सेतुओं का नामकरण विशिष्ट योगदान देने वाले महापुरूषों के नाम पर होगा
सेतु निगम के अधिकारी चल रही परियोजनाओं का समय-समय पर निरीक्षण करें
पुराने सेतुओं का निरीक्षण समयबद्ध तरीके से हो
सभी कार्य पूर्ण गुणवत्ता, समयबद्धता तथा वित्तीय अनुशासन से पूर्ण हों
सेतु निगम के समूह-ग के पदों की सीधी भर्ती मंे साक्षात्कार समाप्त
-केशव प्रसाद मौर्य
लखनऊ: दिनांक 03 अक्टूबर, 2018
उ0प्र0 राज्य सेतु निगम के निदेशक मण्डल की 177वीं बैठक उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्षता में सेतु निगम मुख्यालय में सम्पन्न हुई। जिसमें विभाग की कार्य प्रणाली प्रगति दशा एवं दिशा पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ, इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सेतु निगम के कार्यों मंे गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जायेगा, सभी कार्य नवीन तकनीक, समयबद्धता, गुणवत्ता तथा वित्तीय अनुशासन के साथ होने चाहिये।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि जब सेतु निर्माण हेतु निर्धारित लागत की स्वीकृत धनराशि सेतु निगम को नहीं मिल पाती है तो कार्य में विलम्ब के साथ-साथ उसकी लागत में बढ़ोत्तरी हो जाती है ऐसी परिस्थितियों का समाधान खोजा जायेगा। उसके लिये निदेशक मण्डल ने सेतु निगम के लिये बजट निर्धारण हेतु एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करने के निर्देश दिये ताकि समयबद्धता एवं गुणवत्ता के साथ कार्य सम्पन्न हो सके। श्री मौर्य ने कहा कि सेतु निगम के कार्यों को बढ़ावा देने के लिये व्यावसायिक यूनिट को सक्रिय किया है ताकि वर्तमान प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में अन्य कम्पनियों के सामने प्रभावी ढ़ंग से कार्य कर सकें। उन्होने सेतु निगम के अधिकारियों को निर्देश दिये कि निविदा के माध्यम से नये प्रोजेक्ट प्राप्त करें तथा कार्य योजना बनाकर पुलों का निर्माण करें तथा जहां पर जनप्रतिनिधियों द्वारा पुल बनाने के प्रस्ताव प्राप्त हुये हैं उनके भी प्रस्ताव शीघ्र प्रस्तुत करें।
निदेशक मण्डल ने पुरानी हो चुकी तकनीक के स्थान पर नवीनतम तकनीक से कार्य करने के निर्देश दिये तथा अनुपयोगी हो चुकी मशीनों को बदलते हुये नवीन तकनीक की मशीनों पर कार्य करने हेतु सेतु निगम के अधिकारियों को कहा। उन्होने वल्र्ड क्लास कम्पनीज के साथ ज्वाइंट वेन्चर बनाने का भी सुझाव दिया। श्री मौयै ने कहा कि सेतु निगम ऐसी तकनीक विकसित करें जिससे सेतु में आने वाली किसी भी खराबी का पहले पता चल जाय और होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके। बैठक में निर्देश दिये कि इस वर्ष लक्षित 79 सेतु को पूर्ण किया जाय तथा शेष 136 निर्माणाधीन सेतुओं को तीव्र गति प्रदान करते हुये अगले वित्तीय वर्ष में पूर्ण कर लिये जांय।
निदेशक मण्डल ने स्वास्थ्य सुरक्षा एवं पर्यावरण की दृष्टि से लेबोरेट्री बनाने, मशीनों का उचित रख-रखाव के साथ-साथ तकनीकी प्रशिक्षण दिये जाने पर बल दिया तथा हर स्तर पर सुरक्षा मानकों का प्रयोग करने के निर्देश दिये। निदेशक मण्डल ने कहा कि जो परियोजनायें चल रही हैं, उनके समय-समय पर निरीक्षण, कार्य प्रगति की रिपोर्ट देने के लिये उच्च अधिकारियों को निर्देशित किया। श्री मौर्य ने यह भी निर्देश दिये कि जिन मामलों में जांच चल रहीं है उसका निस्तारण यथाशीघ्र करायें तथ अनियमितता, भ्रष्टाचार की जांच, सेवा निवृत्ति के बाद भी जारी रहेगी लेकिन जांच प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से पूर्ण निष्पक्षता के साथ होनी चाहिये। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 160 नदी/उपरिगामी सेतु के प्रस्ताव जनप्रतिनिधियों से प्राप्त हुये हैं, जबकि डेडिकेटेड फ्रन्ट काॅरीडोर पर 51 रेल उपरिगामी सेतुओं की आवश्यकता है, इस प्रकार कुल 211 सेतुओं के लिये कुल रू0 11862 करोड़ की आवश्यकता होगी, इसके लिये निदेशक मण्डल ने निर्देश दिये कि योजनाबद्ध तरीके से आगामी 4 वर्षों में उक्त सेतुओं के निर्माण हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाय। श्री मौर्य ने बताया कि अन्य प्रदेशों में एन0एच0ए0आई0/राज्य सरकार से कार्य अर्जित करने हेतु दिये गये निर्देशों के क्रम में सेतु निगम द्वारा मुम्बई में रू0 90 करोड़ की लागत से बनने वाले एक रेल उपरिगामी सेतु का निर्माण कार्य प्रगति पर है तथा उत्तराखण्ड में एन0एच0ए0आई0 के अधीन रू0 349.50 करोड़ के राष्ट्रीय मार्ग की परियोजना अर्जन की प्रक्रिया में है।
विभाग में रिक्त चल रहे पदों के सापेक्ष भर्ती किये जाने हेतु निदेशक मण्डल ने पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने हेतु भर्ती एजेन्सी चयन के लिये निर्धारित प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिये। निदेशक मण्डल ने सेतु निगम की सेवाओं में भर्ती की आयु 35 वर्ष से बढ़ाकर 40 वर्ष करने की संस्तुति की, इसके साथ ही समूह-ग में सीधी भर्ती में साक्षात्कार समाप्त कर केवल लिखित परीक्षा के आधार पर भर्ती एवं समूह-ख में भर्ती हेतु पूर्व की भांति लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के आधार पर भर्ती किये जाने हेतु अनुमोदन प्रदान किया गया। निदेशक मण्डल ने सेतु निर्माण के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी सेतु निगम को भागीदारी करने के निर्देश दिये साथ ही कहा कि जो निर्मित सेतु अभी नामकरण के लिये रह गये हैं उनका नामकरण स्वाधीनता सेनानी अथवा क्षेत्र विशेष में विशिष्ट योगदान करने वाले महापुरूषों के नाम से किया जाय।
बैठक में सचिव लोक निर्माण विभाग श्री समीर वर्मा, विशेष सचिव वित्त ओ0पी0 श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष वी0के0 सिंह, सेतु निगम के प्रबन्ध निदेशक उत्तम कुमार गहलोत सहित निदेशक मण्डल के सदस्य एवं अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।