लखनऊ: 05 फरवरी, 2019
कला अभिरूचि पाठ्यक्रम के छठे दिन आज 05 फरवरी को इंटैक, लखनऊ की निदेशक डाॅ0 ममता मिश्रा द्वारा कलावस्तुओं का संरक्षण विषय पर व्याख्यान दिया गया। विद्वान वक्ता द्वारा अपने व्याख्यान में भारतीय कलाकृतियों, जिनके अंतर्गत पाण्डुलिपियों, वस्त्रों (टेक्सटाइल), सिक्कों, धातुओं एवं प्रस्तर प्रतिमाओं में वातावरणीय कारकों जैसे- जलवायु एवं वातावरण, प्रकाश, नमीं, धूल मिट्टी इत्यादि एवं इसके अतिरिक्त कीटों से होने वाले क्षरण के कारण एवं संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डाला। साथ ही कलाकृतियों को क्षरण से बचाने हेतु उचित रख-रखाव की आवश्यकता पर जोर दिया। कलाकृतियों जिसके अन्तर्गत कार्बनिक (आर्गेनिक) पुरावशेषों को लम्बे समय तक नमीं से बचाने के लिए सिलिका जेल व पाण्डुलिपियों में लौंग एवं कपूर रखने तथा नीम की पत्तियों को छाया में सुखाकर प्रयोग में लाने से भी पाण्डुलिपियों को कीटों से बचाया जा सकता है। यह उपाय घरेलू स्तर पर भी अपनाये जा सकते हंै। विद्वान वक्ता ने कलावस्तुओं के भण्डारण के संबंध में भी महत्वूपर्ण जानकारी प्रदान की। डाॅ0 मिश्रा ने संग्रहालयों में आद्रता एवं प्रकाश को नापने वाले उपकरणों के बारे में भी जानकारी प्रदान की।
कार्यकम का संचालन श्रीमती रेनू द्विवेदी सहायक निदेशक, पुरातत्व (शैक्षिक कार्यक्रम प्रभारी) ने किया। कला अभिरूचि पाठ्यक्रम की श्रृंखला में कल 06 फरवरी, 2019 को श्री इन्दु प्रकाश पाण्डेय, पूर्व सहायक निदेशक, राज्य संग्रहालय, लखनऊ द्वारा पाण्डुलिपियों का इतिहास विषय पर व्याख्यान दिया जायेगा।