प्रदेश के किसान किन हालातों से गुजर रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आगरा का किसान प्रदीप शर्मा 19 हजार किलो आलू बेंचकर महज 490 रूपया पाता है और वह इस रकम को प्रधानमंत्री को भेज देता है। किसान कर्ज में इतना डूबा हुआ है कि वह अपनी जमीन बेंचने तक मजबूर है और प्रशासन कोई मदद नहीं कर रहा है।
उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता प्रियंका गुप्ता ने आज जारी बयान में कहा कि गन्ना किसान योगी सरकार में दोहरी मार झेल रहे हैं, एक तरफ किसानों का गन्ना मूल्य के बकाये का भुगतान नहीं हो रहा है और मुख्यमंत्री जी ने 30 नवम्बर 2018 तक किसानों को गन्ना भुगतान किये जाने का वादा किया था और अभी तक नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से किसान कृषि कार्य में उपयोग किये गये विद्युत के मूल्य का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं जिसकी वजह से किसानों के बकाये बिजली मूल्य को लेकर विद्युत विभाग उनके बिजली का कनेक्शन काट रहा है और मुकदमें दर्ज कर रिकवरी की नोटिसें भेज रहा है जिससे किसान त्राहि-त्राहि कर रहा हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में किसानों को उनकी उपज की लागत का डेढ़ गुना लाभ दिया जायेगा किन्तु नेशनल क्राइस रिकर्ड ब्यूरों ने किसानों की आत्महत्याओं से जुड़े आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए जिससे स्पष्ट होता है कि मौजूदा समय में कृषि संकट की सबसे बड़ी वजह है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। आये दिन किसान चाहे टमाटर हो, आलू हो या अन्य अपनी उपज हो, सड़कों पर फेंकने के लिए मजबूर हो रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी उपज का समुचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। किसान जब अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाते हैं तो सरकार उन पर लाठियां और गोलियां चलाती है।
श्रीमती गुप्ता ने कहा कि जबसे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है चाहे वह बुन्देखण्ड के किसान हों, पूर्वांचल के किसान हों या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हों, सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते लगातार आन्दोलित और आक्रोशित हैं। सरकार जहां गन्ना किसानों को उनके बकाये मूल्य का भुगतान दिलाने में विफल साबित हुई है वहीं आलू किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल रहा है जिसके चलते किसान त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।