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रेशम उत्पादन को लाभकारी बनाने के लिए व्यवसायिक रूप दिया जायेगा

Posted on 03 January 2019 by admin

सुरेंद्र अग्निहोत्री, लखनऊ ।

उत्तर प्रदेश के रेशम उद्योग मंत्री श्री सत्यदेव पचौरी ने कहा कि रेशम उत्पादन को लाभकारी बनाने के लिए व्यावसायिक रूप दिया जाएगा। इसके लिए बड़े किसानों को भी रेशम उत्पादन से जोड़ा जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रदेश के 100 रेशम फार्मों में एक किलोमीटर की परिधि के दायरे में 10 एकड़ निजी भूमि पर शहतूत वृक्षारोपण कराकर रेशम उत्पादन को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि आधिकारिक ग्रास रूट पर कार्य करें , ताकि विभाग का स्वरूप बड़ा हो और चर्चा में भी आये। रेशम की योजनाओं के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी।
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श्री पचौरी आज रेशम निदेशालय में किसानों की आय बढ़ाने और रेशम की आवश्यकता को पूरा करने हेतु विभाग द्वारा तैयार की गई कार्ययोजना की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए की रेशम विभाग द्वारा संचालित फार्म हाउस पर कम से कम 06 फसल लेने की योजना बनाई जाये। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और रेशम का उत्पादन भी बढ़ेगा। अधिक से अधिक किसानों को रेशम व्यवसाय से जोड़ने के लिए जिलेवार गोष्ठी आदि आयोजित भी की जाये। सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सोलर ट्यूबवेल लगवाए जाये। खासतौर से अनुसूचित जाति के लोगों को शहतूत की खेती के लिए ग्राम समाज की जमीन पट्टे पर उपलब्ध कराने की कार्य योजना तैयार की जाये।

रेशम उद्योग मंत्री ने कहा कि कीटपालन गृह का आवासीय उपयोग न हो, इसके लिए सामूहिक कीटपालन गृह का निर्माण कराया जाये। उन्होंने कहा कि भोज्य पत्तियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वृक्षारोपण पर विशेष बल दिया जाये। सरकार वृक्षारोपण के लिए किसानों को प्रति एकड़ 50 हजार का अनुदान भी देगी।

अपर मुख्य सचिव, रेशम उद्योग श्री रमारमण ने रेशम मंत्री को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा दिए गए निर्देशों को कार्य योजना में शामिल करते हुए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने अवगत कराया कि प्रदेश में रेशम उत्पादन 300 मी०टन है, जबकि खपत 3000 मी०टन है। इस अंतर को कम करने के लिए रेशम मिशन की स्थापना कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में स्थापित 160 राजकीय रेशम फार्मों में से 50 फॉर्मों पर 500 सामूहिक कीटपालन गृह का निर्माण कराया जाएगा। क्राप डाइवर्सीफिकेशन योजना के तहत 200 एकड़ भूमि पर वृक्षारोपण कराया जायेगा। पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत विकसित की गई भूमि पर शहतूत वृक्षारोपण कराया जायेगा।

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