अवस्थापना सुविधाओ के विकास चुनौतियाँ और संभावनाएँ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

Posted on 24 March 2010 by admin

लखनऊ - प्रधानमन्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अवस्थापना सुविधाओं के विकास, चुनौतियां और सम्भावनाएं विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें देश भर के वित्त/योजना मन्त्रियों ने भाग लिया। सम्मेलन में उ0प्र0 की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती के प्रतिनिधि के रूप में वित्त मन्त्री श्री लालजी वर्मा ने प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को उसके विभिन्न मन्त्रालयों में पी0पी0पी0 के आधार पर लिम्बत पड़ी उत्तर प्रदेश की योजनाओं को स्वीकृति यथाशीघ देनी चाहिए, ताकि प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं का विकास तेजी से हो सके। उन्होंने आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण उत्तर प्रदेश को अधिक से अधिक सहयोग का आग्रह किया है। उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश के साथ असहयोग का रवैया अपनाये हुए है।

श्री वर्मा ने स्वास्थ्य, ऊर्जा, सड़क, यातायात तथा एयरपोर्ट से सम्बन्धित योजनाओं का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार की उदासीनता के कारण इनको अभी मंजूरी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि ताज इंटर नेशनल एयरपोर्ट का मामला नागरिक उड्डयन मन्त्रालय में लिम्बत है। राज्य सरकार इसे योजना आयोग द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुरूप पी0पी0पी0 के आधार पर बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को अविलम्ब इसकी मंजूरी देनी चाहिए। इसी तरह राज्य सरकार कुशीनगर में पी0पी0पी0 के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास करना चाहती है, क्योंकि बौद्ध धार्मिक पर्यटन एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश से खाड़ी के देशों में बढ़ते आवागमन को देखते हुए यह बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के गृह और वित्त मन्त्रालयों से अनुमति का अनुरोध किया गया है। केन्द्र सरकार को इस मामले का निस्तारण तत्काल करना चाहिए।

वित्त मन्त्री ने कहा कि राज्य सरकार से समय-समय पर राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट के लिए कहा जाता है, जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा पी0पी0पी0 के आधार पर बनाये जाने वाले नये एक्सप्रेस-वे तथा राजमार्ग हाईवे एवं सम्पर्क मार्ग बनाने के सभी रास्ते बन्द हो जाते हैं। केन्द्र सरकार को इस तरह का कोई अनुबन्ध राज्य सरकार पर नहीं थोपना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सड़क राजमार्ग तथा एक्सप्रेस-वे में पूंजी निवेश बन्द नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा इससे प्रदेश की अवस्थापना सुविधाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रतिस्पर्धी सड़कों के निर्माण और इन्टर चेंज से सम्बन्धी मुद्दों के निस्तारण के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है। उन्होंने भारत सरकार से अनुरोध किया कि इस मंच का उपयोग सड़कों के विकास के लिए किया जा सकता है।

श्री वर्मा ने कहा कि पी0पी0पी0 के आधार पर राज्य के बस अड्डों के विकास और आधुनिकीकरण के लिए उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम की एक सब्सीडियरी इकाई स्थापित किया जाना है। प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार से इसके लिए अनुमति मांगी है, किन्तु लगातार पत्र-व्यवहार करने और इस सम्बन्ध में हुई बैठकों के बावजूद अब तक अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस मामले में शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही करते हुए स्वीकृति देनी चाहिए, क्योंकि राज्य सरकार का यह मानना है कि सड़क परिवहन प्रणाली के त्वरित विकास के लिए राज्य सड़क परिवहन निगमों की जिम्मेदारियों को बांटा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को इस दिशा में प्रभावी पहल सुनिश्चित करनी चाहिए।

वित्त मन्त्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में पी0पी0पी0 मॉडल के आधार पर माध्यमिक, उच्च शिक्षा, तकनीकी, सामान्य शिक्षा, परास्नातक तथा विशिष्ट शोध केन्द्रों तथा बौद्धिक विकास से सम्बन्धित आई0टी0आई0 की भान्ति अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए अपार सम्भावनाएं हैं। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश सरकार ने छ: आई0टी0आई0, आठ पालिटेक्निक पी0पी0पी0 आधार पर निजी विकासकर्ताओं को लैण्ड ग्रान्ट बेसिस पर दिये हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के पास शिक्षा में पी0पी0पी0 के सहयोग के लिए न तो कोई नीति और न ही फ्रेम वर्क है। मानव संसाधन विकास मन्त्रालय ने इस दिशा में कोई विशेष निर्देश अथवा कोई सहायक दिशा-निर्देश जारी नहीं किये हैं, खासतौर से पालिटेक्निक, स्नातक स्तर, तकनीकी संस्थाओं, माध्यमिक स्कूलों, महाविद्यालयों तथा कॉलेजों के लिए। इस दिशा में मानव संसाधन विकास मन्त्रालयों को राज्यों के सहयोग से शिक्षा में स्टेट रन पी0पी0पी0 मॉडल के लिए फ्रेमवर्क तैयार करना चाहिए।

श्री वर्मा ने कहा कि राज्य सरकारें नि:शुल्क चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध करा रहीं हैं, इसमें केन्द्र को पूरा सहयोग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश को बिजली संकट से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाते हुए कोयला आधारित नये बिजली संयन्त्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जवाहरपुर (एटा), दोपाहा (सोनभद्र), ललितपुर तथा यमुना एक्सपे्रस वे परियोजनाओं के लिए कोल लिंकेज स्वीकृत किये जाने के प्रस्ताव केन्द्र सरकार के स्तर पर लिम्बत हैं। इसके अलावा छ: कोल ब्लॉक के आवंटन का भी प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। उन्होंने केन्द्रीय कोयला मन्त्रालय से प्राथमिकता के आधार पर राज्य सरकार के लिए कोयले का कोटा आवंटित किये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार वर्तमान में 48 हजार मेगावाट क्षमता के 12 अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट देश के विभिन्न हिस्सों में लगवा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में एक भी अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट मन्जूर नहीं किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

April 2025
M T W T F S S
« Sep    
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930  
-->









 Type in