समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान भाजपा सरकार के धोखे सेे बुरी तरह शिकार हुए हैं। प्रदेश सरकार ने नवम्बर के अंत तक चीनी मिलों में पेराई शुरू करने की समय सीमा निर्धारित की थी। समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अभी सभी चीनी मिलों में पेराई शुरू नहीं हुई है। समय से चीनी मिलें न चलने से खेतों में खड़ा गन्ना सूख रहा है। किसान बेहद परेशान हैं।
एक वर्ष के भीतर लागत में भारी बढ़ोत्तरी होने के बावजूद गन्ने के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी न होने से किसान हताश है। सिंचाई के लिए डीजल में 28 प्रतिशत, विद्युत दरों में 30 प्रतिशत, कीटनाशकों के मूल्य में 30 प्रतिशत, डीएपी में 10 प्रतिशत एवं मजदूरी में 10 प्रतिशत तक वृद्धि होने से गन्ने के लागत मूल्य में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है लेकिन भाजपा सरकार नेे वर्ष 2018-19 के लिए गन्ने के राज्य परामर्शी मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की है।
गन्ना शोध केन्द्र, शाहजहांपुर के अनुसार गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष गन्ने की लागत मूल्य में 08 रूपया प्रति कुंतल वृद्धि हुई है तथा लागत मूल्य 297 रूपया प्रति कुंतल हो गया है। भाजपा की गलत नीतियों के चलते 50 लाख गन्ना किसानों को करोड़ों रूपये की क्षति उठानी पड़ी हैं।
भाजपा सरकार ने दिखावे और किसानों को बहकाने के लिए 44 चीनी मिलों को 2619 करोड़ रूपए के साफ्ट लोन का भुगतान किया है। किसानों को इससे कोई फायदा पहुंचने वाला नहीं है। सच तो यही है कि भाजपा को किसानों की नहीं चीनी मिल मालिकों के हितों की चिंता है। उसकी नीतियां ही पूंजी घरानों की पक्षपाती हैं। चीनी मिल मालिकों ने राज्य सरकार के निर्देशों को बार-बार ठेंगा दिखाया है फिर भी भाजपा सरकार उन्हीं के मान मनौव्वल पर तुली है। किसानों का यह आक्रोश सन् 2019 में भाजपा के खिलाफ विस्फोट का रूप ले लेगा, जिसमें भाजपा नहीं बच पायेगी।