लखनऊ: दिनांक 05 दिसम्बर, 2018
अलकनन्दा हाइड्रो परियोजना तथा ललितपुर थर्मल परियोजना की लागत में अत्यधिक बढ़ोत्तरी हो गयी है। मंहगी बिजली के बोझ से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए कारपोरेषन ने व्यापक प्रयास षुरू किये हंै।
प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं उ0प्र0 पावर कारपोरेषन अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने बताया है कि पावर कारपोरेषन के स्तर पर उदय योजना के अन्तर्गत सभी स्रोतों से क्रय की जा रही ऊर्जा की लागत को कम करने के लिये हर स्तर पर, वृहद् प्रयास किये जा रहे हंै। जैसे कि प्रत्येक उत्पादन स्त्रोत से प्रत्येक माह में क्रय की गई विद्युत की लागत की गत वर्श के संगत माह की उसी उत्पादन स्रोत से विद्युत क्रय लागत के साथ तुलना की जाती है। क्रय लागत में कोई भी अवांछनीय बढ़ोत्तरी पाए जाने पर उसके कारणों की विस्तृत समीक्षा कर आवष्यक कदम उठाये जाते हैं ताकि उपभोक्ताओं पर मॅंहगी बिजली का बोझ न पड़े।
प्रमुख सचिव ने बताया कि उदय योजना की राज्य स्तरीय माॅनीटरिंग कमेटी की बैठक में विभाग के कैष-गैप की विस्तृत समीक्षा के दौरान हुई चर्चा के परिप्रेक्ष्य में यह बात सामने आयी है कि एम0ओ0यू0 आधार पर लगाई गई अलकनन्दा हाइड्रो तथा ललितपुर थर्मल विद्युत परियोजनाओं की कैपिटल काॅस्ट इन विद्युत उत्पादकों द्वारा अभी तक विद्युत नियामक आयेाग से अंतिम रूप से तय नहीं कराई गई है। अलकनन्दा हाइड्रो परियेाजना की कमिषनिंग जून 2015 में तथा ललितपुर थर्मल परियोजना की कमीषनिंग दिसम्बर 2016 में हो चुकी है। इन दोनों ही परियोजनाओं का टैरिफ अत्यधिक हो गया है जिसके कारण पावर कारपोरेषन को कैष-गैप कम करने में चुनौती आ रही है। अलकनन्दा परियेाजना की विद्युत लागत रू0 6.73 प्रति यूनिट तक पहॅंुच रही है, जो कि अन्य हाइड्रो परियोजनाओं की तुलना में सर्वाधिक है। वहीं ललितपुर परियोजना की इस वित्तीय वर्श के प्रथम छमाही में ऊर्जा क्रय की औसत लागत रू0 6.82 प्रति यूनिट आई है, जिसमें माह सितम्बर 2018 में ऊर्जा की लागत सर्वाधिक रू0 12.67 प्रति यूनिट तक पहुॅंच गई। अलकनन्दा परियेाजना के संबंध में मार्च 2016 में ही विद्युत नियामक आयोग ने परियोजना के विकासकर्ता मेसर्स जी0वी0के0 को स्पश्ट निर्देष दिये थे कि हाइड्रो परियोजना होने के बावजूद अत्यधिक ऊर्जा लागत के दृश्टिगत वह अपने पॅंूजीगत लाभ को कम करते हुए एवं ऋण वापसी तथा पी0पी0ए0 की अवधि को बढ़ाते हुए षीघ्रातिषीघ्र एक संषोधित टैरिफ माॅडल प्रस्तुत करे ताकि बिजली उपभोक्ताओं को मॅंहगी बिजली के बोझ से बचाया जा सके। परन्तु विकासकर्ता द्वारा आज तक ऐसा नहीं किया गया। ऐसे में कमेटी ने निर्देष दिये कि ऐसी परियोजनाओं की कैपिटल काॅस्ट की विधिवत् समीक्षा कराकर इन विद्युत उत्पादकों से निगोसिएषन का प्रयास कर विद्युत क्रय लागत को कम करने की कार्यवाही की जाये। पावर कारपोरेषन ने इन दोनों ही ऊर्जा उत्पादकों से निगोसिएषन कर तत्काल आधार पर लागत कम कराने हेतु प्रयास षुरू कर दिये हैं। साथ ही इन ऊर्जा उत्पादकों से नियमित रूप से मौखिक एवं लिखित निवेदन भी किया जा रहा है कि वे षीघ्रातिषीघ्र विद्युत नियामक आयोग से नियमानुसार अपनी फाइनल कैपिटल कास्ट का अन्तिम निर्धारण करा लें ताकि दीर्घकालीन स्तर पर विद्युत उपभोक्ताओं को मॅंहगी बिजली के बोझ से बचाया जा सके।
इसी क्रम में प्रदेष में स्थित निजी एवं राज्य सेक्टर के सभी उत्पादन स्रोतांे पर थर्ड पार्टी सैम्पलिंग के माध्यम से प्राप्त कोयले की वास्तविक गुणवत्ता की कड़ी जाॅंच कराए जाने हेतु आवष्यक कार्यवाही भी की जा रही है ताकि उत्पादित ऊर्जा की बिलिंग कोयले की वास्तविक कैलोरिफिक वैल्यू के अनुसार ही सुनिष्चित की जाये।