एक दिवसीय स्वयं सहायता समूह महिला सम्मेलन संपन्न
अशिक्षा व धार्मिक अंधविश्वास सबसे बड़ा कारण है गरीबी का
चित्रकूट - गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा, धार्मिक अधंविश्वास, सामाजिक रीतिरिवाज, नशा व जुआं आदि को बताते हुए प्रदेश सरकार के ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद ने कहा कि जब तक हम समाज में व्याप्त इन कुरीतियों को दूर नहीं करेंगे तब तक गरीबी को नहीं दूर किया जा सकता। वे रामायण मेला परिसर में अभियान संस्था द्वारा वाटरएड के सहयोग से आयोजित किए गए स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के एक दिवसीय सम्मेलन के दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि गरीबी दूर करने के लिए सरकार एस जी एस वाई योजना चला रही है। जिसमें बीपीएल परिवार के लोग आचार, मुरब्बा, दोना पत्तल, मधुमक्खी पालन आदि का प्रशिक्षण ले कर स्वरोजगार अपना सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 7 वर्षो से पूरा बुन्देलखण्ड क्षेत्र सूखे की त्रासदी झेल रहा है। जिसके कारण खेती की पैदावार लगातार घटती जा रही है और किसान गरीब होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां के किसान मनरेगा योजना के तहत मेड़बन्दी, समतलीकरण, बनीकरण, सागभाजी आदि योजनाएं अपनाते हुए अपनी गरीबी दूर कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत चल रही योजनाओं का लाभ पाने के लिए किसान अपनी खसरा खतौनी लेकर बीडीओ से संपर्क करे। जिसके आधार पर सम्बंधित बीडीओ स्टीमेट बनाकर कार्य करवाएंगे। मंत्री दद्दू प्रसाद ने बताया कि आगामी 1 अप्रैल से इन्दिरा आवास के लाभार्थियों को अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। शासन ने सन् 2012 तक सभी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि यदि सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर कोई भी घूस की मांग करता है तो उसकी शिकायत सीधे उनसे की जाए। घूस मांगने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सम्मेलन के अवसर पर बलबीर सिंह ने बताया कि बैंक किस प्रकार स्वयं सहायता समूहों की मदद करते हैं। इसके अलावा श्री सिंह ने कहा कि समूहों की समस्याओं का समाधान करने के लिए एक समस्या निवारण समिति बनाई जानी चाहिए। जो स्वयं सहायता समूहों और सरकारी विभागों के बीच सेतु का काम करे। इसके अलावा डा. अनीता सागर ने बच्चों व महिलाओं की बीमारियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रक्त की कमी को दूर करने के लिए हरी सब्जी, लौकी का जूस आदि का प्रयोग किया जाना फायदेमन्द होता है। जबकि संयोजक ममता वर्मा ने सम्मेलन के मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गांवों के सम्पूर्ण विकास के लिए स्वयं सहायता समूहों को एक मंच पर लाना, सरकारी सेवाओं व सुविधाओं का लाभ पात्रा लोगों तक पहुंचाना ही इसका लक्ष्य है। सम्मेलन आई शिवरामपुर की प्रेमा ने बताया कि बैंक स्वयं सहायता समूहों को ऋण उपलब्ध कराने में बहुत परेशान करते हैं। जबकि दूसरी तरफ खपटिहा गांव की प्रभासिनी ने पेयजल की समस्या, तरांव की श्रीमती कमला ने बैंक द्वारा लिए गए कमीशन को वापस दिलाने के लिए कहा। सम्मेलन में 50 गांवों के समूहों की लगभग 1500 महिलाओं ने भागीदारी निभाई।
श्री गोपाल
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