सुरेन्द्र अग्निहोत्री लखनऊ: दिनांक 25 अक्टूबर, 2018
प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृशि है। कृशि एवं संबंधित क्षेत्र न केवल जीवन यापन का साधन मुहैया कराते हैं बल्कि प्रदेष की 67.68 प्रतिषत आबादी के भी रोजगार का साधन है। कृशि का प्रदेष की डी0जी0पी0 में 25.5 प्रतिषत योगदान है तथा राश्ट्रीय स्तर पर 14 प्रतिषत है। प्रदेष की अर्थव्यवस्था में कृशि को महत्ता देते हुए भारत सरकार एवं प्रदेष सरकार द्वारा सन 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए संकल्पित है। इसी परिपेक्ष में उत्तर प्रदेष में पहली बार कृशि कुम्भ-2018 का आयोजन दिनांक-26, 27 एवं 28 अक्टूबर 2018 को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, तेलीबाग, लखनऊ के परिसर में किया जा रहा है जिसमें अन्तर्राश्ट्रीय कृशि सम्मेलन, प्रदर्षनी तथा वृहद किसान मेले का आयोजन सम्मिलित है जिसमें प्रदेष के 75 जनपदों के 1.00 लाख से अधिक किसान,ं कृशि विषेशज्ञ, छात्र, कृशि क्षेत्र में कार्य करने वाले उद्यमी, अधिकारी एवं नीति नियामक आदि भाग ले रहे हैं।
कृशि कुम्भ का उदघाटन दिनंाक-26 अक्टूबर 2018 को प्रातः 10.00 बजे देष के यषस्वी प्रधानमंत्री मा0 श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से किया जायेगा जिसमें प्रदेष के मा0 मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ जी एवं भारत सरकार के कृशि मंत्री मा0 श्री राधामोहन सिंह, केन्द्रीय कृशि राज्य मंत्री मा0 श्रीमती कृश्णा राज, डा0 प्रेम कुमार, मा0 कृशि मंत्री, बिहार, डा0 सुबोध उनियाल, मा0 कृशि मंत्री, उत्तराखण्ड तथा प्रदेष के पशुपालन, उद्यान, दुग्ध विकास सहित कृशि से जुड़े अन्य विभागों के मा0 मंत्रीगण, मा0 राज्य मंत्रीगण सहभागी होंगे। कृशि कुम्भ में कृशि क्षेत्र में तकनीकी दृश्टि से काफी विकसित विष्व के 02 देष जापान एवं इजराइल सहयोगी देष के रूप में भाग ले रहे हैं।
कृशि कुम्भ में आयोजित हो रहे तकनीकी अन्तर्राश्ट्रीय सेमिनार में 14 सत्र निर्धारित किए गए हैं जो निम्नवत् हैं-
ऽ इण्डो इजराइल पार्टनरषिप के अन्तर्गत सस्टनेबल एण्ड इक्वीटेबल डेवलपमेन्ट एण्ड डिलीवरी आफ सर्विसेज सत्र के अन्तर्गत डा0 के0 वी0 राजू, आर्थिक सलाहकार, मा0 मुख्यमंत्री, उ0प्र0 सरकार अध्यक्ष होंगे तथा श्री दान अल्लूफ, मषाव, इजराइल दूतावास, सह-अध्यक्ष होंगे। इस सत्र में पानी एवं कृशि निवेषों के उचित एवं प्रभावी उपयोग, मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन तथा प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग, मानव एवं अन्य संसाधनों का सर्वाधिक उचित उपयोग एवं प्रबन्धन आदि पर विस्तृत चर्चा होगी।
ऽ दूसरा सत्र एग्रीकल्चर पालिसी एण्ड रिफार्म फार हायर एण्ड सस्टेन फारमर्स इनकम के अध्यक्ष श्री एस0 के0 पटनायक एवं डा0 सुरेन्द्र मोहन्ती, निदेषक, आई0एफ0पी0आर0आई0 सह-अध्यक्ष होंगे। इसमें कृशि संबंधी नीतियों, नियमों एवं उनके सुधार, कृशि निवेष जिसमें बीज, उर्वरक, पशुपालन एवं व्यापार नीति बाॅस/टिम्बर/बैम्बू के प्रोत्साहन आदि पर चर्चा होगी। कृशि निवेषों के निदान हेतु जैव उर्जा एवं एथेनाल उत्पादन एवं अन्य विभागों से कृशि क्षेत्र में योजनाओं के कन्वर्जेन्स पर विचार किया जायेगा।
ऽ तीसरा सत्र इन्टीग्रेटेट फार्मिग सिस्टम, आर्गेनिंक फार्मिंग पर होगा जिसमें एग्रोक्लाइमेटिक जोन के आधार पर फसलोत्पादन, वर्शा आधारित क्षेत्र में टिकाऊ खेती एवं अधिक उत्पादन तथा किसानों की आय बढ़ाने हेतु आर्गेनिक खेती एवं आई0एफ0एस0 माडल को प्रोत्साहित करना एवं कृशि विकास योजना आदि पर चर्चा की जाएगी। इस सत्र के अध्यक्ष श्री संजय भूसरेड्ी, प्रमुख सचिव, गन्ना, उत्तर प्रदेष तथा डा0 ए0एस0 पंवार, निदेषक, आई0सी0ए0आर0, मेरठ सह-अध्यक्ष होंगे।
ऽ चैथे सत्र में दूसरे दिन ट्रेड पाॅलिसी एण्ड एक्सपोर्ट प्रमोषन के अध्यक्ष डा0 के0वी0 राजू, आर्थिक सलाहकार, मा0 मुख्यमंत्री,उ0प्र0 तथा सह-अध्यक्ष श्री सुखवीर गर्ग, प्रमुख सचिव, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उ0प्र0 सरकार होंगे। इसमें कृशि संबंधी आयात कम करने तथा निर्यात को बढ़ावा देने , किसानों के हित का संरक्षण, प्रदेष में अधिक मात्रा में उत्पादन होने वाली फसलों के अतिरिक्त उत्पादन तथा मांग के सापेक्ष कम उत्पादन होने वाले कृशि उत्पादों के अन्तर्राज्यीय व्यवसाय आदि पर चर्चा होगी।
ऽ पाॅचवा सत्र कृशि उत्पादन का विपणन तथा कृशि व्यवसाय के प्रोत्साहन पर आधारित होगा जिसमें कृशि उत्पादों के विपणन हेतु मण्डियों का क्षमता उन्नयन, लाभकारी कृशि मूल्य, बाजार मूल्यों के उतार-चढ़ाव को कम करना, कृशि उत्पादन की मांग एवं मूल्य विशयक भविश्यवाणी तथा पूर्व में ही सूचना उपलब्ध कराने की तकनीकी का विकास, कृशि बाजारों का आधुनिकीकरण, वेल्यूचेन एवं मेनेजमेन्ट आदि पर विचार विमर्ष किया जायेगा।
ऽ छठा सत्र कृशि क्षेत्र में विज्ञान तकनीकी, इन्फार्मेषन टैक्नालाॅजी तथा स्टार्टअप्स पर आधारित होगा जिसमें कृशि की उत्पादकता बढ़ाने के संबंध में कीट एवं बीमारियों, पर्यावरण परिवर्तन, सूखे एवं बंजर क्षेत्र, फसल चक्र, फ्यूचर फार्मिंग जीएम जीन एडेंटिंग, रिमोट सेन्सिंग टेक्नालाॅजी आदि के व्यावसायिक उपयोग पर विचार विमर्ष किया जायेगा। इसके अध्यक्ष डा0 ए0के0 सिंह उप महा निदेषक, प्रसार, आई0सी0ए0आर नई दिल्ली होगें।
ऽ सातवा सत्र बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कृशि के विकास की रणनीति पर केन्द्रित होगा। डा0 सुषील सोलोमन, कुलपति, कृशि विष्वविद्यालय, कानपुर इसके अध्यक्ष होंगे। बुन्देलखण्ड में पानी एवं अन्य निवेषों का उचित उपयोग, मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन, कृशि विविधीकरण, वर्शा आधारित बुन्देलखण्ड के लिए उपयुक्त वारानी खेती एवं अन्य कृशि तकनीको का उचित प्रयोग, मृदा एवं जल संरक्षण तकनीकी, पषु एवं दुग्ध उत्पादन में वृद्धि पर चर्चा होगी।
ऽ आठवा सत्र पूर्वी उत्तर प्रदेष के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए औद्यानिक फसलों को प्रोत्साहित करना होगा। इस सत्र के श्री देवेष चतुर्वेदी, संयुक्त सचिव, कृशि, भारत सरकार अध्यक्ष तथा डा0 ए0के0 सिंह उप महानिदेषक, उद्यान सह-अध्यक्ष होंगे। इस सत्र में औद्यानिक क्षेत्र में फसल प्रबन्प्धन को बढ़ावा देकर विभिन्न फसलों की उत्पादकता बढ़ाने, सब्जियों की खेती, फलो एवं फूलों की खेती के उत्पादन को प्रोत्साहित करना, पूर्वी उत्तर प्रदेष के किसानों के लिए नए फसल चक्र तथा पोस्ट हार्वेस्ट प्रबन्धन का सुझाव देने के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेष में बाढ़ एवं सूखे की स्थिति में उत्पादन की रणनीति पर विचार विमर्ष किया जायेगा।
ऽ नवें सत्र में पशुपालन, दुग्ध, मुर्गी पालन तथा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने से संबंधित होगा जिसमें इनके अधिक उत्पादन, उत्पादकता, संसाधनों के विकास तथा विस्तार के साथ ही गैर उपयोगी पशुओं के आर्थिक उपयोग पर चर्चा की जाएगी। डा0 के0एम0एल0 पाठक कुलपति, पशु विज्ञान विष्वविद्यालय, मथुरा अध्यक्ष तथा डा0 गया प्रसाद, कुलपति, कृशि विष्वविद्यालय, मेरठ सह-अध्यक्ष होगे।
ऽ दसवे सत्र में कृशि क्षेत्र पर पर्यावरण परिवर्तन एवं उसके प्रभाव पर चर्चा की जायेगी जिसमें पर्यावरण परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न स्थिति में लधु एवं सीमान्त कृशकों के लिए उपयुक्त प्रबन्धन तकनीकी पर विचार किया जायेगा। बदलती परिस्थितियों के दृश्टिगत जैविक एवं अजैविक कारकों तथा एकीकृत फसल प्रणाली के विकास के साथ ही उत्तर प्रदेष में विपरीत पर्यावणीय स्थितियों के लिए उपयुक्त तकनीकी के विकास पर विचार किया जायेगा, जिसमें डा0 जे0एस0 संधू, कुलपति कृशि विष्वविद्यालय फैजाबाद अध्यक्ष होंगे तथा डा0 यू0एस0 सिंह, निदेषक अन्तर्राश्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, वाराणसी सह-अध्यक्ष होगे।
ऽ ग्यारहवा सत्र किसानों के लिए पूंजी निवेष एवं संस्थागत वित्त पोशण व्यवस्था पर आधारित होगा जिसके अन्तर्गत किसानों को सरकारी एवं निजी क्षेत्र के वित्त पोशण, कृशि क्षेत्र में निजी निवेष बढ़ाने, कम अवधि एवं लम्बी अवधि के ऋण उपलब्ध कराना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मौसम आधारीय फसल बीमा योजना आदि विशयों पर विचार किया जायेगा। डा0 ए0के0 सिंह, मुख्य महाप्रबन्धक, नाबार्ड इसके अध्यक्ष होंगे।
ऽ बारहवा सत्र कृशि उत्पादों की खरीदारी, भण्डारण एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर आधारित होगा। डा0 प्रभात कुमार, कृशि उत्पादन आयुक्त, उ0प्र0 इसके अध्यक्ष तथा सह-अध्यक्ष श्रीमती निवेदिता षुक्ला वर्मा, प्रमुख सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग होंगी जिसमें कृशि उत्पादों की खरीदारी, विपणन, भण्डारागृहों की व्यवस्था तथा विघायन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की वर्तमान स्थिति एवं किसानों की आय वृद्धि के लिए आवष्यक सुधार, राश्ट्रीय कृशि बाजार-ई-नाम आदि पर विचार किया जायेगा।
ऽ तेरहवा सत्र खासकर किसानों पर आधारित होगा जिसमें किसानों के अनुभव के आधार पर ज्ञान के आदान-प्रदान पर चर्चा की जाएगी। श्री अमित मोहन प्रसाद, प्रमुख सचिव, कृशि इस सत्र के अध्यक्ष एवं श्री आषीश भूटानी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सह-अध्यक्ष होंगे। इसमें कृशि क्षेत्र में अभिनव प्रयोगों से संबंधित विभिन्न किसानों की सफलता की कहानियाॅ, उर्वरक प्रयोग, नई फसल प्रणाली, कृशि यंत्रीकरण और उनके लाभों एवं अन्य सम सामयिक विशयों पर किसानों से सीधी चर्चा की जाएगी।
ऽ चैदहवा एवं आखिरी सत्र लाभकारी कृशि हेतु भारत एवं जापान सहयोग पर आधारित होगा। इसके अन्तर्गत कृशि के क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों को न्यूनतम क्षति पहुॅचाते हुए कृशि क्षेत्र में वर्टिकल प्राडक्सन को बढ़ावा देना, उ0प्र0 के सीमान्त कृशकों के लिए उपयुक्त यंत्रीकरण, गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु रासायनिक निवेषों का न्यूनतम प्रयोग तथा प्रसंस्कृत कृशि उत्पादों में पोशक तत्वों की उपलब्धता आदि पर विचार विमर्ष होगा जिसमें श्री सुधीर एम0 बोबडे प्रमुख सचिव, पश्ुपालन अध्यक्ष तथा डा0 टेटसुआ यूइटाके, प्रथम सचिव, कृशि एवं खाद्य, जापान दूतावास सह-अध्यक्ष होंगी।
इन सभी सत्रों में कृशकों की सीधी भागीदारी होगी तथा उनसे विचार विमर्ष होगा।
“कृषि कुम्भ” में उन्नत कृषि यंत्रों से सम्बन्धित विभिन्न कम्पनियाॅ जैसे-जानडियर, लैण्डफोर्स दशमेश, शक्तिमान, इस्कार्ट, सोनालिका, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा, वी0एस0टी0 टिलर, बेरी उद्योग तथा टैफे आदि कम्पनियों द्वारा उन्नत कृषि यंत्रों की प्रदर्शनियाॅ लगाई जा रही है।
पशुपालन विभाग द्वारा गाय की गिर, साहीवाल, हरियाना, थरपारकर, गंगातीरी, भैंस की भदावरी एवं मुर्रा, बकरी की बर्बरी, जमुना पारी तथा बीटल, भेड़ की नाली एवं मुजफ्फर नगरी पोल्ट्री क्षेत्र में कडक नाथ, असील, ग्रामप्रिया, श्रीनिधि तथा चैबरौ और व्यवसायिक रूप से अण्डा उत्पादन हेतु व्हाइट लेग हार्न और जापानी बटेर आदि प्रजातियाॅ प्रदर्शित की जायेगी साथ ही हरे चारे के उत्पादन के लिए बरसीम, जई, नैपियर घास, मक्का, लोबियाॅ, गिनीघास, सहजन, मीठी ज्वार, अजोला, हाईप्रोटीन युक्त अजोला आदि के उत्पादन सम्बन्धी प्रदर्शन भी आयोजित किए गये है। इसके साथ ही दर्शाया गया है कि एक ही खेत से चारा उत्पादन के लिए मक्का़लोबियाॅ, नैपियर घास़ग्वार, गिनी ग्रास़लूसर्न आदि को अपनाकर इस प्रकार पशुओं के लिए पूरे वर्ष हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है।
किसानों की आय वृद्वि के लिए मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत फसल प्रणाली के अन्तर्गत मत्स्य पालन हेतु तालाब तथा धान के साथ मत्स्य पालन करने की तकनीक को भी दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त एक्वेरियम हेतु रंगीन मछलियों के साथ ही प्रदेश में उत्पादित होने वाली कत्ला, रोहॅू, नयन, ग्रास कार्प, कामन कार्प तथा पंगेशियस प्रजाति के मछलियों के भी प्रदर्शन किये जा रहें है। तालाब में मत्स्य पालन के लिए बायोफिल्टर से पानी को छानकर बार-बार उपयोग करने की दृष्टि से रिसर्कुलेेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम का भी प्रदर्शन मत्स्य विभाग द्वारा किया जा रहा है।
उद्यान विभाग द्वारा कृषि को लाभकारी बनाने के उद्देश्य से फलो, फूलो की विभिन्न प्रजातियों के साथ ही वर्टिकल फार्मिंग, हाइड्रोपानिक्स, एक्वापानिक्स तथा माइक्रो सिंचाई पद्वति विषयक प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे है।
कृषि विभाग द्वारा प्रदेश के लघु एवं सीमान्त कृषकों की छोटी जोतों को लाभकारी उद्यम बनाने के उद्देश्य से एकीकृत फसल प्रणाली विषयक प्रदर्शन विशिष्ट रूप से दर्शाया गया है कि एक एकड़ खेत में मक्का की खेती, शिमला मिर्च एवं अन्य सब्जियों की खेती, तालाब तथा केला और पपीतें की खेती के साथ ही पशुपालन कर किस प्रकार किसान की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है और कृषि को लाभकारी बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त भूमि संरक्षण जैविक खेती, हरी खाद, परम्परागत खेती, सोलर पम्प, सामाजिक वानिकी आदि विषयक प्रदर्शनियाॅ स्थापित की गयी है।
रेशम विभाग द्वारा शहतूत एवं अर्जुन के वृक्षारोपण से रेशम कीट पालन तथा रेशम उत्पादन की पद्वतियों को दर्शाती प्रदर्शनी आयोजित की गयी है। इसके अतिरिक्त मेलें में सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के लगभग 400 से अधिक स्टाल लगाये जा रहे है जिसमें कृषि एवं विभिन्न क्षेत्रों में विकसित नवीनतम् तकनीकी गुणवत्तायुक्ता कृषि निवेश, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि विपणन की ई-मार्केटिंग पद्वति की जानकारी भी किसानों को प्राप्त होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों तथा अन्य शोध संस्थानों के भी स्टाल लगाये जा रहे है जिनके द्वारा किसानों को नवीनतम् एवं लाभकारी कृषि की तकनीकी की जानकारी प्राप्त होगी। कहना न होगा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित यह कृषि कुम्भ भारत सरकार और राज्य सरकार की किसानों की आय सन् 2022 तक दोगुनी करने की दिशा में गम्भीर प्रतिबद्वता का परिचायक है। जिससे प्रेरित होकर प्रदेश के किसान अपनी खेती को लाभकारी बनाते हुए अपने आय वृद्वि करने में सक्षम हो सकेंगे।