उत्तर प्रदेश सरकार कृषि कुम्भ के नाम पर किसानों को भ्रमित कर रही है। कृषि कुम्भ से किसानों को उम्मीद थी कि सरकार कृषि उपकरणों/यन्त्रों को जीएसटी से बाहर करेगी किन्तु ऐसा न करके किसानों की मंशा पर पानी फेर कर धोखा देने का काम किया है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने जारी बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में किसानों के लिए जो बड़े-बड़े वादे किये थे 18 महीने बीत जाने के बाद भी कहीं भी वह धरातल पर नहीं दिख रहा है। महज आगामी चुनावों को लेकर इवेन्ट आयोजित किये जा रहे हैं। एक तरफ किसान कृषि मण्डियों में लुट रहा है, सिंचाई का संकट है, उसकी जमीन कर्ज में डूबी है जिसको लेकर बराबर उत्तर प्रदेश में किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है।
प्रवक्ता ने कहा कि इन सबके बावजूद कृषि को लेकर सरकार सिर्फ मंथन और बैठक तक ही सीमित है कृषि फसलों के निर्यात को लेकर सरकार की कोई ठोस रणनीति अभी तक सामने नहीं आयी है जिसके चलते आज किसान अपने खून पसीने की कमाई की फसल को औने-पौने दामों पर मण्डियों पर बिचैलियों के हाथों बेंचने पर मजबूर है जबकि सरकार ने वादा किया था कि वह किसानों की फसलों का मूल्य स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक किसानों को देंगे लेकिन आज किसान जब अपनी बात सरकार तक पहुंचाने निकलता है तो उसे बदले में लाठी और गोली खानी पड़ रही है। और तो और पहली बार इस सरकार ने 50 किलो यूरिया की बोरी को घटाकर 45 किलो की कर दी है और कीमत 50 किलो मात्रा का ही किसानों से वसूला जा रहा है। यह किसानों के साथ सरासर धोखा है।
गन्ना पेराई सत्र 2018-19 सिर पर है लेकिन अभी तक गन्ना पर्यवेक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है उत्तर प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 86 प्रतिशत गन्ना पर्यवेक्षक के पद खाली हैं और उन पर नियुक्ति की प्रक्रिया भी ठण्डे बस्ते में है।
प्रवक्ता ने कहा कि किसानों की खेतों में खड़ी फसल को बराबर अवारा घुमन्तू जानवरों द्वारा नष्ट किया जा रहा है किसान पूरी-पूरी रात जागकर अपनी फसलों की रखवाली में लगा हुआ है और यह सरकार ए.सी. कमरों मंे कृषि कुम्भ के नाम पर उन्हें एक बार फिर छलने का कुत्सित प्रयास कर रही है।