लखनऊ: दिनांक 29 अक्टूबर, 2018
उत्तर प्रदेश के दूर-दराज के गांव, जो प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र (अंतर्राष्ट्रीय/अंतर्राज्यीय) पर स्थित हैं तथा आजादी के बाद से अभी तक अविकसित हैं तथा वनटांगियां, मूसहर एवं थारु जनजाति आदि वर्गों के बाहुल्य वाले ग्रामों में अवस्थापना एवं लाभार्थीपरक, कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पूरी तरह नहीं मिल पाया है, ऐसे पिछड़े राजस्व ग्रामों (मजरे, पूरवे, टोले-बसावट सहित) में विकास योजनाओं को प्राथमिकता से संचालित करने के लिए मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना संचालित की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य विकास की रोशनी से वंचित ऐसे गांवों में अवस्थापना सुविधाएं मुहैया कराकर ग्रामवासियों के जीवन को बेहतर बनाना है।
यह जानकारी प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास श्री अनुराग श्रीवास्तव ने देते हुए बताया कि मौजूदा समय में प्रदेश के 1138 राजस्व ग्रामों जैसे मजरे, पुरवे, टोले आदि में 17 कार्यदायी विभागों द्वारा 24 कार्यक्रम संचालित कर गांवों के संतृप्तिकरण की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि देश की रक्षा में शहीद हुए सेना एवं अर्द्धसैनिकों के ग्रामों एवं भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत विषम परिस्थितियों से घिरे अतिपिछड़े गांवों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा।