लखनऊ: दिनांक 20 जनवरी, 2019
कविता वास्तव में प्रतिक्रिया है जो हम सुनते हैं, जो हम सोचते हैं,
हमारे अन्र्तमन मन में जो भाव उठता है उसी को लेखनी का स्वरूप दे देना ही
कविता है। यह विचार पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपठी ने
आज यहां हिंदी संस्थान के यशपाल सभागार में डॉ अभय मणि त्रिपाठी द्वारा
रचित काव्य संकलन ‘व्यथा’ के लोकार्पण के अवसर पर दिया।
इस अवसर पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि
व्यक्ति का स्वाभाविक गुण परिवर्तित नहीं होता, वह हमेशा विद्यमान रहता
है और समय आने पर उनका उद्गार भी हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी
संस्कृति अंधकार को दूर करके प्रकाश लाने वाली है, हमारी संस्कृति बिखरे
लोगों को एकजुट करने वाली है। व्यक्ति को अपने अंदर आधुनिकता के समावेश
के साथ-साथ अपनी संस्कृति और सभ्यता को नहीं भूलना चाहिए। व्यक्ति में
नैतिक गुणों का होना बहुत ही जरूरी है। हमें अपनी संस्कृति को आत्मसात
करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। माता-पिता को हमारी संस्कृति में ईश्वर के
समकक्ष रखा गया है।
इस अवसर पर विद्या भारती के संरक्षक पद्मश्री ब्रह्मदत्त शर्मा, श्री
पंकज सिंह एवं हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री सदानन्द गुप्त
सहित अन्य महानुभाव उपस्थित थे।