संघर्ष तो अंतिम विकल्प- सुरेश कुमार श्रीवास्तव,विधायक
लखनऊ। भाजपा के नेता एवं राज्यसभा सदस्य डाॅ0 अशोक बाजपेयी का कहना है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं का समाधान शासन,प्रशासनव सरकार से संवाद से ही सम्भंव है। वह यहां सहाय सिंह बालिका इण्टर कालेज, नरही में जिले के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रबन्धकों की एक आवश्यक बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।
डाॅ0 अशोक बाजपेयी ने कहा कि प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों , क्लास तीन व चार के पदों पर नियुक्यिां नहीं हो पा रहीं है। विद्यालयों का रखरखाव व मरम्मत नहीं हो पा रही है,जल संस्थान से जलकर माफ नही हो रहा है तथा विद्यालयों से कामर्शियल दरों पर बिजली का मूल्य वसूला जा रहा है।
अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबन्धक सभा, उ0प्र0 के अध्यक्ष डाॅ0 अशोक बाजपेयी ने कहा कि सरकारें शिक्षकों की समस्याओं का समाधान तो तत्काल कर देतीं है क्योंकि वह संख्या बल में प्रबन्धकों की तुलना में कही अधिक है किन्तु, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रबन्धकों की समस्याओं पर तत्परता से समाधान नही हो पा रहा है। डाॅ0 अशोक बाजपेयी ने प्रबन्धकों से संघर्ष का रास्ता त्याग कर संवाद का रास्ता अख्तियार करने को कहा। डाॅ0 बाजपेयी ने कहा कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रबन्धकों का एक शिष्टमण्ड़ल और वे स्वयं प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा से तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इन विद्यालयों की समस्याओं से उन्हे अवगत करा समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रश्स्त करेगें।
अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबन्धक सभा उ0प्र0 से सम्बद्ध जिला विद्यालय प्रबन्धक संघ, लखनऊ की पुनर्गठित कार्यकारिणी की अध्यक्षता राजधानी के लखनऊ पश्चिम के विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव ने की। विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के हालात खराब है। उन्होने कहा कि प्रबन्धकों की समस्याओं का सम्बन्ध वर्ष 2019 के लोकसभा के चुनावों से नहीं है। बडी संख्या में जुटे प्रबन्धको से उनका कहना था कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं से निपटने के लिये संघर्ष तो अंतिम विकल्प है। उन्होने कहा कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं को राजनीति के चश्में से नही देखा जाना चाहिये। इन विद्यालयों की समस्याएं हकीकत में हैं जिनका यदि निवारण नही हुआ और सरकार से मदद नही मिली तो यह विद्यालय बंद हो जायगें। विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव ने प्रबन्धकों से अपील की की वे संगठित हों, अपने संगठन को और मजबूत करें तो समस्याओं का समाधान अवश्य होगा।
अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबन्धक सभा उ0प्र0 के कार्यकारी अध्यक्ष अरविन्द कुमार तथा महासचिव अनिल अग्रवाल ने प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की । जिला विद्यालय प्रबन्धक संघ लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन तिवारी तथा पूर्व महासचिव प्रेम प्रकाश मौर्या ने राजधानी के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं पर सबका ध्यान खींचा।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनो जिला विद्यालय प्रबन्धक संघ लखनऊ का पुनर्गठन हो गया है । जिला विद्यालय प्रबन्धक संघ के अध्यक्ष लखनऊ पश्चिम के विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव व महासचिव अरविन्द शुक्ला की मंत्रणा से तय किया गया कि प्रबन्धको का एक प्रतिनिधि मंडल, संयुक्त शिक्षा निदेशक षंष्ठ्म मंडल एवं जिला विद्यालय निरीक्षक लखनऊ से मिलकर प्रबन्धको की समस्याओं का एक ज्ञापन सौपेगा।
इससे पूर्व अतिथि डा0 अशोक बाजपेयी, सदस्य राज्य सभा एवं विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव एवं अन्य अतिथियों का स्वागत महासचिव अरविन्द शुक्ला प्रबन्धक सहाय सिंह बालिका इण्टर कालेज नरही लखनऊ ने तथा विद्यालय के अध्यक्ष सतीश चन्द्र अग्रवाल ने आगंतुको को प्रतीक चिन्ह देकर धन्यवाद अर्पित किया।
इस मौके पर जिला विद्यालय प्रबन्धक संघ लखनऊ के उपाध्यक्ष एवं जयनारायण इण्टर कालेज के प्रबन्धक डा0 अनिल कुमार शुक्ल, सचिव प्रशांत तिवारी, प्रबन्धक शिवनारायण इण्टर कालेज छतौनी, कोषाध्यक्ष बृजेश रस्तोगी प्रबन्धक, लक्ष्मीनारायण भगवती विद्या मन्दिर इण्टर कालेज, माया गुप्ता प्रबन्धक, कस्तूरबा कन्या इण्टर कालेज,प्रेम प्रकाश मौर्या प्रबन्धक, सोहन लाल इण्टर कालेज, मनमोहन तिवारी प्रबन्धक, बालिका विद्यालय इण्टर कालेज मोतीनगर, प्रियतोष त्रिपाठी प्रबन्धक, एम0के0एस0डी0 इण्टर कालेज, विजय दयाल प्रबन्धक, नवयुग कालेज, डा0 अनिल अग्रवाल प्रबन्धक, नारी शिक्षा निकेतन, अभिषेक तिवारी प्रबन्धक, डी0ए0वी0 इण्टर कालेज, विजय कुमार रस्तोगी प्रबन्धक, लक्ष्मीनारायण भगवती विद्या मन्दिर, प्रशांत दत्त तिवारी प्रबन्धक, श्री शिवनंदन इण्टर कालेज आदि बड़ी संख्या में विद्यालयों के प्रबन्धक उपस्थित थे।