाओं के हक़ व हक़ूक़ के लिये जीवन भर संघर्षरत रहे तथा मौक़ा मिलने पर उन्होंने भारतीय संविधान में महिलाओं को आत्म-सम्मान के साथ जीने का, वोट डालने का एवं पुरुषो के समान बराबरी का हक़ दिलाया। इस मामले में भी बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की सोच महिलाओं में भी दबे-कुचले लोगों को, जिनको वास्तव में आगे बढ़ाने की ज़रूरत है, उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करने के पक्षधर थे। और स्वतन्त्रता के बाद, बाबा साहेब ने हिन्दू कोड बिल के माध्यम से, महिलाओं के सम्पूर्ण व व्यापक उत्थान व कल्याण का प्रयास किया था, लेकिन कांग्रेस पार्टी व अन्य विरोधी संगठनों ने तब बाबा साहेब के उस प्रयास को भी असफल कर दिया था, जिस कारण बाबा साहेब को मायूस होकर केन्द्रीय क़ानून मन्त्री के पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था, हालांकि केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल से उनके इस्तीफा देने के पीछे कुछ और भी महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल थे।
बहन मायावती जी ने कहाकि जैसाकि सर्वविदित है कि बहुजन समाज पार्टी महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ नहीं है, बल्कि पूरी तरह से इसके पक्ष में है, क्योंकि बी.एस.पी. का नेतृत्व दलित समाज में जन्मी एक ऐसी सशक्त महिला के हाथ में है जिसने देश की राजनीति में अपनी एक अलग मज़बूत और अनोखी जगह बनायी है, जो वर्तमान में बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण एवं विशाल राज्य की मुख्यमन्त्री भी हैं और सर्वसमाज के ग़रीबों, शोशितों व पीड़ितों को सम्मानपूर्वक जीवन यापन की सुविधा मुहैया कराने के लिये पूरी तरह से तत्पर हैं। लेकिन देश में लोक सभा और विधान सभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का जो विधेयक अभी हाल ही में दिनांक 9 मार्च, 2010 को केन्द्र सरकार द्वारा संसद में पास कराया गया है, उससे देश की अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, धार्मिक अल्पसंख्यक एवं सवर्ण समाज की ग़रीब महिलाओं को कोई ज़्यादा व सीधा लाभ होने वाला नहीं है, क्योंकि इस विधेयक में इन वर्गों की महिलाओं के लिये अलग से आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है।
इसके अलावा इस विधेयक में अनेकों गम्भीर व घातक कमियां हैं, जिनका पर्दाफाश करने के लिये बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की जयन्ती के दिन दिनांक 14 अप्रैल, 2010 को ज़िला स्तर पर एक दिन का धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। उन्होंने इसके लिये लोगों का आह्वान किया कि वे अपने मसीहा बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के लिये एक दिन का पूरा समय निकाल कर इस कार्यक्रम को ज़रूर सफल बनायें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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