लखनऊ - उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि विगत 15 मार्च को यहां आयोजित राष्ट्रीय विशाल महारैली में मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती के सम्बोधन के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा रमाबाई अम्बेडकर मैदान के समीप भयंकर आग लगाकर महारैली में व्यवधान डालने के प्रकरण की पुलिस द्वारा की जा रही विवेचना प्रगति पर है।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम स्थल के निकट स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर में आग लगाये जाने से मधुमिक्खयां भड़की थीं, इसलिए इस बात की प्रबल संभावना है कि कुछ शरारती तत्वों द्वारा महारैली में बाधा पैदा करने के उद्देश्य से ही आग लगायी गई थी। उन्होंने कहा कि मधुमिक्खयों के काटने से यदि महारैली मे आयी लाखों की भीड़ में भगदड़ मच जाती तो भारी जनहानि हो सकती थी और मुख्यमन्त्री सहित अन्य विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती थी।
प्रवक्ता ने कहा कि विवेचना के दौरान पुलिस को मधुमिक्खयों की विभिन्न प्रजातियों और उनके व्यवहार से जुड़े विभिन्न पहलुओं के सम्बन्ध में विशिष्ट जानकारी की आवश्यकता पड़ी, जिसे दृष्टिगत रखते हुए उद्यान विभाग से इस सम्बन्ध में विवरण प्राप्त किया गया। उन्होंने मधुमिक्खयों के सम्बन्ध में उद्यान विभाग के विवरण के आधार पर कतिपय समाचार पत्रों में आज प्रकाशित तथा कुछ न्यूज चैनलों में प्रसारित समाचार को पूरी तरह भ्रामक बताते हुए कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़कर समाचार में यह दिया गया है कि जैसे उद्यान विभाग द्वारा इस घटना की जांच की गई है। उन्होंने कहा कि न तो उद्यान विभाग द्वारा इस घटना की कोई जांच की गई और न ही उसे मामले की विवेचना करने का कोई अधिकार है।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि उद्यान विभाग से प्राप्त जानकारी से यह स्पष्ट हो गया है कि महारैली के दौरान कार्यक्रम स्थल और मंच पर लगातार मण्डराने वाली सारंग प्रजाति की मधुमिक्खयों को गर्मी बर्दाश्त नहीं होती। गर्मी होने पर यह मधुमिक्खयां ठण्डे स्थान की ओर पलायन करती हैं। उन्होंने कहा कि सारंग मधुमिक्खयों द्वारा गर्मी महसूस होने पर ठण्डे स्थान की ओर पलायन करने की प्रवृत्ति के मद्देनज़र, मुख्यमन्त्री के सम्बोधन के दौरान आग लगाये जाने की घटना महारैली में भगदड़ फैलाने की साजिश की ओर संकेत करती है, जिसके सम्बन्ध में पुलिस द्वारा विवेचना की जा रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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